उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से विधायक अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। यह कार्रवाई 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए एक कथित हेट स्पीच मामले में मऊ की एमपी/एमएलए अदालत द्वारा उन्हें दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद की गई है। इस फ़ैसले के बाद अब्बास अंसारी की सीट को विधानसभा अध्यक्ष ने रिक्त घोषित कर दिया है। वह सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी एसबीएसपी के विधायक थे। इस बीच, एसबीएसपी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में अपील करने की घोषणा की है।
अब्बास अंसारी दिवंगत माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के पुत्र हैं। उन पर आरोप था कि उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान मऊ में एक जनसभा में भड़काऊ और आपत्तिजनक बयान दिए थे। उनके ख़िलाफ़ यह शिकायत दर्ज की गई थी कि उन्होंने मऊ प्रशासन को चुनाव के बाद ‘हिसाब-किताब’ करने और ‘सबक सिखाने’ की धमकी दी थी। इस मामले में मऊ के विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने 31 मई को अब्बास को दोषी करार दिया और उन्हें दो साल की कैद की सजा सुनाई।
कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने 1 जून को उनकी सीट को रिक्त घोषित कर दिया, जिससे मऊ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की संभावना बढ़ गई है।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कोर्ट के फ़ैसले स्वीकार किया है लेकिन उन्होंने कहा है कि वह इसके ख़िलाफ़ अपील करेंगे। उन्होंने दावा किया है कि हेट स्पीच के नाम पर अब्बास को प्रताड़ित किया जा रहा है, जबकि अन्य नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। सपा नेता आईपी सिंह ने कहा, ‘हेट स्पीच पर अगर सजा दी जाय तो भाजपा में ऊपर से नीचे तक के नेताओं को सौ सौ वर्ष तक की सजा हो सकती है। ओमप्रकाश राजभर के पार्टी के युवा विधायक श्री अब्बास अंसारी एक मुसलमान हैं इसलिए योगी सरकार उन्हें प्रताड़ित कर रही है और अदालतों से उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है।’
इस मामले में अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि अब्बास के बयान न केवल भड़काऊ थे, बल्कि इनसे सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने की संभावना थी। वहीं, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि उनके बयानों को गलत संदर्भ में पेश किया गया और यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
अब्बास अंसारी का राजनीतिक सफर
अब्बास अंसारी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मऊ सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी। यह सीट लंबे समय से उनके परिवार के प्रभाव क्षेत्र में रही है और उनके पिता मुख्तार अंसारी भी इस सीट से कई बार विधायक रह चुके थे। अब्बास की सदस्यता रद्द होने से क्षेत्र में राजनीतिक समीकरणों पर असर पड़ सकता है।
अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द होने के बाद मऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की संभावना बढ़ गई है। यह सीट पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रूप से अहम मानी जाती है और इस क्षेत्र में विभिन्न दलों के बीच कड़ा मुक़ाबला देखने को मिल सकता है। एसबीएसपी और राजभर समुदाय के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बन सकती है, क्योंकि यह उनकी राजनीतिक ताक़त का प्रतीक रही है।
वहीं, अब्बास अंसारी के वकीलों ने संकेत दिया है कि वे जल्द ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ याचिका दायर करेंगे। अगर हाई कोर्ट से राहत मिलती है, तो उनकी सदस्यता बहाल हो सकती है, लेकिन तब तक उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां कुछ लोग कोर्ट के फ़ैसले को क़ानून का सम्मान मान रहे हैं, वहीं अन्य इसे अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ निशाना बनाने वाली कार्रवाई के रूप में देख रहे हैं। कई विपक्षी नेताओं ने इस फ़ैसले की आलोचना की है और इसे ‘न्याय का दुरुपयोग’ बताया है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस मामले में कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन कुछ नेताओं ने इसे क़ानून के समक्ष सभी के समान होने की मिसाल दी है।
अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द होने और हेट स्पीच मामले में सजा ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। ओमप्रकाश राजभर और उनकी पार्टी द्वारा हाई कोर्ट में अपील की घोषणा से इस मामले के और तूल पकड़ने की संभावना है।