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    Home » अमेरिका-चीन जवाबी टैरिफ़ घटाने के लिए मजबूर हुए? क्या व्यापार युद्ध ख़त्म होगा
    भारत

    अमेरिका-चीन जवाबी टैरिफ़ घटाने के लिए मजबूर हुए? क्या व्यापार युद्ध ख़त्म होगा

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 12, 2025No Comments4 Mins Read
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    अमेरिका और चीन ने जवाबी टैरिफ़ में भारी कटौती करने का फ़ैसला किया है। यह वैश्विक व्यापार युद्ध को कम करने की दिशा में एक अहम क़दम है। यह समझौता स्विट्जरलैंड के जेनेवा में दोनों देशों की बातचीत के बाद हुआ। इस बातचीत और समझौते को दोनों देशों ने रचनात्मक बताया। इस समझौते के तहत अमेरिका ने चीनी आयात पर टैरिफ़ को 145% से घटाकर 30% करने पर सहमति जताई, जबकि चीन ने अमेरिकी सामानों पर टैरिफ़ को 125% से घटाकर 10% कर दिया। यह राहत 90 दिनों के लिए प्रभावी होगी, जिसके बाद दोनों पक्ष इसका आकलन करेंगे। यह समझौता 14 मई 2025 से प्रभावी होगा और 90 दिनों तक लागू रहेगा।

    यह घटनाक्रम तब आया है जब अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से व्यापार युद्ध चल रहा था। इसकी शुरुआत 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में हुई थी, जब उन्होंने चीन पर ग़लत व्यापार नीति और बौद्धिक संपदा की चोरी के आरोप लगाते हुए टैरिफ़ लगाए थे। 2025 में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यह तनाव चरम पर पहुंच गया, जब अप्रैल में अमेरिका ने चीनी आयात पर 145% टैरिफ़ लगा दिया। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125% टैरिफ़ लगाया।

    इन टैरिफ़ ने दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुक़सान पहुँचाया। अमेरिका में मैन्युफ़ैक्चरिंग की लागत बढ़ी, उपभोक्ताओं के लिए क़ीमतें बढ़ गईं और किसानों को वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ा। चीन में आर्थिक और औद्योगिक उत्पादन वृद्धि की दर में कमी आई। कई अमेरिकी कंपनियों ने अपनी सप्लाई चेन को एशिया के अन्य देशों में स्थानांतरित कर दिया, जिससे अमेरिका-चीन के बीच आर्थिक ‘अलगाव’ की आशंका बढ़ गई।

    इस बीच, दोनों देशों ने बातचीत शुरू की। जेनेवा में हुई वार्ताओं में अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने किया, जबकि चीनी पक्ष का प्रतिनिधित्व वाइस प्रीमियर हे लिफेंग ने किया। बेसेन्ट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘दोनों पक्षों ने राष्ट्रीय हितों का सम्मान किया और यह सहमति बनी कि कोई भी पक्ष आर्थिक रूप से अलग थलग नहीं पड़ना चाहता।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम संतुलित व्यापार चाहते हैं और दोनों पक्ष इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।’

    चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘उम्मीद है कि अमेरिका इस बैठक की नींव पर आगे बढ़ेगा और एकतरफ़ा टैरिफ़ लगाने को पूरी तरह से दुरुस्त करेगा।’

    टैरिफ़ पर क्या सहमति बनी

    अमेरिकी टैरिफ़: चीनी आयात पर 145% टैरिफ को घटाकर 30% किया गया। हालांकि, फेंटेनाइल से संबंधित 20% टैरिफ़ बरकरार रहेगा। इसका मतलब है कि कुल टैरिफ़ 30% होगा।

    चीनी टैरिफ: अमेरिकी सामानों पर 125% टैरिफ़ को घटाकर 10% किया गया। इसके अलावा, अतिरिक्त 24% और 91% टैरिफ़ को 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया।

    टैरिफ़ कटौती की घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाज़ारों में उछाल देखा गया। अमेरिका में डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 2.1%, एसएंडपी-500 2.8%, और नैस्डैक 3.8% ऊपर खुले। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 3% से अधिक चढ़ा, जबकि शंघाई और शेनझेन के बाज़ारों में भी तेज़ी देखी गई। यूरोपीय बाज़ारों में मामूली वृद्धि दर्ज की गई।

    टैरिफ़ कटौती से अमेरिकी उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, क्योंकि आयातित सामानों की क़ीमतें कम हो सकती हैं। हालाँकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि 30% टैरिफ़ अभी भी अन्य देशों की तुलना में अधिक है, और यह लंबे समय तक टिकाऊ नहीं हो सकता।

    यह समझौता चीन की सुस्त अर्थव्यवस्था के लिए एक वरदान साबित हो सकता है, क्योंकि निर्यात में कमी से उसकी औद्योगिक वृद्धि प्रभावित हो रही थी।

    विश्व व्यापार संगठन की प्रमुख डॉ. न्गोजी ओकोंजो-इवेला ने पहले चेतावनी दी थी कि अमेरिका-चीन व्यापार में 80% की कमी वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर नुक़सान पहुँचा सकती है। इस समझौते से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दबाव कम होगा।

    अगले 90 दिन दोनों देशों के लिए अहम होंगे। विश्लेषकों का मानना है कि यदि चीन ट्रंप को नाराज़ करता है तो वे इस समझौते को रद्द कर सकते हैं और फिर से उच्च टैरिफ़ लागू कर सकते हैं। दूसरी ओर, चीन ने साफ़ किया है कि वह कमजोर दिखाई नहीं देगा, लेकिन वह स्थिति की नाजुकता को समझता है।

    अमेरिका और चीन ने भविष्य में व्यापार वार्ताओं के लिए एक तंत्र स्थापित करने पर सहमति जताई है, जिसका नेतृत्व बेसेन्ट और हे लिफेंग करेंगे। यह मैकनिज़्म व्यापार युद्ध को स्थायी रूप से हल करने की दिशा में एक अहम क़दम हो सकता है।

    अमेरिका और चीन के बीच यह समझौता वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है। हालाँकि, यह राहत अस्थायी है और दोनों देशों को लंबे समय तक स्थिरता के लिए गंभीर बातचीत करनी होगी और आपसी सम्मान दिखाने की ज़रूरत होगी। वैश्विक बाज़ारों की सकारात्मक प्रतिक्रिया और उद्योगों की राहत इस समझौते के महत्व को दिखाती है, लेकिन भविष्य की अनिश्चितता बनी हुई है।

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