उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 जून को अपने 53वें जन्मदिन के अवसर पर अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अध्यक्षता की। यह समारोह तीन दिवसीय उत्सव का हिस्सा था, जो 3 जून से शुरू हुआ और गुरुवार वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न हुआ। इस अवसर पर राम जन्मभूमि परिसर में अन्य मंदिरों में भी कई देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। यह दिन इसलिए भी खास रहा क्योंकि यह गंगा दशहरा और द्वापर युग के प्रारंभ का दिन माना जाता है, साथ ही त्रेता युग में भगवान राम द्वारा रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापना का भी स्मरण किया जाता है। लेकिन कई वजहों से इसे लेकर तमाम चर्चा भी है। क्योंकि इससे पहले जनवरी 2024 में भी प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, जिसमें पीएम मोदी ने हिस्सा लिया था। पूरा कार्यक्रम पीएम मोदी के ऊपर फोकस था।
हालांकि, इस भव्य समारोह के बीच ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जनवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए। शंकराचार्य ने कहा कि मंदिर का निर्माण पूर्ण होने से पहले प्राण प्रतिष्ठा करना शास्त्रों के विरुद्ध था। उन्होंने पूछा, “जनवरी 2024 में की गई प्राण प्रतिष्ठा और आज की प्राण प्रतिष्ठा में से कौन सी सही है और कौन सी गलत? शास्त्रों के अनुसार, मंदिर का निर्माण पूर्ण हुए बिना प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जानी चाहिए। मंदिर भगवान का शरीर है, इसका शिखर उनकी आंखें और कलश उनका सिर होता है। बिना सिर और आंखों के प्राण प्रतिष्ठा करना शास्त्रविरुद्ध है।”
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने जनवरी 2024 में चारों शंकराचार्यों के समारोह में शामिल न होने के निर्णय का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने तब भी इस मुद्दे को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सामने उठाया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका विरोध प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नहीं है, बल्कि वे शास्त्रों के पालन के लिए प्रतिबद्ध हैं। “हमने कई बार कहा है कि हम मोदी विरोधी नहीं हैं, बल्कि उनके प्रशंसक हैं। लेकिन धार्मिक मामलों में शास्त्रों का पालन अनिवार्य है।”
इसके जवाब में, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कुछ सदस्यों ने कहा कि जनवरी 2024 की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार की गई थी और इसमें कोई शास्त्रीय उल्लंघन नहीं हुआ। ट्रस्ट ने यह भी दावा किया कि गर्भगृह के पूर्ण होने के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है, जैसा कि अयोध्या में किया गया।
इस अवसर पर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और समारोह के यजमान अनिल मिश्रा भी अपनी पत्नी उषा मिश्रा के साथ मौजूद थे। साथ ही ट्रस्ट के सदस्य गोविंद देव गिरि ने आदित्यनाथ का अभिनंदन किया। अनुष्ठान के बाद सीएम ने समारोह में आमंत्रित चुनिंदा लोगों का अभिवादन किया और ट्रस्ट के कुछ सदस्यों और मेहमानों के साथ पहली मंजिल से चले गए।
योगी ने एक्स पर लिखा, “आज भगवान श्री राम की पावन जन्मभूमि अयोध्या धाम में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर श्री राम दरबार सहित आठ मंदिरों में देवताओं की पवित्र मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आयोजित कार्यक्रम का साक्षी बनने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हो रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह अवसर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की नई अभिव्यक्ति और भगवान राम की विजय है।
इस विवाद ने एक बार फिर धार्मिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। जहां एक ओर अयोध्या में राम भक्तों के बीच उत्साह का माहौल है, वहीं शंकराचार्य के बयान ने शास्त्रीय परंपराओं के पालन पर बहस छेड़ दी है। योगी आदित्यनाथ ने समारोह के बाद अपने संबोधन में कहा, “आज का दिन ऐतिहासिक है। पूरा देश अयोध्या धाम बन गया है। यह 500 साल की प्रतीक्षा का फल है।”
यह समारोह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि इसने अयोध्या को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में और मजबूत किया। उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद प्रतिदिन लगभग एक लाख श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं, जिससे यह शहर विश्व का सबसे अधिक मांग वाला पर्यटन स्थल बनने की ओर अग्रसर है।
राजनीतिक पहलू भी हैं
बीजेपी के अंदर पीएम मोदी के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को उनका उत्तराधिकारी बताया जाता है। हालांकि इस संबंध में किसी भी बीजेपी नेता का आधिकारिक बयान सामने नहीं आया। लेकिन राजनीतिक हल्कों में यह चर्चा अक्सर रहती है। बीजेपी के पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर ने 2022 में कहा था कि केंद्र से लखनऊ भेजे गए पूर्व अफसर ए.के. शर्मा अगले सीएम होंगे। शर्मा पीएम मोदी के खास अफसरों में रहे हैं। लेकिन ए के शर्मा सिर्फ मंत्री बनकर रह गए। विपक्ष का आरोप है कि आरएसएस ही पीएम मोदी के खिलाफ योगी का नाम पेश करता रहता है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कई बार इस पर कटाक्ष किए हैं। इसलिए इस प्राण प्रतिष्ठा की चर्चा है कि पीएम पीएम मोदी जैसा आयोजन सीएम योगी ने भी करने की कोशिश की है। हालांकि योगी के कार्यक्रम को उतना मीडिया कवरेज नहीं मिला।