असम में आधार कार्ड पाने के लिए एनआरसी आवेदन को ज़रूरी बनाने के फ़ैसले की विपक्षी दलों ने आलोचना की है। उन्होंने बीजेपी सरकार की इसलिए आलोचना की है कि अब तक एनआरसी को अधिसूचित भी नहीं किया गया है, लेकिन आधार कार्ड के लिए इसे पूर्व शर्त के रूप में रखा जा रहा है।
राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि आधार कार्ड प्राप्त करने के लिए एनआरसी आवेदन को एक पूर्व शर्त बनाने का निर्णय बांग्लादेश के नागरिकों द्वारा घुसपैठ के प्रयासों के मद्देनजर लिया गया था।
सरकार ने बुधवार को फ़ैसला किया था कि अगर आवेदक के परिवार ने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है तो सभी आधार आवेदन खारिज कर दिए जाएंगे। विपक्षी दलों ने सरकार के इन्हीं फ़ैसलों की आलोचना की है।
बता दें कि आधार कार्ड भारत में अब बेहद ज़रूरी कागजात के रूप में जगह बना चुका है। इसका इस्तेमाल पहचान पत्र के तौर पर अन्य सरकारी दस्तावेज बनाने में होता है। सरकार भी आधार के जरिये ही योजनाओं का लाभ देती है। अब आधार कार्ड को एनआरसी से जोड़ने का मुद्दा राजनीतिक रंग लेता जा रहा है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और भाजपा के नेतृत्व में असम एक ‘बनाना रिपब्लिक’ में बदल रहा है।
असम से तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देब ने पीटीआई से कहा, ‘आज तक भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा एनआरसी को अधिसूचित नहीं किया गया है और फिर भी यह आधार का आधार है। दूसरी बात यह है कि भारत में गैर-नागरिकों को भी आधार कार्ड मिल जाता है, अगर वे आवेदन करने से पहले 12 महीनों में 182 दिन यहां रहे हों। अंत में जब तक सरकार किसी व्यक्ति को अवैध प्रवासी घोषित नहीं करती, वे आधार को कैसे अस्वीकार कर सकते हैं। हिमंत बिस्व सरमा और बीजेपी के नेतृत्व में असम एक बनाना रिपब्लिक है।’
आधार व एनआरसी आवेदन से जुड़ी इस ख़बर पर प्रतिक्रिया देते हुए लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘असम में फर्जी लाभार्थियों की समस्या बहुत बड़ी है। सरकारी आंकड़ों से ही पता चलता है कि पीएम किसान योजना के क्रियान्वयन में करोड़ों रुपये की सार्वजनिक धनराशि बर्बाद की गई। असम के लोग जीएसटी, उपकर, शुल्क का भुगतान कर रहे हैं, लेकिन पूरा पैसा भाजपा पार्टी के सदस्यों की जेब में जा रहा है।’