अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को एक नया कार्यकारी आदेश जारी कर 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही, सात अन्य देशों के नागरिकों पर आंशिक यात्रा प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। व्हाइट हाउस ने इस कदम को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया है।
यह आदेश 9 जून 2025 को सुबह 12:01 बजे (स्थानीय समय) से प्रभावी होगा। प्रतिबंधित देशों में अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन शामिल हैं। इन देशों के नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश करने से पूरी तरह रोक दिया गया है, जबकि सात अन्य देशों के नागरिकों के लिए वीजा और यात्रा प्रक्रियाओं में अतिरिक्त जांच और सीमित अनुमति लागू की जाएगी।
ट्रम्प ने इस फैसले को अपनी पहली सरकार (2017-2021) की सबसे सफल नीतियों में से एक बताया है। एक वीडियो संदेश में उन्होंने हाल ही में कोलोराडो के बोल्डर में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि यह प्रतिबंध ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है। हालांकि, आलोचकों ने इस तर्क पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि बोल्डर हमले के संदिग्ध हमलावर का देश मिस्र इस सूची में शामिल नहीं है।
यह कदम ट्रम्प के पहले वाले कार्यकाल में लागू किए गए विवादास्पद यात्रा प्रतिबंधों की वापसी को दर्शाता है, जिसके कारण 2017 में हवाई अड्डों पर काफी अफरा-तफरी और विरोध प्रदर्शन देखे गए थे। इसके अलावा, ट्रम्प ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए वीजा पर भी रोक लगाने का एक अलग आदेश जारी किया है, जिसे उनकी नीतियों में एक और बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों और मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह आदेश न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक संबंधों और अमेरिका की छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है। खासकर, हैती जैसे देशों को इस सूची में शामिल करने पर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि ट्रम्प ने पहले भी इस देश के बारे में विवादास्पद टिप्पणियां की थीं।
व्हाइट हाउस ने कहा कि यह प्रतिबंध अपर्याप्त जांच प्रक्रियाओं और उच्च जोखिम वाले देशों से अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरे को देखते हुए लगाए गए हैं। हालांकि, इस नीति के खिलाफ कानूनी चुनौतियां सामने आने की संभावना है, क्योंकि पहले के यात्रा प्रतिबंधों को भी अदालतों में चुनौती दी गई थीं।
इस बीच, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस खबर को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। तमाम एक्स यूजर्स इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं।
यह नीति पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है, और इसके प्रभावों को लेकर बात हो रही है।
यह नीति पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है, और इसके प्रभावों को लेकर बात हो रही है।