सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को ऐसा झटका दिया है कि शायद उसको अब नागरिकों के ख़िलाफ़ सबूत जुटाने के लिए उसको काफ़ी मशक्कत करनी पड़े। ईडी मोबाइल, लैपटॉप जैसे उपकरणों को जब्त कर ही आसानी से सबूत जुटाती रही थी। अदालत ने कहा है कि ईडी नागरिकों के जब्त मोबाइल, लैपटॉप जैसे उपकरणों तक न तो पहुँच सकती है और न ही उनकी कॉपी कर सकती है। वैसे, अदालत का यह फ़ैसला आया तो लॉटरी किंग के रूप में जाने जाने वाले सैंटियागो मार्टिन मामले में है, लेकिन माना जा रहा है कि इस फ़ैसले का असर अब ईडी से जुड़े दूसरे केसों पर भी पड़ सकता है। तो क्या ईडी के साथ ही अब सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों को भी नागरिकों के मोबाइल, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त करने से पहले दोबारा सोचना होगा
इस सवाल का जवाब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में आसानी से मिल सकता है। इसका विस्तृत फ़ैसला क्या है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर किस मामले को लेकर अदालत ने यह फ़ैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम आदेश सैंटियागो मार्टिन मामले में दिया है। ईडी ने नवंबर में सैंटियागो मार्टिन, उनके रिश्तेदारों और कर्मचारियों पर की गई तलाशी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किये थे।
मेघालय पुलिस की एक शिकायत के बाद ईडी ने छह राज्यों में 22 जगहों पर तलाशी ली थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने राज्य में लॉटरी के कारोबार पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। तलाशी में 12.41 करोड़ रुपये नकद मिले थे।
यह वही सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग है जो इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से सबसे बड़ा चुनावी चंदा देने वाली कंपनी थी। इसने 2019 और 2014 के बीच 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। इसने सभी पार्टियों को चंदा दिया था। इसने तृणमूल कांग्रेस को 542 करोड़ रुपये, डीएमके को 503 करोड़ रुपये, वाईएसआर कांग्रेस को 154 करोड़ रुपये और भाजपा को 100 करोड़ रुपये चंदे में दिए थे।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 13 दिसंबर को जस्टिस अभय एस ओका और पंकज मित्तल ने आदेश दिया कि फ्यूचर गेमिंग मामले की सुनवाई इससे जुड़े अन्य मामलों के साथ की जाए। फ्यूचर गेमिंग की याचिका में सूचीबद्ध चार मामलों में अमेज़ॅन इंडिया के कर्मचारियों द्वारा दायर मामले भी शामिल हैं। इसमें ईडी द्वारा उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को पेश करने की मांग को चुनौती दी गई है। इसमें न्यूज़क्लिक केस भी शामिल है जिसमें याचिकाकर्ता 2023 में दिल्ली पुलिस द्वारा लैपटॉप और टेलीफोन जब्त करने पर सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश मांग रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने अपने संवैधानिक और मौलिक अधिकारों, खासकर, निजता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने की मांग की है। उन्होंने तर्क दिया है कि व्यक्तिगत डिजिटल उपकरणों पर जानकारी किसी व्यक्ति के जीवन के बारे में बहुत अंतरंग, व्यक्तिगत होती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ईडी से कहा गया है कि वह सैंटियागो मार्टिन के मोबाइल फोन और उनकी कंपनी के कर्मचारियों से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की लंबी सूची में से किसी भी सामग्री को एक्सेस न करे और कॉपी न करे। न्यायाधीशों ने पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा जारी समन पर भी रोक लगा दी।
प्रतिबंधात्मक आदेश के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ ईडी अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह कोई बड़ा झटका नहीं है क्योंकि उनके पास मामले में मार्टिन के खिलाफ अन्य अहम भौतिक साक्ष्य हैं। उन्होंने बताया कि वे डिजिटल साक्ष्य की खोज और जब्ती पर सीबीआई मैनुअल के दिशानिर्देशों का पालन कर रहे थे। अधिकारियों के अनुसार, ईडी ने हाल ही में फ्यूचर गेमिंग समूह से जुड़ी 622 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।
234 पन्नों की याचिका दायर करने वाली वकील रोहिणी मूसा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश अन्य चल रहे मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है। उन्होंने कहा, ‘पहली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के खिलाफ प्रतिबंध हटाने की कोई तारीख नहीं दी है। दूसरी बात यह है कि मौलिक अधिकारों और निजता के अधिकारों के उल्लंघन के अलावा, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ईडी फिशिंग अभियान पर न जाए और याचिकाकर्ता को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में मिली सामग्री के माध्यम से इस और अन्य मामलों में उनको दोषी ठहराने के लिए मजबूर न करे।’