
Uma Bharti (Image Credit-Social Media)
Uma Bharti (Image Credit-Social Media)
भोपाल. भारतीय जनता पार्टी की फायरब्रांड नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अपने राजनीतिक संन्यास को खत्म करने का ऐलान किया है। उन्होंने संकेत दिया है कि वे 2029 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से किस्मत आजमाएंगी और सक्रिय राजनीति में पूरी तरह लौटेंगी।
डेढ़ दशक से राजनीतिक संन्यास की स्थिति में रहीं उमा भारती ने कहा है कि उन्होंने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव इसलिए नहीं लड़े क्योंकि वे गंगा नदी के पुनर्जीवन अभियान में व्यस्त थीं। लेकिन अब वे फिर से सक्रिय राजनीति में वापसी के लिए तैयार हैं।
अभी लंबा समय गुजारना है
उमा भारती ने अपने सक्रिय राजनीतिक भविष्य के बारे में चर्चा करते हुए अपनी उम्र और भाजपा की उम्र सम्बन्धी अनौपचारिक नीति पर भी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि लोग सोचते होंगे कि मैं 75 वर्ष की उम्र पार कर चुकी हूँ लेकिन सच्चाई तो ये है कि अभी मैं 65 की भी नहीं हूँ। मैंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ काम किया है। मैं उनसे 40 साल छोटी हूं। चूँकि मैंने उन लोगों के साथ काम किया है इसीलिए लोग मुझे भी उनके समकालीन मानते हैं। असल में मैं राजनीति में अगले 15-20 साल सक्रिय रहूंगी। बता दें कि उमा भारती ने बीते मई महीने में अपनी 63 वीं वर्षगाँठ मनाई थी।

भाजपा छोड़ने का इरादा नहीं
उमा भारती ने साफ किया कि वे भाजपा से जुड़ी रहेंगी और अगर चुनाव लड़ेंगी तो केवल भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर ही लड़ेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी अन्य दल से जुड़ने या नई पार्टी बनाने की कोई योजना नहीं रखतीं हैं।
हिंदुत्ववादी नेता उमा भारती ने 1989 में मध्य प्रदेश के खजुराहो से पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था और 1991, 1996 और 1998 में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 1999 में भोपाल से चुनाव जीतकर संसद में वापसी की थी। 2003 में वे मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं लेकिन 2004 में एक पुराने मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 2014 में वे झांसी से लोकसभा चुनाव लड़ीं और केंद्रीय मंत्री बनीं। हालांकि, 2019 और 2024 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, 2024 में उनका चुनाव नहीं लड़ना पार्टी के भीतर आत्मविश्वास की कमी के रूप में देखा गया और इससे कुछ नेताओं को असहजता हुई।
2024 में पार्टी से नाराजगी?

जानकारों के मुताबिक 2024 में उमा भारती को पार्टी द्वारा चुनाव में उतारने पर विचार नहीं किया गया। कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि उनका चुनाव न लड़ना इस बात का संकेत था कि पार्टी नेतृत्व के साथ तालमेल में कमी है। हालांकि, यह बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं की गई। अब अगर वे 2029 में लड़ना चाहती हैं, तो पार्टी नेतृत्व को तय करना होगा कि उन्हें टिकट दिया जाए या नहीं।
क्या फिर से चमकेगा ‘साध्वी राजनीति’ का सितारा?
उमा भारती भारतीय राजनीति में हिंदुत्व की तेजतर्रार आवाज़ मानी जाती रही हैं। राम मंदिर आंदोलन से लेकर गंगा स्वच्छता अभियान तक, उन्होंने हमेशा अपने अंदाज़ में राजनीति की है। 2029 में उनकी वापसी से भाजपा के भीतर भी एक नई राजनीतिक विमर्श की शुरुआत हो सकती है, खासकर महिला नेतृत्व और पुराने नेताओं की नई भूमिका को लेकर। उमा भारती ने 75 साल की उम्र का जो संदर्भ दिया है उसका ताल्लुक भाजपा की 75 साल की उम्र सीमा की अनौपचारिक नीति से जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी 75 वर्ष के होने वाले हैं।

बहरहाल, उमा भारती का यह ऐलान ऐसे समय आया है जब भाजपा में नेतृत्व धीरे-धीरे नई पीढ़ी के हाथों में जा रहा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी उन्हें सक्रिय भूमिका देती है या उन्हें ‘मार्गदर्शक मंडल’ जैसे प्रतीकात्मक दायरे में ही सीमित रखती है।