Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • यूएस-इसराइल-ईरान युद्धः राष्ट्रों की संप्रभुता पर सवाल पूछने का समय
    • अमेरिकी हमलों से क्या ईरान का परमाणु कार्यक्रम प्रभावित होगा?
    • यूएस-इसराइल-ईरान युद्ध: आरपार की साइबर वॉर का खतरा क्यों बढ़ा
    • पहलगाम आतंकी हमला: एनआईए ने बताया तीनों हमलावर पाकिस्तानी, लश्कर से जुड़े
    • Satya Hindi News Bulletin। 22 जून, शाम तक की ख़बरें
    • ईरानी संसद ने दी होर्मुज मार्ग को बंद करने की मंजूरी; जानें अब क्या होगा
    • कई देश ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार: पुतिन के शीर्ष सहयोगी मेदवेदेव
    • ईरान पर हमले का नाम Operation Midnight Hammer था, यूएस ने दी जानकारी
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » उर्दू को लेकर फरेब और नीतीश की छवि चमकाने की ऐसी कोशिश क्यों?
    भारत

    उर्दू को लेकर फरेब और नीतीश की छवि चमकाने की ऐसी कोशिश क्यों?

    By March 15, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    बिहार में उर्दू हल्के की यह शिकायत रही है कि नीतीश कुमार की सरकार में उर्दू को पूरी तरह दरकिनार किया जा रहा है लेकिन इस हफ्ते एक फरेब भरी खबर में नीतीश कुमार की छवि चमकाने के लिए यह बताने की कोशिश की गई कि बिहार के सरकारी अधिकारियों को उर्दू सिखाई जाएगी।

    यही नहीं जनता दल यूनाइटेड से जुड़े लोगों ने इसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उर्दू मुखालिफ बयान के मुकाबले में नीतीश कुमार के बड़े दिल के तौर पर सोशल मीडिया पर फैलाया और दावा किया कि योगी के उलट नीतीश कुमार उर्दू की कितनी भलाई चाहते हैं।

    इस फरेब की वजह बनी उर्दू निदेशालय की वह खबर जिसमें सरकारी कर्मचारी और गैर सरकारी पेशेवरों के लिए उर्दू का कोर्स चलाया जाता है। इस कोर्स को करने के लिए कोई पाबंदी नहीं और यह कोर्स करने वाले की इच्छा पर निर्भर है कि वह करे या ना करे। इतना जरूर है कि कुछ गैर उर्दू तबके के लोग भी उर्दू का यह कोर्स करते हैं।

    ऐसा लगता है कि जनता दल यूनाइटेड के सोशल मीडिया सेल ने इस खबर को प्लांट किया और मीडिया के बड़े हिस्से ने इसे बिना जांच पड़ताल के आगे बढ़ा दिया। असल में बिहार के मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के तहत उर्दू निदेशालय चलता है। यही उर्दू डायरेक्टरेट 2008 से गैर उर्दू भाषी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों को उर्दू भाषा पढ़ने और लिखने की ट्रेनिंग देने के लिए प्रोग्राम चलाता है। तो जो काम इतने लंबे समय से चल रहा है उसे नीतीश कुमार के नए काम के तौर पर पेश किया गया और उनकी छवि चमकाने की कोशिश की गई।

    दिलचस्प बात यह है कि उर्दू निदेशालय की वेबसाइट पर जो जानकारी दी गई है वह उर्दू में उपलब्ध नहीं है। यह जरूर है कि नीतीश कुमार की तस्वीर इस पर लगी हुई है। इसमें बस उर्दू डायरेक्टरेट, महकमा काबीना सेक्रेट्री, बिहार, पटना का लोगो ही उर्दू में है।

    इस वेबसाइट पर यह जानकारी दी गई है कि बिहार राजभाषा संशोधन अधिनियम 1981 (बिहार अधिनियम-2 1981) के आलोक में विभिन्न चरणों में राज्य की द्वितीय राजभाषा के रूप में उर्दू के प्रयोग की स्वीकृति सभी 38 जिलों में दी गई है। इतने लंबे समय से बिहार में उर्दू द्वितीय राजभाषा है लेकिन उर्दू वालों का कहना है कि नीतीश सरकार में उर्दू की घोर उपेक्षा हो रही है।

    उर्दू निदेशालय को मुख्य रूप से सात काम दिए गए हैं और उनमें से कोई काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। इस फैसले के मुताबिक उर्दू में अर्जियां और आवेदन पत्रों की प्राप्ति और उर्दू में ही उनका उत्तर दिया जाना है लेकिन फिलहाल ऐसा काम नहीं हो रहा है। इसमें कहा गया है कि उर्दू में लिखित दस्तावेजों को निबंधन कार्यालय द्वारा स्वीकार किया जाएगा लेकिन हो इसके उलट रहा है और अब यह मांग की जा रही है कि जो उर्दू के लिखित दस्तावेज हैं उसे हिंदी में दिया जाए।

    उर्दू भाषा अधिनियम के तहत सरकारी नियमों, विनियमों और अधिसूचनाओं का भी उर्दू में प्रकाशन होना है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसी तरह कहा गया कि सार्वजनिक महत्व के सरकारी आदेशों और परिपत्रों को उर्दू में भी जारी किया जाएगा लेकिन यह घोषणा भी कागजों तक सीमित है।

    इस अधिनियम में सरकारी विज्ञापनों को उर्दू में प्रकाशित करने की बात की गई है लेकिन सभी उर्दू अखबारों को आजकल केवल हिंदी में ही सरकारी विज्ञापन दिए जा रहे हैं। उर्दू अखबारों के संपादकों का कहना है कि अगर वह हिंदी में दिए गए विज्ञापनों को प्रकाशित नहीं करते हैं तो उन्हें उर्दू में विज्ञापन नहीं मिलता और इससे उन्हें आर्थिक घाटा हो सकता है।

    उर्दू अधिनियम के तहत संकेत पट्टों का उर्दू में भी प्रदर्शन किया जाना है लेकिन कुछ जगहों को छोड़कर पूरे राज्य से शिलापट्टों और दूसरी जगह लगने वाले साइनेज से उर्दू को हटा दिया गया है। पहले अधिकारियों के नाम और पदनाम उर्दू में भी दिए जाते थे लेकिन अब उनके आवास और कार्यालय दोनों जगह से उर्दू को हटा दिया गया है। पटना में बने नए समाहरणालय में भी उर्दू का नामोनिशान नहीं मिलता। यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिन कार्यक्रमों में उद्घाटन और शिलान्यास करते हैं वहां भी उर्दू का नामोनिशान मिट चुका है।

    उर्दू अधिनियम के तहत जिला गजट के उर्दू रूपांतरण के प्रकाशन की बात कही गई है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है।

    सरकारी कर्मचारियों को उर्दू भाषा सिखाने की जो फरेब भरी खबर फैलाई गई उससे कुछ ही दिनों पहले यह खबर भी आई थी कि बिहार सरकार ने राज्य के थानों में सहायक उर्दू अनुवादकों की भर्ती रद्द कर दी है। हालांकि इस फैसले को चुपचाप लागू किया गया और उसके बारे में कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया। इसके तहत जो 1064 सहायक उर्दू अनुवादक थानों में बहस करने के लिए चयनित किये गए उनके बारे में अब कहा जा रहा है कि उन्हें सब डिवीजन और जिला मुख्यालय में रखा जाएगा। उर्दू तबके का कहना है कि थानों में जो आवेदन उर्दू में दिए जा सकते थे अब उसका रास्ता बंद हो चुका है।

    बिहार सरकार के उर्दू निदेशालय की वेबसाइट पर उर्दू परामर्शदात्री समिति के गठन की बात भी कही गई है लेकिन वहां अभी ‘अंडर डेवलपमेंट’ लिखा हुआ है क्योंकि पिछले 6 सालों से इसका पुनर्गठन नहीं हुआ है। यही हाल 6 वर्षों से बिहार उर्दू अकादमी का भी है। बिहार के सरकारी स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की घोर कमी है और जो छात्र उर्दू में पढ़ना चाहते हैं उन्हें उर्दू में किताबें नहीं मिल रही हैं। 

    बिहार में दो केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं और उर्दू दूसरी राजभाषा होने के बावजूद इन दोनों जगह पर उर्दू की पढ़ाई नहीं कराई जाती है। हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है लेकिन बिहार सरकार द्वारा संचालित भागलपुर विश्वविद्यालय से भी खबर आई है कि उसके कई कॉलेजों में उर्दू की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है। दूसरे विश्वविद्यालयों में भी उर्दू विभाग में शिक्षकों की भारी कमी है।

    कुल मिलाकर बिहार में नीतीश सरकार उर्दू का वही हाल कर चुकी है जो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किया है। फर्क केवल यह है कि नीतीश कुमार की चिकनी चुपड़ी बातों से इसकी चर्चा नहीं होती। बिहार में विधानसभा चुनाव को नजदीक आता देखकर तमाम तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। जेडीयू और नीतीश अपने उर्दू प्रेम से किनका वोट चाहते हैं, वो साफ हो गया है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमीन राशि में वक्री बुध इन राशि वालों की छीन सकता है नौकरी, जानें कौन सी हैं वह राशियां!
    Next Article महिला अफसरों का पुरुष कैदियों पर आया दिल, वर्दी में छेद करवा स्टोर रूम में बनाए रिलेशन, 40 बर्खास्त

    Related Posts

    यूएस-इसराइल-ईरान युद्धः राष्ट्रों की संप्रभुता पर सवाल पूछने का समय

    June 23, 2025

    अमेरिकी हमलों से क्या ईरान का परमाणु कार्यक्रम प्रभावित होगा?

    June 23, 2025

    यूएस-इसराइल-ईरान युद्ध: आरपार की साइबर वॉर का खतरा क्यों बढ़ा

    June 23, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.