भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) ले जाने वाले बहुप्रतीक्षित एक्सियॉम-4 (एक्स-4) मिशन को तकनीकी खराबी के कारण स्थगित कर दिया गया है। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने बुधवार को एक बयान में कहा कि मिशन की नई तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी, क्योंकि उनकी टीमें लिक्विड ऑक्सीजन (एलओएक्स) रिसाव की मरम्मत में जुटी हैं।
स्पेसएक्स ने बताया कि फाल्कन 9 रॉकेट के बूस्टर स्टेज के अग्नि परीक्षण के बाद निरीक्षण के दौरान एलओएक्स रिसाव का पता चला। इस रिसाव को ठीक करने और जरूरी सत्यापन परीक्षण करने के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि लॉन्च पैड पर सात सेकंड के हॉट टेस्ट के दौरान प्रणोदन खंड में रिसाव पाया गया। इसरो, स्पेसएक्स और एक्सियॉम स्पेस के विशेषज्ञों के बीच चर्चा के बाद मरम्मत और सत्यापन परीक्षण का निर्णय लिया गया।
एक्सियॉम-4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह इन देशों की 40 वर्षों में पहली सरकार प्रायोजित मानव अंतरिक्ष उड़ान है। यह मिशन भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। 39 वर्षीय भारतीय वायुसेना अधिकारी शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं और वह पहली बार आईएसएस पर कदम रखने वाले भारतीय होंगे।
एक्सियॉम-4 मिशन में चार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जिनका नेतृत्व पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन कर रही हैं। शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में काम करेंगे, जबकि पोलैंड के स्लावोस उज़नांस्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु मिशन विशेषज्ञ हैं। यह दल स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार होकर आईएसएस पहुंचेगा और वहां 14 दिनों तक विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग और अनुसंधान करेगा। मिशन में 31 देशों के लगभग 60 वैज्ञानिक अध्ययन शामिल हैं, जिनमें इसरो द्वारा विकसित अंतरिक्ष खाद्य और पोषण संबंधी प्रयोग भी शामिल हैं।
यह पहली बार नहीं है जब एक्सियॉम-4 मिशन को स्थगित किया गया है। पहले यह मिशन 10 जून 2025 को तय था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे 11 जून तक के लिए टाल दिया गया था। अब तकनीकी खराबी के कारण फिर से देरी हुई है। इसरो और स्पेसएक्स ने आश्वासन दिया है कि सभी आवश्यक सुधार किए जा रहे हैं ताकि मिशन सुरक्षित और सफल हो।
शुभांशु शुक्ला की यह अंतरिक्ष यात्रा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन नासा और इसरो के बीच सहयोग का परिणाम है, जो भारत के गगनयान मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा। इसरो ने शुभांशु के लिए सात प्रयोगों की योजना बनाई है, जिसमें माइक्रोग्रैविटी में मेथी और मूंग की अंकुरण प्रक्रिया का अध्ययन शामिल है।
स्पेसएक्स और इसरो ने कहा है कि रिसाव की मरम्मत और सत्यापन परीक्षण पूरा होने के बाद नई लॉन्च तारीख की घोषणा की जाएगी। इसरो प्रमुख वी. नारायणन और उनकी टीम इस मिशन के लिए अमेरिका में मौजूद हैं और लॉन्च की तैयारियों पर नजर रखे हुए हैं। शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।