Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • हरियाणा की मॉडल मर्डर मिस्ट्री, आखिर शीतल का कातिल कौन ?
    • कौन हैं अमेरिका से भिड़ने वाले अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई?
    • हमें मोदी जी समझ रखा है क्या!
    • ईरान के मिसाइल हमलों से इसराइल में मचा हड़कंप!
    • इसराइल को क्यों चुभते हैं अयातुल्ला अली खामेनेई?
    • हाइफा में 14-15-16 जून को क्या हुआ, इसराइल की मुख्य रिफाइनरी तबाह
    • मायावती की गद्दी हिलाने या अंत करने आया रावण! यूपी की सियासत में नई बगावत, दलित वोटर्स का नया वारिस कौन?
    • ईरान परमाणु अप्रसार संधि छोड़ने की तैयारी में; हथियार बनाने या दबाव बनाने की रणनीति?
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » एमपी कांग्रेसः दो साल में चौथा इंचार्ज जनरल सेक्रेट्ररी, ऐसे खड़ी हो पायेगी पार्टी?
    भारत

    एमपी कांग्रेसः दो साल में चौथा इंचार्ज जनरल सेक्रेट्ररी, ऐसे खड़ी हो पायेगी पार्टी?

    By February 15, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    कांग्रेस आलाकमान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव को फिर बदल दिया है। राज्य कांग्रेस के प्रभारी के तौर पर कमान संभालने वाले राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह की 13 महीनों में विदाई कर दी गई है। उनकी जगह हरीश चौधरी की नियुक्ति की गई है।

    हरीश चौधरी राजस्थान से आते हैं। राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री हैं। संगठन में अनेक पदों पर रहे हैं। पंजाब जैसे राज्य के प्रभारी महासचिव के दायित्व की जिम्मेदारी भी निभाई है। संयोगवश हटाये गये प्रभारी भंवर जितेन्द्र सिंह की राजनीतिक कर्मभूमि भी राजस्थान ही है।

    एमपी में कांग्रेस की हालत लंबे समय से खराब है। 2023 के विधानसभा चुनाव में कुल 230 सीटों में से कांग्रेस को महज 66 सीटें मिल सकीं थीं। बाद में इनमें से भी तीन विधायक टूट गए। हालांकि एक पर फैसला आज भी लटका हुआ है।

    इससे भी बुरे हाल 2024 के लोकसभा चुनाव में हुए। सूबे में कुल 29 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को छिन्दवाड़ा सीट मिल पाई थी। 2024 में वो सीट भी कांग्रेस हार गई। सभी 29 सीटें भाजपा ने कब्जा लीं। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से कमल नाथ की विदाई कर दी थी। उनकी जगह पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को राज्य कांग्रेस की कमान सौंपी गई।

    पीसीसी चीफ बने जीतू पटवारी को 14 महीने हो चुके हैं। वे राहुल गांधी की पसंद हैं। 2006 के टेलेन्ट हंट में राहुल ने उन्हें पहचाना था। टीम में लिया था। एमपी यूथ कांग्रेस की कमान सौंपी थीं। पटवारी ने जुझारूपन साबित किया था। शिवराज सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में मंदसौर में किसानों पर गोली चलने की घटना के बाद राहुल गांधी के आने की भनक लगने पर तत्कालीन सरकार ने मंदसौर की जबरदस्त किलाबंदी की थी। राजस्थान के रास्ते से जीतू पटवारी की बाइक पर सवार होकर राहुल गांधी मंदसौर पहुंच गये थे। बीजेपी हैरान रह गई थी।

     - Satya Hindi

    कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह

    पुराने ट्रैक रेकार्ड और जीवटता के चलते ही, कमल नाथ को हटाकर उनकी इच्छा के विपरीत पीसीसी चीफ जैसी कुर्सी राहुल गांधी ने जीतू पटवारी को सौंपी है। बीते 14 महीने के अपने कार्यकाल में पटवारी बहुत असर छोड़ नहीं पाये हैं। मध्य प्रदेश में कमल नाथ को आलाकमान नेपथ्य में डाल रखा है। दिग्विजय सिंह को भी बहुत महती जिम्मेदारी (राष्ट्रीय महासचिव या अन्य जिम्मेदारी) आलाकमान ने नहीं दी है। दिग्विजय सिंह वक्त-वक्त पर मध्य प्रदेश में अपनी पैठ का अहसास कराते रहते हैं।

     - Satya Hindi

    हरीश चौधरी को कांग्रेस ने एमपी इंचार्ज नियुक्त किया है

    दो साल चौथा प्रभारी महासचिव

    दो साल में मध्य प्रदेश कांग्रेस के चौथे प्रभारी महासचिव के तौर पर पदभार संभालने के बाद हरीश चौधरी क्या नई रणनीति लेकर आयेंगे यह तो बाद में साफ होगा। लेकिन बार-बार बदलाव के बाद सवाल यह उठाया जा रहा है कि प्रभारी जब तक सूबे को समझता है, जमावट करता है, आलाकमान उसे बदल क्यों देता है भंवर जितेन्द्र सिंह 13 महीने एमपीसीसी के इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी पद पर रहे। उनके पहले 9 महीनों तक दो महासचिवों को पास मध्य प्रदेश कांग्रेस का प्रभार रहा। उस वक्त मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के पास थी।

    भंवर जितेन्द्र सिंह के पहले रणदीप सुरजेवाला मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महासचिव रहे। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उनकी रुखसती कमलनाथ ने करवा दी थी। कमलनाथ से उनकी पटरी न बैठने की खबरें जगजाहिर हो गईं थीं। सुरजेवाला के पहले कांग्रेस के सीनियर लीडर और कांग्रेस नेतृत्व के करीबी जेपी अग्रवाल को भी कमलनाथ ने ही हटवाया था।

    भंवर जितेन्द्र सिंह को बदले जाने को लेकर कांग्रेस के एक सूत्र ने दावा किया, ‘नेतृत्व ने जितेन्द्र सिंह की विदाई उन्हीं की इच्छा से की है।’ सूत्र ने दलील दी कि जितेन्द्र सिंह के पास मध्य प्रदेश के अलावा असम का भी प्रभार है। दोनों सूबों में वे माकूल समय नहीं दे पा रहे थे। अपना क्षेत्र भी उन्हें देखना होता है। लिहाजा वे चाहते थे, किसी एक राज्य का प्रभारी भर उन्हें रखा जाये।

    कहा जा रहा है चूंकि असम विधानसभा का चुनाव मध्य प्रदेश से पहले होना है, लिहाजा आलाकमान ने उन्हें असम भर का जिम्मा देकर एमपी से मुक्त कर दिया। सूत्र का दावा अपनी जगह है, एक वक्त में तीन-तीन सूबों का दायित्व भी प्रभारी महासचिवों के पास रहा है। इन दायित्वों को बखूबी अंजाम दिया गया है। सफलताएं अर्जित की गई हैं।

    सवाल यह भी उठाया जा रहा है, न तो राजस्थान में सरकार है न ही केन्द्र में, फिर भी प्रभारी महासचिव राज्य के माकूल वक्त नहीं निकाल पाये, यह बात आसानी से गले उतरती नहीं है। एक सूत्र के अनुसार भंवर जितेन्द्र सिंह क्षत्रपों और युवा नेताओं की गुटबंदी से हलाकान थे। इसी वजह से धीरे से उन्होंने मप्र से मुक्ति पा ली।

    हार-दर-हार से कोई सबक नहीं…!

    मध्य प्रदेश में साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 38 सीटों पर सिमट गई थी। इसके बाद से वो उबर नहीं पायी है। चुनाव-दर-चुनाव हार हो रही है। कुछ छिटपुट बढ़त के अलावा साल 2018 का विधानसभा चुनाव अपवाद रहा था। इसमें कांग्रेस ने वापसी की थी। हालांकि पूर्ण बहुमत तब भी नहीं मिला था। करिश्माई आंकड़े से कांग्रेस 2 नंबर दूर रह गई थी। कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं थी। चार निर्दलीय और 3 अन्य दलों के सदस्यों को साथ लेकर कमल नाथ की अगुवाई में सरकार बन गई थी। सरकार जरूर बनी थी। मगर महज 15 महीनों में गिर भी गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकार गिरवा दी थी ।

    लोकसभा चुनाव में भी 2014 से कांग्रेस की स्थिति डांवाडोल रही है। कुल 29 सीटों में साल 2014 में 2, 2019 में महज एक और 2024 में यह आंकड़ा शून्य में तब्दील हो गया।

    कबीलों में बंटी हुई है कांग्रेस

    मध्य प्रदेश में क्षत्रपों की कमी नहीं है। कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, अरूण यादव और अजय सिंह राहुल गुट हैं। किसी का गुट छोटा है तो किसी का ठीका-ठाक। सभी अलग-अलग राह पर चल रहे हैं। मध्य प्रदेश के सीनियर जर्नलिस्ट रंजन श्रीवास्तव ‘सत्य हिन्दी’ से कहते हैं, ‘कांग्रेस को कांग्रेस हराती है, इस बात से कहीं ज्यादा सचाई, अपने सिपाहासालारों को सेट करने का खेल, कांग्रेस के लिए ज्यादा घातक सिद्ध हो रहा है।’ रंजन का कहना है, ‘कांग्रेस में स्लीपर सेल हैं, यह बात आलाकमान से छिपी हुई नहीं है। जब तक इस दिशा में आलाकमान सख्त नहीं होगा। सख्त फैसले नहीं लेगा। आवश्यक सफाई नहीं करेगा। तब तक बात नहीं बनेगी। चुनाव होंगे। हार होगी। बाद में लकीरों को पीटा जायेगा तो कुछ होने वाला नहीं है।’

    सीनियर जर्नलिस्ट राकेश दीक्षित कांग्रेस की हालत पर अफसोस जताते हुए ‘सत्य हिन्दी’ से कहते हैं, ‘मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए अपार संभावनाएं हैं, लेकिन जैसी जमावट होना चाहिए, वैसा काम या प्रयास नहीं होता है। भाजपा 365 दिन चुनावी उधेड़बुन में रहती है और कांग्रेस केवल और केवल चुनाव वर्ष या चुनाव के चार-छह महीने पहले सक्रिय होती है।’ दीक्षित आगे कहते हैं, ‘भाजपा दो से शुरू होकर 303 तक पहुंची। कांग्रेस 1977 में हारने के बाद उबरी। राहुल गांधी जमकर मेहनत कर रहे हैं। उनकी मेहनत को भुनाने की दिशा में जिस कोशिश की जरूरत पूरे देश में है, कांग्रेस और उसके नेता-कार्यकर्ता, वैसा करते नजर ही नहीं आते।’

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Article12 देशों ने अवैध गतिविधियों में शामिल पाकिस्तानियों पर एक्शन, 131 को डिपोर्ट किया
    Next Article मोदी भारत के आर्थिक और राजनीतिक संकट से कैसे निपटेंगे?

    Related Posts

    हरियाणा की मॉडल मर्डर मिस्ट्री, आखिर शीतल का कातिल कौन ?

    June 16, 2025

    कौन हैं अमेरिका से भिड़ने वाले अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई?

    June 16, 2025

    हमें मोदी जी समझ रखा है क्या!

    June 16, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.