मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक 45 वर्षीय आदिवासी महिला के साथ बर्बर घटना हुई। उसका गैंगरेप किया गया। आंतें निकालकर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार, इस जघन्य अपराध में दो आरोपियों, हरी (40) और सुनील (35), ने न केवल महिला के साथ बलात्कार किया, बल्कि इतनी क्रूरता की कि उनकी आंतें बाहर निकल आईं, जिसके कारण अत्यधिक खून बहने से महिला की मृत्यु हो गई। यह घटना शुक्रवार रात (23 मई, 2025) खलवा तहसील के रोशनी पुलिस चौकी क्षेत्र में हुई। घटनास्थल खंडवा शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है।
पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, पीड़िता और दोनों आरोपी कुरकु आदिवासी समुदाय से हैं और एक-दूसरे के पड़ोसी थे। शुक्रवार को एक शादी समारोह में शामिल होने के बाद पीड़िता, हरी के साथ उसके घर गई थी, जहां सुनील भी मौजूद था। तीनों ने शराब पी, जिसके बाद दोनों आरोपियों ने महिला के साथ गैंगरेप किया। पुलिस ने बताया कि एक आरोपी ने महिला के शरीर में हाथ डालकर उसकी आंतें बाहर निकाल दीं और बाद में उसे वापस डालने की कोशिश की, लेकिन अत्यधिक खून बहने के कारण शनिवार दोपहर करीब 2:30 बजे महिला की मृत्यु हो गई।
खंडवा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) राजेश रघुवंशी ने बताया कि मेडिकल जांच में गैंगरेप, क्रूरता और महिला के गुप्तांगों में गंभीर चोटों की पुष्टि हुई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी महिला की आंतों के बाहर निकलने और बच्चेदानी को गंभीर नुकसान होने की बात सामने आई है। पुलिस ने घटनास्थल से खून से सना एक बिस्तर बरामद करने की कोशिश कर रही है। दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 66 (मृत्यु का कारण बनाना), 70(1) (गैंगरेप) और 103(1) (हत्या की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
घटना की जानकारी शनिवार सुबह तब मिली जब एक आरोपी की मां ने पीड़िता को घायल अवस्था में देखा और उसके परिवार को सूचित किया। परिवार के लोग उसे घर ले गए, लेकिन पुलिस को तुरंत सूचना नहीं दी। बाद में, पीड़िता की मृत्यु के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।
इस घटना ने 2012 के दिल्ली निर्भया कांड की भयावह यादें ताजा कर दी हैं। विपक्षी कांग्रेस ने इस मामले को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता अरुण यादव ने महिलाओं और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों पर सवाल उठाए, जबकि राज्य महिला कांग्रेस ने भोपाल में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री मोहन यादव का पुतला जलाया।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता दो बच्चों की मां थी। इस मामले की जांच के लिए खलवा पुलिस स्टेशन के प्रभारी जगदीश सिंदिया के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिससे इस जघन्य अपराध की और जानकारी मिलेगी।
गैंगरेप की प्रमुख घटनाएं
रीवा गैंगरेप मामला (अक्टूबर 2024)
रीवा, मध्य प्रदेश में 21 अक्टूबर, 2024 को एक महिला का मंदिर के पास पिकनिक स्पॉट पर गैंगरेप किया गया। उसके पति को पेड़ से बांध दिया गया, और हमलावरों ने हमले का वीडियो बनाकर धमकी दी कि अगर पीड़ितों ने शिकायत की तो वह वीडियो वायरल कर देंगे। पुलिस ने अगले दिन केस दर्ज किया और कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह मामला, खंडवा वाली घटना की तरह, चरम हिंसा और धमकी का उदाहरण है, हालांकि पीड़िता के आदिवासी होने का स्पष्ट उल्लेख नहीं था।
सीधी गैंगरेप मामला (मई 2023)
सीधी, मध्य प्रदेश में कई आदिवासी महिलाओं का 30 वर्षीय मजदूर बृजेश प्रजापति और उसके तीन साथियों ने गैंगरेप किया। आरोपी गरीब आदिवासी गाँवों की कमजोर महिलाओं को बहला-फुसलाकर ले जाते थे। बृजेश ने सात महिलाओं से रेप की बात स्वीकारी, हालांकि केवल पांच ने ही शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 16 मोबाइल फोन और कई सिम कार्ड जब्त किए, जो आरोपियों के अपराधी प्रवृत्ति को दिखाते हैं। यह मामला खंडवा वाली घटना की तरह ही दूरदराज के इलाकों में आदिवासी महिलाओं को निशाना बनाने का उदाहरण है, जहाँ पीड़िता कुरकू आदिवासी समुदाय से थी।
रायसेन गैंगरेप मामला (फरवरी 2020)
रायसेन, मध्य प्रदेश में 29 फरवरी, 2020 को 40 वर्षीय एक आदिवासी महिला का तीन लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया। पीड़िता बस छूट जाने के बाद एक आरोपी कुंवर लाल के यहाँ ठहर गई, जिसने शराब पीकर अपने साथियों मंजू गौड़ और प्रीतम बेडिया के साथ मिलकर उसके साथ दरिंदगी की। दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि एक फरार रहा। यह मामला खंडवा वाली घटना से मिलता-जुलता है, क्योंकि पीड़िता आदिवासी थी और आरोपियों से परिचित थी।
हाथरस गैंगरेप और हत्या (सितंबर 2020)
उत्तर प्रदेश का यह मामला क्रूरता और पीड़िता के दलित होने के कारण प्रासंगिक है। 14 सितंबर, 2020 को चार उच्च जाति के पुरुषों ने 19 वर्षीय दलित लड़की का सामूहिक बलात्कार किया, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। दो हफ्ते बाद दिल्ली के अस्पताल में उसकी मौत हो गई। जातिगत हिंसा और प्रशासन की लापरवाही के कारण इस मामले ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, जो खंडवा मामले में भी देखने को मिला। लेकिन बीजेपी सरकार के शासनकाल में इस मामले को दबा दिया गया। रात के अंधेरे में दलित लड़की का आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस घटना को अगले ही दिन कवर करने जा रहे पत्रकार एस. कप्पन को पुलिस ने गिरफ्तार कर आतंकवाद का आरोप लगाया। करीब दो साल बाद कप्पन को जमानत मिली। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने हाथरस जाने की कोशिश की लेकिन यूपी पुलिस ने वहां जाने नहीं दिया।
मणिपुर गैंगरेप और हत्या (मई 2023)
मणिपुर में 4 मई, 2023 को कंगपोक्पी इलाके की दो आदिवासी महिलाओं (21 और 24 वर्ष) का इम्फाल में उनके कार वॉश के कार्यस्थल पर अगवा कर गैंगरेप किया गया और फिर हत्या कर दी गई। आरोपी मेइतेई समुदाय के थे, और यह मामला राज्य में चल रहे जातीय हिंसा से जुड़ा था। 16 मई, 2023 को हत्या, बलात्कार और अपहरण के तहत एफआईआर दर्ज की गई। यह मामला भी खंडवा वाली घटना की तरह आदिवासी महिलाओं को निशाना बनाने और चरम हिंसा का उदाहरण है। मणिपुर हिंसा का मामला देशव्यापी उठा लेकिन पीएम मोदी मणिपुर नहीं गए। विपक्ष ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था।
अत्यधिक क्रूरता और कम दोषसिद्धिः खंडवा मामले में पीड़िता की आंतें निकाल ली गईं, जो निर्भया (2012) और हाथरस मामले जैसी बर्बरता को दर्शाता है। गिरफ्तारियों के बावजूद ऐसे मामलों में सजा की दर कम है। 2017-2022 के एक अध्ययन के अनुसार, देशभर में रेप/गैंगरेप के 1,551 मामले दर्ज हुए, जिनमें मध्य प्रदेश 207 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर था। सिर्फ 65% मामलों में ही सजा हुई, जबकि कई मामले सबूतों की कमी के कारण बंद हो गए।
2019 की ‘क्राइम इन इंडिया’ रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में 162 गैंगरेप के मामले दर्ज हुए, जिसमें राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बाद तीसरा स्थान रहा। 2020 से 2024 तक अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के खिलाफ रेप के मामलों में 26% की वृद्धि हुई, जिसमें धार, झाबुआ और खरगोन जैसे जिलों में सबसे अधिक आदिवासी पीड़ित थीं। ये आँकड़े राज्य में आदिवासी महिलाओं की सुरक्षा की गंभीर चुनौती को दर्शाते हैं।
ये मामले आदिवासी महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की एक भयावह तस्वीर पेश करते हैं, जिसमें गरीबी, पुलिस की देरी और सामाजिक पूर्वाग्रह जैसी व्यवस्थागत समस्याएँ शामिल हैं। खंडवा की घटना, अपनी चरम क्रूरता के साथ, ऐसी जघन्य घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों और त्वरित न्यायिक प्रक्रिया की जरूरत को रेखांकित करती है।