क्या हो जब कोई देश दुश्मन देश की चाल को पहले ही भांप ले और अपनी युद्ध रणनीति इस्तेमाल करे। क्या हो जब दुश्मन देश के मनोविज्ञान को समझ लिया जाए और यह भी कि वह अगली चाल कब क्या चल सकता है? भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में इसी नयी रणनीति का इस्तेमाल किया।
दरअसल, भारतीय सेना ने हाल ही में सीमा पार आतंकी ठिकानों के ख़िलाफ़ शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में एक अभूतपूर्व रणनीतिक क़दम उठाया है। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि पहली बार, सेना ने ‘रेड टीम्स’ के कॉन्सेप्ट को शामिल किया है। यह एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जिसको शीतयुद्ध के दौरान ख़ूब इस्तेमाल किया गया था और विरोधी की रणनीति को समझने और उसके अनुसार हमले करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
तो सवाल है कि आख़िर यह ‘रेड टीम्स’ क्या है और भारत को अब इसकी क्यों ज़रूरत पड़ी? दरअसल, यह विशेषज्ञों का एक समूह है, जिसका मुख्य मक़सद दुश्मन की मानसिकता, रणनीति और संभावित चालों का विश्लेषण करना है। यानी यह दुश्मन की सोच को समझने की कला है।
रेड टीमें विशेषज्ञों का एक छोटा, लेकिन अत्यधिक कुशल समूह होती हैं, जो सैन्य अभियानों की योजना को और प्रभावी बनाने के लिए दुश्मन की सोच, रणनीति और संभावित क़दमों का गहन अध्ययन करती हैं। ये टीमें न केवल दुश्मन की रणनीति का विश्लेषण करती हैं, बल्कि अपनी योजनाओं के प्रभाव को परखती हैं और यह अनुमान लगाती हैं कि दुश्मन किसी विशेष कार्रवाई का जवाब कैसे दे सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, रेड टीमें एक ‘विरोधी दृष्टिकोण’ अपनाती हैं। यानी वे दुश्मन की स्थिति में खड़े होकर सोचती हैं और भारतीय सेना की योजनाओं में संभावित कमजोरियों को उजागर करती हैं। यह नज़रिया न केवल रणनीति को मज़बूत करता है, बल्कि अप्रत्याशित हालातों में भी सेना को बेहतर ढंग से तैयार करता है।
ऑपरेशन सिंदूर का लक्ष्य सीमा पार आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था, लेकिन इसने भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमताओं को एक नया आयाम दिया है। रेड टीमों की मदद से सेना ने न केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि दुश्मन की प्रतिक्रिया को पहले से भांपकर अपनी रणनीति को और सटीक बनाया। सूत्रों के अनुसार, रेड टीमों ने ऑपरेशन के हर चरण में अपनी विशेषज्ञता का उपयोग किया। इसमें खुफिया जानकारी का विश्लेषण, दुश्मन की रणनीति का सिमुलेशन और भारतीय सेना की योजनाओं का स्ट्रेस टेस्टिंग शामिल था।
इससे पहले पिछले साल मई में भारतीय सेना ने एक विरोधी बल (OPFOR – Opposing Force) इकाई बनाने की संभावनाओं पर विचार शुरू किया था। यह वास्तविक युद्ध अभ्यास और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए काम करेगी। अमेरिका की सेना सहित कई सेनाएँ लंबे समय से प्रशिक्षण अभ्यासों के दौरान दुश्मन के व्यवहार को समझने के लिए ऐसी इकाइयों का उपयोग करती रही हैं।
भारतीय सेना के पास पहले से ही शिमला में मुख्यालय वाली प्रशिक्षण कमान के भीतर एक REDFOR यानी रेड फोर्सेस इकाई है। यह वार गेम प्लानिंग और सिमुलेशनों की जाँच करती है। यह आमतौर पर कागज पर या रेत के मॉडल का उपयोग करती है।
भारतीय सेना की नई दिशा
रेड टीमों का उपयोग भारतीय सेना में आंतरिक विशेषज्ञता को बढ़ाने और विदेशी प्रशिक्षकों पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस पहल से न केवल सैन्य रणनीतियों में सुधार होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि भारत की सेना भविष्य की जटिल चुनौतियों के लिए तैयार रहे। जानकारों का मानना है कि रेड टीमें भविष्य में और अधिक जटिल अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। खासकर उन परिस्थितियों में जहां मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक युद्ध की आवश्यकता हो।
ऑपरेशन सिंदूर में रेड टीमों का उपयोग भारतीय सेना के आधुनिकीकरण और नवाचार की प्रतिबद्धता को दिखाता है। यह क़दम न केवल रणनीतिक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि भारत अपनी रक्षा नीतियों में लगातार सुधार और नवाचार के लिए प्रतिबद्ध है। रेड टीमें न केवल सैन्य अभियानों को और प्रभावी बनाएंगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगी कि भारतीय सेना हर स्थिति में अपने दुश्मन से एक कदम आगे रहे।