कनाडा के बाद ऑस्ट्रेलिया में सेंटर-लेफ्ट लेबर पार्टी की जीत के क्या मायने हैं? क्या दुनिया में फिर से दक्षिणपंथ कमजोर पड़ रहा है? क्या यह वैश्विक स्तर पर डोनल्ड ट्रंप की उग्र नीतियों और दक्षिणपंथी विचारों के लिए बड़ा झटका है और आने वाले दिनों में दुनिया में बड़े बदलाव का संकेत है?
ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय चुनाव में सेंटर-लेफ़्ट लेबर पार्टी की शानदार जीत से न केवल सिडनी की सड़कों पर उत्साह की लहर दौड़ गई, बल्कि इससे व्हाइट हाउस में भी हलचल मच गई। यह चुनाव सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया की सत्ता का सवाल नहीं था, बल्कि डोनाल्ड ट्रम्प की उग्र नीतियों और उनकी वैश्विक नकल के ख़िलाफ़ एक जनमत संग्रह के तौर पर भी देखा जा रहा है। जब ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने दूसरे कार्यकाल के लिए चुनावों में जीत दर्ज की तो यह साफ़ हो गया कि ऑस्ट्रेलियाई मतदाताओं ने ‘मेक ऑस्ट्रेलिया ग्रेट अगेन’ वाली नकल को ठुकराकर स्थिरता और अपने मूल्यों को चुना।
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में 3 मई 2025 को राष्ट्रीय चुनाव हुए। इसमें सेंटर-लेफ़्ट लेबर पार्टी ने शानदार जीत हासिल की और विपक्षी कंजरवेटिव लिबरल-नेशनल गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। 150 सीटों वाले निचले सदन में प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज की पार्टी को कम से कम 87 सीटें मिलने की संभावना है। दक्षिणपंथी पार्टी के रूप में जानी जाने वाली लिबरल पार्टी को 150 सीटों वाले निचले सदन में केवल 40-41 सीटें मिलने का अनुमान है। यह 1946 के बाद पार्टी का सबसे ख़राब प्रदर्शन है।
इस नतीजे को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के ख़िलाफ़ वैश्विक भावना के रूप में देखा जा रहा है। इस जीत ने न केवल ऑस्ट्रेलिया की राजनीतिक दिशा को मज़बूत किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर ट्रम्प की नीतियों और उनके समर्थकों के लिए एक चेतावनी भी दी।
उन्होंने ट्रम्प के ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नारे की तर्ज पर ‘मेक ऑस्ट्रेलिया ग्रेट अगेन’ जैसे बयानों का सहारा लिया और सरकारी दक्षता मंत्रालय जैसी नीतियों का प्रस्ताव रखा। ये बिल्कुल ट्रम्प के डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्नमेंट एफिशिएंसी से प्रेरित थीं।
हालाँकि, यह रणनीति उलटी पड़ी। ऑस्ट्रेलियाई मतदाताओं ने ट्रंप की अस्थिर व्यापार नीतियों और वैश्विक अशांति के प्रति असंतोष व्यक्त किया। खासकर युवा वर्ग लिबरल पार्टी के नेता से नाराज़ दिखा। ट्रम्प द्वारा ऑस्ट्रेलिया के एल्यूमीनियम और स्टील पर 25% और अन्य सामानों पर 10% शुल्क लगाए जाने से मतदाताओं में असुरक्षा की भावना बढ़ी। एक सर्वेक्षण में 66% ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने कहा कि वे अमेरिका को एक भरोसेमंद सुरक्षा सहयोगी नहीं मानते। यह पिछले साल जून के 39% से काफी अधिक है।
अल्बनीज की अपील
एंथनी अल्बनीज ने इस चुनाव में स्थिरता और ऑस्ट्रेलियाई तरीके को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने ट्रम्प की नीतियों को अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाते हुए कहा, ‘हमें अपनी प्रेरणा विदेशों से लेने की जरूरत नहीं है। हम अपने मूल्यों और लोगों में ही प्रेरणा पाते हैं।’ उनकी यह रणनीति मतदाताओं को आकर्षित करने में सफल रही, खासकर उन लोगों को जो वैश्विक अनिश्चितता के बीच एक संतुलित नेतृत्व चाहते थे।
लेबर पार्टी ने रोजमर्रा के ख़र्चे, आवास की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। अल्बनीज सरकार ने हाल ही में परिवारों के लिए कई राहत उपाय शुरू किए, जैसे कि पहली बार घर खरीदने वालों के लिए कर छूट और न्यूनतम जमा राशि को कम करना। इससे उन्हें मतदाताओं का समर्थन मिला। इसके अलावा, लेबर की नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर नीतियों को भी युवा मतदाताओं ने सराहा, विशेष रूप से जब डटन की परमाणु ऊर्जा की वकालत को अव्यावहारिक माना गया।
डटन ने ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय प्रसारक और द गार्जियन अखबार को ‘हेट मीडिया’ कहा। यह भी उनको उल्टा पड़ा और इसने मध्यमार्गी मतदाताओं को उनसे दूर कर दिया। डटन की रणनीति ने कंजरवेटिव मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश की, लेकिन इससे निर्दलीय उम्मीदवारों और लेबर को फायदा हुआ।
कनाडा में भी दक्षिणपंथ को झटका!
ऑस्ट्रेलिया की यह जीत कनाडा में हाल की सेंटर-लेफ़्ट लिबरल पार्टी की जीत से मेल खाती है। कनाडा में भी ट्रम्प विरोधी भावना ने मतदाताओं को प्रभावित किया। कनाडा में हाल ही में हुए चुनाव में सेंटर-लेफ़्ट लिबरल पार्टी ने जीत हासिल की है। इस जीत में डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के ख़िलाफ़ मतदाताओं की मज़बूत भावना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कनाडाई मतदाताओं ने ट्रम्प की अस्थिर नीतियों और दक्षिणपंथी उग्रवाद के बजाय स्थिरता और उदार नीतियों को प्राथमिकता दी। यह जीत वैश्विक स्तर पर ट्रम्प विरोधी रुझान को दिखाती है, जैसा कि ऑस्ट्रेलिया के हालिया चुनाव में भी देखा गया।
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मतदाताओं ने अस्थिरता और दक्षिणपंथी उग्रवाद के बजाय स्थिरता और उदार नीतियों को चुना। यह वैश्विक स्तर पर एक बड़े रुझान को दिखाता है, जहां ट्रम्प की नीतियाँ और उनके समर्थकों की नकल करने वाले नेता मतदाताओं के बीच अलोकप्रिय हो रहे हैं।
भारत के लिए भी यह चुनाव कई सबक़ देता है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच, भारत ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता को प्राथमिकता दी है।
लेबर की जीत ने अल्बनीज को एक मज़बूत जनादेश दिया है, लेकिन चुनौतियाँ कम नहीं हैं। ट्रम्प की व्यापार नीतियों से उपजी आर्थिक अनिश्चितता, आवास संकट, और जलवायु कार्रवाई पर बढ़ते दबाव उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होंगे। दूसरी ओर, लिबरल पार्टी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा, क्योंकि ट्रम्प-शैली की राजनीति ने उन्हें नुकसान पहुंचाया है।
यह चुनाव ऑस्ट्रेलिया के लिए एक अहम पल है, जो दिखाता है कि मतदाता वैश्विक अशांति के समय स्थिरता और राष्ट्रीय मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं। ट्रम्प विरोधी भावना ने न केवल ऑस्ट्रेलिया और कनाडा, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक नई बहस छेड़ दी है, जहां उदार और मध्यमार्गी ताक़तें उग्र दक्षिणपंथ के ख़िलाफ़ मज़बूती से खड़ी हो रही हैं।