
Rajasthan cough syrup case
Rajasthan cough syrup case
Rajasthan cough syrup case: राजस्थान में डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड कफ सिरप से जुड़ा मामला अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। सरकार ने इस पूरे मामले में सिरप बनाने वाली केसन्स फार्मा कंपनी को क्लीन चिट दे दी है। जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि कंपनी द्वारा बनाए गए सिरप में किसी भी तरह की मिलावट या तकनीकी कमियां नहीं थी। वहीं दूसरी तरफ़, नकली दवा बनाने वाली कंपनियों को बचाने में शामिल अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है।
दरअसल, बीते कुछ महीने पहले राजस्थान के कई जिलों में बच्चों की तबीयत अचानक ख़राब होने के मामले सामने आए थे। जानकारी में सामने आया था कि इन बच्चों को डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप खांसी के इलाज के लिए दिया गया था। कुछ बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, वहीं एक बच्ची की इलाज के दौरान जान भी चली गई थी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से इस सिरप की सप्लाई बैन कर दी थी और सभी सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए थे।
जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
सरकारी जांच में यह खुलासा हुआ है कि केसन्स फार्मा द्वारा बनाए गए सिरप में किसी भी तरह की मिलावट या मानकों का उल्लंघन नहीं था। हालांकि, कुछ नकली कंपनियां इस ब्रांड के नाम पर फर्जी दवाएं बनाकर मार्केट में बेच रही थीं। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा और कुछ अन्य अधिकारी इन फेक कंपनियों को सुरक्षित करने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने लोकसभा, नीति आयोग और विभाग को फ़र्जी डेटा भेजा था, जिससे असली और नकली दवाओं के बीच भ्रम की स्थिति बन गयी। इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद संबंधित अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान आया सामने
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि, “हमारी तरफ़ से जो दवाइयां सरकारी अस्पतालों द्वारा मरीजों को दी गई थीं, उनमें किसी भी तरह की कोई खामियां नहीं मिली है। यह साबित हो गया है कि जिन बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ी, उन्हें जो सिरप दिया गया था, वह सरकारी अस्पताल की तरफ से नहीं था।” उन्होंने आगे कहा कि, “यदि माता-पिता या अभिभावक कहीं और से दवा लेकर बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को देते हैं, तो ऐसी स्थिति में विभाग जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”
कांग्रेस का तगड़ा हमला
इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने राज्य सरकार को घेर लिया और कहा है कि स्वास्थ्य विभाग और दवा कंपनियों के बीच मिलीभगत के कारण ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। विपक्ष का बड़ा आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर उन कंपनियों को सप्लाई की मंजूरी दी, जो दवा मानकों को पूरा नहीं करती थीं। कांग्रेस नेताओं ने जान गंवाए बच्ची के परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि सरकार को इस मामले में पारदर्शी जांच सुनिश्चित करनी चाहिए।
बता दे, सरकार की तरफ़ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि केसन्स फार्मा कंपनी निर्दोष है, जबकि नकली दवाओं के कारोबार में शामिल लोगों और अधिकारियों पर कार्रवाई जारी रहेगी।