पाकिस्तान के आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए सरकार करीब 30 सांसदों को दुनिया के कई देशों में भारत का पक्ष रखने के लिए भेज रही है। इसके लिए उसने सभी दलों से सलाह मांगी। लेकिन हैरानी तब हुई जब सरकार ने उन सात नामों की घोषणा शनिवार को कर दी जो अलग-अलग दलों का नेतृत्व करेंगे। इन सात नामों में कांग्रेस के सांसद शशि थरूर भी हैं, जबकि उनका नाम कांग्रेस ने नहीं भेजा। यानी वो मोदी सरकार की पसंद हैं। संसद में कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी दूसरा सबसे बड़ा विपक्षी दल है लेकिन उसके किसी भी नेता को मोदी सरकार ने किसी दल का नेतृत्व करने लायक नहीं समझा। सरकार सांसदों को विदेश भेजे जाने के नाम पर जबरदस्त राजनीति कर रही है।
कांग्रेस ने शनिवार को सरकार के रवैये को “बेईमानी” वाला बताते हुए तीखा हमला किया। उसने कहा कि वह पाकिस्तान में पनपे आतंकवाद पर भारत का रुख समझाने के लिए विदेशों में जाने वाले सरकारी प्रतिनिधिमंडल के लिए अपने चार नामांकित सांसदों के नाम “बदलने वाली नहीं है”। यानी अप्रत्यक्ष रूप से जो चार नाम हैं, वही कांग्रेस की तरफ से हैं।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब सरकार ने सात सांसदों की सूची जारी की है, जिनमें कांग्रेस नेता शशि थरूर भी शामिल हैं। ये सांसद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और वहां ऑपरेशन सिंधू के बारे में वैश्विक नेताओं को ब्रीफिंग देंगे। सात नामों में थरूर के अलावा भाजपा के रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय कुमार झा, डीएमके की कनिमोझी करुणानिधि, एनसीपी की सुप्रिया सुले और शिवसेना शिंदे गुट के श्रीकांत एकनाथ शिंदे।
कांग्रेस के महासचिव और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी ने सरकार के प्रस्तावित विदेशी प्रतिनिधिमंडल के लिए चार नाम दिए थे, लेकिन आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में शशि थरूर का नाम देखकर वे हैरान रह गए। जयराम रमेश ने कहा, “हमसे नाम मांगे गए थे। हमने उम्मीद की थी कि हमारे दिए गए नाम शामिल किए जाएंगे। लेकिन जब पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति देखी, तो हम हैरान रह गए। अब क्या होगा, मैं नहीं कह सकता। चार नाम मांगना, चार नाम देना और फिर किसी और का नाम घोषित करना सरकार की ओर से बेईमानी है।”
उन्होंने कहा कि संभव है कि केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने सरकार का फैसला होने के बाद भी राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की हो, और उन्होंने कहा कि वे रिजिजू को संदेह का लाभ देने को तैयार हैं।
जयराम रमेश ने जोर देकर कहा कि भले ही कांग्रेस से जुड़े सभी लोग पार्टी के हैं, लेकिन सिर्फ कांग्रेस में होना और वास्तव में कांग्रेस के होने में बहुत बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने हर मामले में पूरा समर्थन दिया था, लेकिन नामों की घोषणा होने पर वे “हैरान” रह गए।
बीजेपी और शशि थरूर
कांग्रेस नेता शशि थरूर को लेकर बीजेपी का रवैया शुरू से अजीबोगरीब है। जिस थरूर के नाम पर बीजेपी इस समय राजनीति कर रही है, उन्हीं थरूर के लिए कभी नरेंद्र मोदी ने थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर को 50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड कहा था। मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। यह अक्टूबर 2012 की बात है।
शशि थरूर और कांग्रेस के संबंध
वर्तमान में, शशि थरूर और कांग्रेस के बीच संबंधों में तनाव की स्थिति देखी जा रही है। थरूर, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद हैं, ने हाल के महीनों में कई मौकों पर नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और फैसलों की प्रशंसा की है। इनमें भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ नीति, वैक्सीन मैत्री पहल, और विदेश नीति से संबंधित कदम शामिल हैं। उनकी यह प्रशंसा कांग्रेस के आधिकारिक रुख से मेल नहीं खाती, जिसके कारण पार्टी के भीतर उनकी स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं, जैसे उदित राज, ने थरूर की टिप्पणियों पर सवाल उठाए और उन पर बीजेपी के प्रवक्ता की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया। इसके अलावा, कांग्रेस के मलयाली मुखपत्र ‘वीक्षणम डेली’ ने भी थरूर की टिप्पणियों की आलोचना की, जिससे पार्टी के साथ उनके रिश्ते में दरार स्पष्ट होती है।
थरूर और बीजेपी के संबंध
शशि थरूर और बीजेपी के बीच हाल के समय में एक असामान्य निकटता देखी गई है, जो उनके मोदी सरकार की प्रशंसा करने वाले बयानों से उजागर होती है। उदाहरण के लिए, थरूर ने पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की पाकिस्तान नीति और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सराहना की, जिसे बीजेपी ने कांग्रेस को जवाब देने के लिए इस्तेमाल किया। इसके अलावा, थरूर ने विज़िनजम बंदरगाह के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया और इस परियोजना को समर्थन देने की बात कही। बीजेपी नेताओं ने थरूर की इन टिप्पणियों का स्वागत किया और कांग्रेस को तंज कसते हुए कहा कि उनके ‘पुराने आलोचक अब प्रशंसक बन रहे हैं।’ हालांकि, थरूर ने स्पष्ट किया है कि वह बीजेपी में शामिल होने की योजना नहीं बना रहे हैं, लेकिन उनकी टिप्पणियों ने यह धारणा बनाई है कि वह बीजेपी के साथ एक रणनीतिक या व्यक्तिगत स्तर पर नरम रुख अपना रहे हैं।
नरेंद्र मोदी का पुराना बयान और वर्तमान परिप्रेक्ष्य
2012 में, तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने शशि थरूर की पत्नी स्वर्गीय सुनंदा पुष्कर को ’50 करोड़ की गर्लफ्रेंड’ कहकर विवाद खड़ा किया था, जो कोच्चि आईपीएल फ्रेंचाइजी से जुड़े आरोपों से संबंधित था। इस बयान ने उस समय थरूर और बीजेपी के बीच गहरी कटुता पैदा की थी, और सुनंदा ने भी इसका जवाब देते हुए मोदी की आलोचना की थी। हालांकि, आज स्थिति विडंबनापूर्ण है। थरूर की हालिया टिप्पणियां और बीजेपी का उनके प्रति सकारात्मक रवैया उस पुराने विवाद के बिल्कुल विपरीत है। कुछ एक्स पोस्ट्स में यह सवाल उठाया गया है कि क्या बीजेपी और थरूर के बीच कोई ‘सेटिंग’ हो चुकी है, और क्या थरूर का रुख बदल रहा है। फिर भी, थरूर ने बार-बार कहा है कि वह कांग्रेस के साथ बने रहेंगे, लेकिन उनकी हरकतें और बयान इस धारणा को बल दे रहे हैं कि वह बीजेपी के साथ एक नया रिश्ता बना रहे हैं। बीजेपी इस समय थरूर का जमकर इस्तेमाल कर रही है।