ईवीएम पर अब इंडिया गठबंधन के सहयोगियों में ही बयानबाज़ी शुरू हो गयी है। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा कांग्रेस पर चुनिंदा मौक़ों पर ईवीएम की शिकायत करने के आरोप लगाए जाने के बाद अब कांग्रेस ने पूछा है कि आख़िर उमर का यह रवैया सीएम बनने के बाद ही क्यों है
उमर अब्दुल्ला ने एक दिन पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि जब आप उसी ईवीएम से 100 से ज़्यादा सांसद बना लेते हैं तो आप अपनी पार्टी की जीत का जश्न मनाते हैं, लेकिन कुछ महीने बाद ही नतीजे उस तरह के नहीं होते हैं तो ईवीएम पर रवैया बदल जाता है। उमर के इस बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि उन्हें पहले तथ्य जाँच करने चाहिए। उन्होंने कहा कि ईवीएम के ख़िलाफ़ समाजवादी पार्टी, शिवसेना यूबीटी और शरद पवार की एनसीपी ने बोला था। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी का प्रस्ताव साफ़ तौर पर चुनाव आयोग को संबोधित करता है।
It’s the Samajwadi Party, NCP, and Shiv Sena UBT that have spoken against EVMs.
Please check your facts, CM @OmarAbdullah.
The Congress CWC resolution clearly addresses the ECI only.
Why this approach to our partners after being CM https://t.co/rr3mpyJqx8
— Manickam Tagore .B🇮🇳மாணிக்கம் தாகூர்.ப (@manickamtagore) December 16, 2024
इसके साथ ही टैगोर ने उमर अब्दुल्ला की इस दलील के समय को लेकर कटाक्ष किया है और पूछा है कि हमारे सहयोगियों को लेकर उनका यह रूख पहले क्यों नहीं आया और मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसा क्यों है
दरअसल, उन्होंने इस ट्वीट के माध्यम से उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के रूख में बदलाव आने का संकेत दिया है। तो सवाल है कि क्या सच में उमर अब्दुल्ला के रूख में बदलाव आया है क्या केंद्र द्वारा नियुक्त जम्मू कश्मीर के राज्यपाल को खुश करने का प्रयास है ताकि सरकार को कुछ सहयोग मिल सके ये ऐसे सवाल हैं जो मणिकम टैगोर के बयान से उभर कर सामने आते हैं।
बता दें कि हरियाणा और महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण चुनावी हार के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर चिंता व्यक्त करते हुए बैलेट पेपर वोटिंग की वापसी की वकालत की है। अब्दुल्ला ने रविवार को एक पीटीआई के साथ साक्षात्कार में कांग्रेस की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि वोटिंग मशीनें केवल तभी समस्या नहीं हो सकतीं जब आप चुनाव हार जाते हैं। अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब आपके 100 से अधिक सांसद उसी ईवीएम का उपयोग करते हैं, और आप इसे अपनी पार्टी की जीत के रूप में मनाते हैं, तो आप कुछ महीने बाद पलटकर यह नहीं कह सकते कि… हमें ये ईवीएम पसंद नहीं हैं क्योंकि अब चुनाव परिणाम उस तरह से नहीं आ रहे हैं जैसा हम चाहते हैं।’
उमर अब्दुल्ला ने अपना खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव हार गए थे तो उन्होंने कभी भी ईवीएम को दोष नहीं दिया। उन्होंने कहा, ‘आपको ईवीएम से दिक्कत कैसे हो सकती है और फिर भी आप चुनाव लड़ते रहें… अगर आपको मशीनों पर भरोसा नहीं है, तो आपको चुनाव नहीं लड़ना चाहिए… आप यह नहीं कह सकते कि अगर मैं जीत गया तो चुप रहूंगा और अगर मैं हार गया तो मशीनों में कुछ गड़बड़ है।’
इस मौके का फायदा उठाते हुए भाजपा ने उमर की टिप्पणी का इस्तेमाल कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधने के लिए किया। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस के जीतने पर ईवीएम अच्छी नहीं हो सकती और हारने पर खराब। राहुल गांधी लगातार हारे हुए व्यक्ति की तरह दिख रहे हैं, जिनके साथ कोई खड़ा नहीं होना चाहता।’