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    Home » किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी
    ग्राउंड रिपोर्ट

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 14, 2025No Comments7 Mins Read
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    मध्य प्रदेश में लगभग 27,000 किसान मित्र-दीदियों और 9,300 जनसेवा मित्रों के भविष्य पर सवालिया निशान लगा हुआ है। 2019 से अपनी बहाली की मांग कर रहे किसान मित्र-दीदियों और पिछले वर्ष हटाए गए जनसेवा मित्रों के ज्ञापनों पर सरकार अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। जबकि वर्तमान केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन दोनों संगठनों से बहाली के वादे किए थे।

    किसान मित्र-दीदियों का संघर्ष

    भारतीय किसान मित्र एवं दीदी मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजराज दंडोतिया बताते हैं,

    “वर्ष 2007 में कृषि विभाग की आत्मा योजना के अंतर्गत हमें ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा के अनुमोदन पर नियुक्त किया गया था। शुरुआत में हमें कोई प्रोत्साहन राशि नहीं मिलती थी। 2011 में 2,000 रुपए वार्षिक, 2016 में 4,000 रुपए, 2017 में 6,000 रुपए और 2018 से यह बढ़कर 12,000 रुपए वार्षिक हो गई, जिसमें 6,000 रुपए प्रदेश सरकार और 6,000 रुपए केंद्र सरकार वहन करती थी।”

    Didi mazdor sangh protest in MP

    दंडोतिया आगे बताते हैं, “2018 के विधानसभा चुनाव के बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने 1 दिसंबर 2019 को हमें हटा दिया। तब से लेकर आज तक न तो हमें बहाल किया गया और न ही केंद्र सरकार के द्वारा बढ़ाई गई प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया गया। तब से हम बहाली के लिए लगातार संघर्षरत हैं।”

    कृषि कर्मण पुरस्कार में किसान मित्रों की अहम भूमिका

    किसान मित्र-दीदियों के कार्य के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए दंडोतिया कहते हैं, “दो राजस्व गांव में एक किसान मित्र या दीदी नियुक्त थे। हमारी जिम्मेदारी थी कि हम अपने क्षेत्र के किसानों को खेती से संबंधित कार्यों के लिए जागरूक करें। हम किसानों को बताते थे कि उन्हें अपने खेत में कौन सी दवाई कब डालनी है, कौन सा बीज इस्तेमाल करना है। हम किसानों के खेतों का मिट्टी परीक्षण कराते और किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देते थे।”

    उन्होंने गर्व से कहा,

     “प्रदेश के किसान मित्र एवं दीदियों ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया, जिसके बलबूते पर मध्य प्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार से भी नवाजा गया है।”

    जनसंपर्क विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, मध्य प्रदेश को वर्ष 2011-12 से 2017-18 तक लगातार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है। इनमें 2011-12, 2012-13 एवं 2014-15 में खाद्यान्न श्रेणी के लिए, 2016-17 में गेहूं की फसल के लिए और 2017-18 में दलहन फसल के लिए पुरस्कार मिला है। लेकिन इसमें कहीं भी किसान मित्र-दीदियों के योगदान का उल्लेख नहीं किया गया है।

    तत्कालीन कृषि मंत्री भी थे बहाली के पक्ष में

    Janseva Mitra spreading awareness in villages

    दंडोतिया ने वर्ष 2023 में तत्कालीन कृषि एवं कल्याण मंत्री कमल पटेल की लिखी नोटशीट भी साझा की, जिसमें उल्लेख किया गया था: “मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा आत्मा योजना के अंतर्गत कार्य करने वाले लगभग 26 हजार किसान मित्र एवं दीदियों को हटाया गया था। कृषि प्रसार से संबंधित कार्यों में किसान मित्र एवं दीदियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इन्हें पद से पृथक किए जाने से कृषि प्रसार सेवाएं बाधित हो रही हैं और केंद्र के द्वारा प्रदाय बजट का भी सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। जो किसान मित्र एवं दीदी कांग्रेस सरकार के द्वारा हटाए गए हैं, उन्हें फिर से बहाल किया जाए।”

    लेकिन इस नोटशीट के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    जनसेवा मित्रों का दर्द

    Janseva Mitra Gyapan

    इसी प्रकार मध्य प्रदेश के लगभग 9,300 जनसेवा मित्रों की स्थिति भी दयनीय है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री जनसेवा इंटर्नशिप योजना के माध्यम से इन्हें नियुक्त किया था, लेकिन केवल एक वर्ष बाद ही इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

    जनसेवा मित्र संगठन के प्रदेश सचिव दिलीप कुमार शर्मा बताते हैं,

    “हमें 1 फरवरी 2023 से मुख्यमंत्री जनसेवा इंटर्नशिप योजना के माध्यम से ज्वाइनिंग दी गई थी। एक वर्ष तक हमने कार्य किया और फिर 2024 में हमें हटा दिया गया।”

    वे आगे बताते हैं, “अगस्त 2023 में जनसेवा मित्रों के लिए आयोजित कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट रूप से कहा था, ‘जनसेवा मित्रों का कार्य लगातार जारी रहने वाला है, उन्हें नहीं हटाया जाएगा।’ लेकिन डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनते ही हमें कार्य से अलग कर दिया गया। तब से हम अपनी बहाली के लिए प्रयासरत हैं।”

    योजनाओं के प्रचार-प्रसार में योगदान

    Janseva Mitra promoting Government schemes in Rural Areas

    शर्मा बताते हैं कि जनसेवा मित्रों ने विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश सरकार की समस्त योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने और ग्रामीणों को लाभान्वित करने का कार्य पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किया। उन्हें इसके लिए 10,000 रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता था, लेकिन अब वे सभी बेरोजगार हैं।

    “एक जनसेवा मित्र पर 2 से 3 ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी थी। हमारा कार्य था कि हम अपनी ग्राम पंचायत में रहने वाले ग्रामीणों को शासन की योजनाओं की जानकारी दें और लाभ दिलवाने में मदद करें,” शर्मा ने बताया।

    उन्होंने जोर देकर कहा, “मध्य प्रदेश में लागू की गई मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में ग्रामीण महिलाओं की ई-केवाईसी कराने और महिलाओं को लाभ दिलवाने में जनसेवा मित्रों का अहम योगदान रहा है। इसके बावजूद हमें केवल एक वर्ष में ही बेरोजगार कर दिया गया।”

    शिवराज सिंह चौहान का वादा

    Shivraj Singh chouhan's tweet on Janseva Mitra

    शर्मा ने शिवराज सिंह चौहान के वो ट्वीट और वीडियो भी साझा किए, जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री जनसेवा मित्रों के कार्य की प्रशंसा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक वीडियो में चौहान ने कहा था,

    “जनसेवा मित्र अगर किसी योजना में खामी बताएंगे तो मामा (शिवराज सिंह) उस खामी को भी दूर कर देगा, ताकि लोगों को कोई दिक्कत और परेशानी न हो। मैं वादा करता हूं कि यह योजना अगली सरकार में भी चलेगी, इसे बंद नहीं किया जाएगा।”

    युवा जोश से भरी एक पुरानी तस्वीर नजर आई।

    ये दिन था, अपने युवा साथियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का…

    मेरे प्यारे जनसेवा मित्रों ने अपने बेहतर कार्यों से सुशासन के संकल्प को नई शक्ति दी है। लाड़ली बहना योजना सहित सरकार की विभिन्न योजनाओ के क्रियान्वयन में महती भूमिका निभाई।… pic.twitter.com/lakPKxbVgD

    — Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 4, 2024

    क्या है वर्तमान स्थिति?

    Janseva Mitra talking to women in Rural areas

    विडंबना यह है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा सरकार दोबारा सत्ता में आई, लेकिन नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जनसेवा मित्रों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अब ये भी किसान मित्र-दीदियों की तरह अपनी बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

    दोनों संगठनों के कार्यकर्ता अब सवाल उठा रहे हैं कि जब सत्ता में वही दल है जिसने उनसे वादे किए थे, तो फिर उन वादों को क्यों नहीं निभाया जा रहा? क्या सिर्फ मुख्यमंत्री के चेहरे के बदलने से वादे भी बदल गए?

    किसान मित्र दीदी मजदूर संघ के अध्यक्ष दंडोतिया का कहना है,

    “हम अपनी बहाली के लिए पिछले पांच साल से लगातार संघर्ष कर रहे हैं। हमने अनेक बार प्रदर्शन और धरना किया है, लेकिन हर बार हमें सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं, कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”

    वहीं जनसेवा मित्र संगठन के प्रदेश सचिव शर्मा का कहना है, “हम वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपनी बहाली की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। हम बेरोजगारी से जूझ रहे हैं और सरकार हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।”

    इन दोनों संगठनों के आंदोलन से स्पष्ट है कि ग्रामीण विकास और कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ये कार्यकर्ता आज अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि उनके वर्षों के अनुभव और ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी पकड़ का लाभ सरकार को उठाना चाहिए, न कि उन्हें बेरोजगार छोड़ना चाहिए।

    सरकार से अपेक्षा है कि वह इन 36,000 से अधिक मित्र कार्यकर्ताओं की बहाली पर गंभीरता से विचार करे, ताकि न केवल उनका भविष्य सुरक्षित हो सके, बल्कि ग्रामीण विकास और कृषि क्षेत्र को भी मजबूती मिल सके। 

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