
Rabri Devi First Female CM of Bihar
Rabri Devi First Female CM of Bihar
Bihar First Female CM Rabri Devi History: पटना की गलियों में एक दौर ऐसा भी था, जब राजनीति केवल पुरुषों की बपौती मानी जाती थी। मगर 25 जुलाई 1997 को कुछ ऐसा हुआ, जिसने बिहार ही नहीं, पूरे देश को चौंका दिया। लालू यादव के जेल जाने के बाद बिहार की सत्ता अचानक एक ऐसी महिला के हाथों में आ गई, जिसे ना तो राजनीति का अनुभव था, ना ही मंच से बोलने की आदत। मगर वह महिला इतिहास रचने चली थी। उसका नाम था राबड़ी देवी। बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने वाली यह साधारण गृहणी धीरे-धीरे एक असाधारण राजनीतिक चेहरा बन गई। आइए जानते हैं, कौन हैं राबड़ी देवी? कहां तक पढ़ाई की, क्या है उनका पारिवारिक और राजनीतिक बैकग्राउंड? कैसे बनीं मुख्यमंत्री और उन्होंने कौन-कौन से फैसले लिए जो आज भी बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय हैं।
गृहिणी से मुख्यमंत्री तक का सफर
राबड़ी देवी का जन्म 1956 में बिहार के गोपालगंज जिले के सिसवा गाँव में हुआ था। उनका परिवार परंपरागत भूमिहार ब्राह्मण था। बेहद साधारण परिवेश में पली-बढ़ी राबड़ी देवी की शिक्षा दसवीं कक्षा से आगे नहीं हो सकी। कम उम्र में ही उनकी शादी लालू प्रसाद यादव से हो गई, जो उस समय छात्र राजनीति में सक्रिय थे। शादी के बाद राबड़ी देवी पूरी तरह से पारिवारिक जीवन में रम गईं। उन्होंने 9 बच्चों को जन्म दिया – 2 बेटे और 7 बेटियाँ। लालू यादव राजनीति में उफान पर थे और राबड़ी देवी घर-गृहस्थी संभाल रही थीं। उन्हें कभी सार्वजनिक जीवन में आने की इच्छा नहीं थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
जब लालू गए जेल और राबड़ी बनीं मुख्यमंत्री
1990 के दशक में लालू यादव बिहार के सबसे ताकतवर नेता बन चुके थे। मगर 1997 में चारा घोटाले के खुलासे ने उन्हें संकट में डाल दिया। जब उन्हें जेल जाना पड़ा, तब बिहार में राजनीतिक भूचाल आ गया। जनता दल (जिससे बाद में राष्ट्रीय जनता दल बना) के नेता सकते में थे कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा। लालू यादव ने जो निर्णय लिया, उसने पूरे देश को चौंका दिया — उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री पद का उत्तराधिकारी बना दिया। 25 जुलाई 1997 को राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और इसके साथ ही वह बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गईं।
‘रबर स्टैंप’ या चालाक राजनेता?
जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं, तो राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें “रबर स्टैंप सीएम” कहा। उनका तर्क था कि असली सत्ता लालू यादव के हाथ में है और राबड़ी केवल मुखौटा हैं। मगर धीरे-धीरे राबड़ी देवी ने अपनी पहचान बनानी शुरू की। उन्होंने अफसरशाही में फेरबदल किए, दलित और पिछड़े वर्गों के लिए योजनाएं शुरू कीं, और कई ऐसे निर्णय लिए जो केवल उनके नाम पर नहीं, उनके इरादों पर भी मुहर लगाते हैं। 1997 से 2005 के बीच वह तीन बार मुख्यमंत्री बनीं यह साबित करता है कि जनता ने उन्हें केवल ‘लालू की पत्नी’ नहीं, एक स्वतंत्र नेता के रूप में भी स्वीकार किया।
राजनीतिक विरासत और परिवार की ताकत
राबड़ी देवी और लालू यादव का परिवार बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार माना जाता है। उनके बेटे तेजस्वी यादव आज बिहार के डिप्टी सीएम हैं और खुद को अगला मुख्यमंत्री मानते हैं। बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं। तेज प्रताप यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं। राबड़ी देवी का परिवार अब “बिहार का गांधी-नेहरू परिवार” कहा जाता है — जहां राजनीति खून में बहती है। राबड़ी देवी खुद भी विधान परिषद सदस्य रही हैं और पार्टी की वरिष्ठ नेता मानी जाती हैं। तेजस्वी के निर्णयों में उनकी राय को गंभीरता से लिया जाता है।
चारा घोटाला और लालू की जेल यात्रा
1996 में जब ₹950 करोड़ के चारा घोटाले का पर्दाफाश हुआ, तो लालू प्रसाद यादव पर गंभीर आरोप लगे। घोटाले में सरकारी खजाने से फर्जी बिलों के जरिए पैसे निकाले गए थे। जब सीबीआई ने लालू पर केस दर्ज किया, तो मामला गंभीर हो गया। अंततः उन्हें 1997 में जेल जाना पड़ा। यह वही समय था, जब राबड़ी देवी को सीएम बनाया गया। इस पूरे घटनाक्रम में राबड़ी देवी ने अपने पति के पक्ष में मजबूती से खड़ी रहीं। उन्होंने पार्टी को बिखरने से बचाया और खुद को सत्ता में बनाए रखा।
मुख्यमंत्री रहते हुए बड़े फैसले
राबड़ी देवी ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान कई ऐसे फैसले लिए, जो चर्चा में रहे:
1.महिला सशक्तिकरण पर जोर: उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा दिया, स्कूलों में लड़कियों के लिए सुविधाएं बढ़ाईं।
2.दलित उत्थान योजनाएं: पिछड़े और दलित वर्गों के लिए सरकारी योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया।
3.बिहार पुलिस सुधार:अपराध पर नियंत्रण और थानों में महिला हेल्प डेस्क की शुरुआत की गई।
4.पंचायती राज व्यवस्था को मजबूती: महिलाओं के लिए पंचायतों में आरक्षण बढ़ाया गया।
विरोध और आलोचनाएं
राबड़ी देवी के शासनकाल को “जंगल राज” के रूप में भी प्रचारित किया गया, विशेषकर बीजेपी और जेडीयू ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए। बिहार में बढ़ते अपराध, अपहरण उद्योग, और बेरोजगारी जैसे मुद्दे उनके शासन की बड़ी आलोचनाएं बनीं। मगर समर्थकों का मानना है कि उनके शासन में सामाजिक न्याय की नींव रखी गई।
राबड़ी देवी की छवि आज: सियासत में ‘मां’ का दर्जा
आज राबड़ी देवी सक्रिय राजनीति में भले ही उतनी मुखर न हों, मगर राष्ट्रीय जनता दल में उन्हें “मातृ शक्ति” के रूप में देखा जाता है। तेजस्वी यादव की रणनीतियों में उनकी भूमिका अहम है। वे सार्वजनिक रूप से कम बोलती हैं, लेकिन पार्टी की आंतरिक राजनीति में उनकी राय निर्णायक मानी जाती है। उनकी सादगी, साफ-सुथरी छवि और मजबूत पारिवारिक रिश्ते उन्हें आज भी जनता से जोड़ते हैं। वे आधुनिक राजनीति में उन गिनी-चुनी महिलाओं में हैं, जिन्होंने बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के इतनी ऊंची ऊंचाई पाई।
राबड़ी देवी एक मिसाल
राबड़ी देवी की कहानी एक ऐसी महिला की कहानी है, जो अचानक राजनीति में आई और सबको चौंका दिया। उन्होंने सिखाया कि नेतृत्व केवल शिक्षा या अनुभव से नहीं आता, बल्कि आत्मबल, धैर्य और परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता से आता है। उनका मुख्यमंत्री बनना केवल एक राजनीतिक चाल नहीं था, वह एक सामाजिक क्रांति थी जब एक गृहिणी ने साबित कर दिया कि महिलाएं सत्ता संभाल सकती हैं, और मजबूती से संभाल सकती हैं। राबड़ी देवी एक नाम नहीं, एक मिसाल हैं भारतीय राजनीति में महिला नेतृत्व की, साहस की और पारिवारिक मूल्यों की।