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    Home » कौन हैं क्षमा सावंत, मोदी सरकार उन्हें भारत आने से क्यों रोक रही है?
    भारत

    कौन हैं क्षमा सावंत, मोदी सरकार उन्हें भारत आने से क्यों रोक रही है?

    By February 7, 2025No Comments6 Mins Read
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    क्षमा सावंत अमेरिका में जातिवाद, आर्थिक असमानता और श्रमिक अधिकारों के मुद्दों पर अपनी मुखर आवाज़ के लिए जानी जाती हैं। उन्हें अपनी बीमार माँ से मिलने के लिए भारत ने वीजा देने से इनकार कर दिया। यह घटना न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि भारत सरकार की विदेश नीति और मानवीय मूल्यों के प्रति उसके रवैये पर भी सवाल खड़े कर रही है।  

    My husband & I are in Seattle Indian consulate

    They granted him emergency visa for my mother being very sick. But rejected mine, literally saying my name is on a “reject list.” And refusing to give explanation why.

    We’re refusing to leave.

    They’re threatening to call the…

    — Kshama Sawant (@cmkshama) February 7, 2025

    क्षमा सावंत ने भारत सरकार के इस कदम की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह निर्णय मानवीय मूल्यों और परिवार के अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय उनकी राजनीतिक विचारधारा और अमेरिका में उनके काम के कारण लिया गया हो सकता है। हालांकि बाद में उनके पति को भारतीय वीजा दे दिया गया लेकिन क्षमा को वीजा नहीं दिया गया।

    सिएटल नगर परिषद की पूर्व सदस्य क्षमा सावंत को अब तक भारतीय अधिकारी दो बार वीजा देने से मना कर चुके हैं। हालांकि उनकी मां को फौरन देखभाल की जरूरत है। सावंत की अपील में उनकी मां की गंभीर स्थिति और देखभाल के लिए मौजूद रहने की जरूरत बताने के बावजूद इनकार किया गया। हाल ही में जमा किया गया एक आपातकालीन वीज़ा आवेदन भी अब तक स्वीकृत नहीं किया गया है।

    A Consular officer said I’m being denied a visa coz I’m on Modi govt’s “reject list.”

    It’s clear why.

    My socialist City Council office passed a resolution condemning Modi’s anti-Muslim anti-poor CAA-NRC citizenship law. We also won a historic ban on caste discrimination.…

    — Kshama Sawant (@cmkshama) February 7, 2025

    क्षमा ने आरोप लगाया है कि उन्हें वीजा से इनकार करना जाति पर उनके रुख, उनकी वामपंथी झुकाव वाली राजनीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की उनकी पिछली आलोचना का बदला लिया जाना है। विदेश मंत्री एस जयशंकर को लिखे पत्र में, उन्होंने अपनी मां के डॉक्टर का एक पत्र भी लगाया था, लेकिन वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। 

    क्षमा ने पहली बार 2024 में 26 जून से 15 जुलाई तक भारत आने की योजना बनाई थी। तदनुसार, उन्होंने उसी वर्ष मई में ई-वीजा के लिए आवेदन किया था। विदेशियों को मनोरंजन, दर्शनीय स्थलों की यात्रा, दोस्तों या रिश्तेदारों से मिलने, इलाज, अल्पकालिक योग कार्यक्रमों में भाग लेने या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ई-वीजा दिया जाता है। भारत सरकार ने पहली बार 26 मई को वीजा देने से मना किया। बिना वजह बताये बस इतना कहा गया कि वीज़ा अस्वीकार कर दिया गया है। क्षमा ने फिर से आवेदन किया, लेकिन 27 जून को दूसरी बार वीजा नामंजूर किया गया। लेकिन केल्विन को वीजा दे दिया गया था। इस बार भी वीजा नामंजूर करने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

    मोदी सरकार क्षमा सावंत का रास्ता क्यों रोक रही

    2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ सिएटल नगर परिषद में क्षमा सावंत के नेतृत्व में एक प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव उसी साल फरवरी में पारित किया गया था, जिसके बारे में क्षमा का कहना है कि यह अमेरिका में इस तरह का पहला कदम था। वह यह भी कहती हैं कि इसे सैकड़ों हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और विभिन्न अमेरिकी श्रमिक संघों का समर्थन प्राप्त था। इससे मोदी सरकार काफी नाराज हुई थी।

    क्षमा सावंत ने उस समय कहा था- “बीजेपी और मोदी के दक्षिणपंथी और कट्टर एजेंडे के खिलाफ लड़ाई, ट्रम्प और दक्षिणपंथी रिपब्लिकन के कट्टर एजेंडे के खिलाफ अमेरिकी प्रगतिवादियों के संघर्ष से अलग नहीं है। वास्तव में इससे गहराई से रूप से जुड़े हुए हैं।” क्षमा ने आरोप लगाया कि उस समय भी, भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने सिएटल नगर परिषद से प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने का आग्रह किया था।

    उसी साल क्षमा ने सिएटल नगर परिषद की संरक्षित श्रेणियों की सूची में जाति को जोड़ने के लिए जाति-विरोधी संगठनों के साथ काम किया। सिएटल में सर्वे से पता चला कि 1,500 उत्तरदाताओं में से 52% दलित और 25% शूद्र अपनी जाति की पहचान “बाहर” होने को लेकर चिंतित थे।

    बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थक वहां विधेयक के विरोध में दिखे। 

    तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 में सिएटल नगर परिषद ने प्रस्ताव पारित किया। 2021 में, केंद्र सरकार को – तीनों विवादित कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सिएटल के अलावा पूरी दुनिया में किसान आंदोलन को उस समय समर्थन मिला था। क्षमा ने कहा कि “जब आप एक मार्क्सवादी, एक समाजवादी और कामकाजी वर्ग के लोगों के लिए लड़ने वाले व्यक्ति बन जाते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रतिष्ठान का हर विंग दुश्मन बन जाता है, चाहे वह अमेरिका में हो या भारत में हो। राजनीतिक प्रतिष्ठान में विश्वास रखने के बजाय लोगों को संगठित करके जीतना संभव है। इसी से दक्षिणपंथी घबराये हुए हैं।

    दलित नेता प्रकाश आंबेडकर ने क्षमा सावंत को भारतीय वीजा न देने का विरोध किया है। प्रकाश ने कहा-  क्षमा बीजेपी के नेतृत्व वाले प्रशासन की अस्वीकृति सूची में हैं क्योंकि उन्होंने सिएटल सिटी काउंसिल में एक विधेयक पेश किया जिसके कारण सिएटल में जातिगत भेदभाव अवैध हो गया। उन्होंने सवाल किया कि क्या मोदी उन नेताओं के ख़िलाफ़ हैं जो जातिगत भेदभाव के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं

    उत्तर है, हाँ! भारत में भी और दुनिया में कहीं भी। 

    Former Seattle Councilmember @cmkshama is on BJP-led administration’s rejection list because she introduced a Bill in Seattle City Council which led to caste discrimination being illegal in Seattle.

    Is Modi against leaders who are fighting against caste discrimination

    The… https://t.co/OCdxALAKvU

    — Prakash Ambedkar (@Prksh_Ambedkar) February 7, 2025

    क्षमा सावंत का इतिहास

     क्षमा सावंत का जन्म 17 अक्टूबर 1973 को मुंबई, में हुआ था। उनका परिवार मध्यम वर्गीय था, और उन्होंने अपनी शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय से पूरी की। बाद में, वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चली गईं, जहाँ उन्होंने नॉर्थ कैरोलाइना स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। अमेरिका में रहते हुए, उन्होंने सामाजिक न्याय और श्रमिक अधिकारों के मुद्दों पर काम करना शुरू किया।  

     क्षमा सावंत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सोशलिस्ट ऑल्टरनेटिव (Socialist Alternative) नामक संगठन के साथ की। यह संगठन समाजवादी विचारधारा को बढ़ावा देता है और पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष करता है। 2013 में, वह सिएटल सिटी काउंसिल के लिए चुनी गईं थी। इस तरह वह अमेरिका में समाजवादी विचारधारा के आधार पर चुनी जाने वाली पहली शख्स बन गईं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने, किराये के मकानों पर नियंत्रण और श्रमिक अधिकारों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।  

    (इस खबर का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)

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