
BJP Politics: तो क्या यह मान लिया जाए कि शशि थरूर के कांग्रेस में दिन अब गिने चुने ही हैं? फरवरी 2025 से ही उनके और कांग्रेस पार्टी के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। और अब जब बीजेपी सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ दुनिया भर में भारत का पक्ष रखने के लिए बनाए गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने के लिए शशि थरूर को चुन लिया है तो कांग्रेस और थरूर की दूरियां और बीजेपी से उनकी नजदीकियां साफ नजर आने लगी हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने थरूर को कांग्रेस की आपत्ति के बावजूद डेलीगेशन में लिया है। कांग्रेस ने थरूर का नाम तक प्रस्तावित नहीं किया था। कांग्रेस ने जो चार नाम भेजे थे उन्हें दरकिनार करते हुए मोदी सरकार ने थरूर पर भरोसा जताया।
कांग्रेस से बढ़ती दूरियों और बीजेपी से नजदीकियों से दक्षिण में बन रहे नए समीकरण
केरल के तिरुअनंतपुरम से लागातार चौथी बार सांसद शशि थरूर की अंतरराष्ट्रीय समझ बेमिसाल है। थरूर साल 2009 में कांग्रेस से सांसद बनने से पहले संयुक्त राष्ट्र संघ में लंबे समय तक काम कर चुके थे। उनके इसी अनुभव को देखते हुए उन्हें विदेशी मामलों की संसदीय समिति का नेतृत्व करने का दायित्व पहले ही मिल चुका है।
बहरहाल यहां शशि थरूर की काबिलियत से अधिक उनको लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रही राजनीति की बात करते हैं। दक्षिण भारत में बीजेपी लगातार अपने पैर पसारने की कोशिश में है। हालांकि उसे अपेक्षित सफलता अभी तक नहीं मिली है। ऐसे में बीजेपी शशि थरूर पर डोरे डाल रही है, इसमें संदेह नहीं है। हाल ही में तिरुअनंतपुरम में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से शशि थरूर के कसीदे पढ़े और नजदीकी दिखाई उसे भी राजनीतिक हलकों में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के आगाज़ के तौर पर देखा गया।
उधर इस साल फरवरी में शशि थरूर ने एक ट्वीट से सबको चौंका दिया था जिसका हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है- ‘जहां अज्ञानता में ही सुख है वहां बुद्धिमान होना बेवकूफी है.’ थरूर के इस ट्वीट से कांग्रेस और कांग्रेस बाहर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई। ऐसा माना जा रहा है कि शशि थरूर की राहुल गांधी से नहीं पट रही है। साल 2022 में जब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हुआ था तब भी मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ उन्होंने चुनाव लड़ा था और हार गए थे।
पाकिस्तान और आतंकवाद पर मोदी सरकार का लगातार समर्थन कर रहे हैं थरूर
बीते कुछ दिनों का घटनाक्रम और नेताओं के बयान देखें तो शशि थरूर और बीजेपी की बढ़ती नजदीकियों को समझा जा सकता है। हाल ही में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और उसके बाद भारत की प्रतिक्रिया पर शशि थरूर ने खुलकर मोदी सरकार का साथ दिया है। बीजेपी और मोदी सरकार ने भी उनके बयानों को हाथों हाथ लिया है। कुल मिलाकर यदि दोनों के बीच यह अंडरस्टैंडिग ऐसे ही जारी रहती है तो दक्षिण भारत में बीजेपी को एक बड़े नेता का साथ मिल सकता है जो सुदूर केरल में बीजेपी के दरवाजे तो खोल ही सकता है साथ ही पूरे दक्षिण भारत में बीजेपी की उम्मीदों को पंख लगा सकता है। और इसके उलट कांग्रेस को अपने एक और थिंक टैंक से हाथ धोना पड़ सकता है।