
Bihar New CM Suspense: बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। चुनावी मौसम की आहट के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। शाह ने कहा है कि एनडीए आगामी बिहार विधानसभा चुनाव जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेगा, लेकिन चुनाव के बाद सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, यह फैसला निर्वाचित विधायक ही तय करेंगे। उनके इस बयान के बाद सूबे की सियासत में नई बहस शुरू हो गई है। और सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या इस बार बीजेपी अपने दम पर खेल बदल देगी?
अमित शाह का बड़ा बयान और नीतीश की भूमिका
अमित शाह ने नीतीश कुमार को भारतीय राजनीति का प्रमुख समाजवादी नेता बताते हुए कहा कि उनकी राजनीति हमेशा से कांग्रेस विरोधी रही है। उन्होंने याद दिलाया कि नीतीश कुमार जेपी आंदोलन के एक अहम चेहरा रहे हैं और आपातकाल के दौर में उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला था।
शाह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान होना है और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। शाह ने दावा किया कि इस बार एनडीए अपने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ देगा और बिहार में ऐतिहासिक जीत दर्ज करेगा।
मुख्यमंत्री कौन बनेगा, फैसला चुनाव बाद
गृह मंत्री ने साफ कहा, “मैं यह तय करने वाला नहीं हूं कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं। हम उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन चुनाव के बाद सभी सहयोगी दल बैठकर अपने नेता का चयन करेंगे।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद जब भाजपा की सीटें ज्यादा आईं, तब भी पार्टी ने गठबंधन का सम्मान करते हुए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया था, उनकी वरिष्ठता और राजनीतिक अनुभव के सम्मान में।
विपक्ष के आरोपों पर पलटवार
नीतीश कुमार की सेहत और निर्णय क्षमता पर विपक्ष के तंज का जवाब देते हुए शाह ने कहा, “मैंने नीतीश जी से कई बार लंबी बातचीत की है, कभी कोई असामान्यता नहीं दिखी। उम्र के कारण कुछ दिक्कतें होना स्वाभाविक है, लेकिन राज्य केवल मुख्यमंत्री नहीं बल्कि पूरी टीम चलाती है।”
शाह के इस बयान से साफ है कि भाजपा अभी नीतीश को लेकर खुला रुख रख रही है। न पूरी तरह समर्थन, न विरोध, बल्कि संतुलन साधने की कोशिश कर रही है।
राजद और कांग्रेस पर तीखा वार
अमित शाह ने इस मौके पर महागठबंधन को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “बिहार की जनता लालू प्रसाद यादव के दौर को आज भी याद रखती है, और उस अंधेरे युग में लौटना नहीं चाहती। कांग्रेस हमेशा अपने साथियों को छोटा दिखाकर खुद और छोटी होती चली गई, इसी वजह से उसने बिहार से लेकर बंगाल तक जनाधार खो दिया।” शाह ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन सिर्फ सत्ता का सौदा है, जिसमें जनता के हितों की कोई जगह नहीं।
तेजस्वी यादव का वादा सिर्फ एक सपना
राजद नेता तेजस्वी यादव के उस वादे पर भी शाह ने तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा था कि हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। शाह ने कहा, “इतनी नौकरियों के लिए 12 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है, जबकि बिहार का कुल बजट 3.25 लाख करोड़ का है। तेजस्वी को बताना चाहिए कि बाकी पैसा कहां से आएगा।” उन्होंने इसे बिहार के युवाओं से सफेद झूठ कहकर वोट के लिए खेली गई राजनीतिक चाल बताया।
चुनावी तापमान चढ़ा
अमित शाह के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। एनडीए के भीतर नीतीश की भूमिका पर सवाल भी उठ रहे हैं, तो विपक्ष इसे भाजपा की “रणनीतिक चाल” बता रहा है। एक बात तय है कि बिहार की सियासी फिजा में अब चुनावी गर्मी पूरी तरह चढ़ चुकी है, और आने वाले हफ्तों में नीतीश बनाम तेजस्वी के साथ-साथ अमित शाह का यह बयान भी सुर्खियों में रहने वाला है।