अहमदाबाद में मंगलवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक ने पार्टी के भविष्य की दिशा तय करने की कोशिश की। इस बैठक में संगठन को मज़बूत करने और बीजेपी के ख़िलाफ़ आक्रामक रुख अपनाने को प्राथमिकता दी गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के नेतृत्व में हुई इस बैठक में कई अहम फ़ैसले लिए गए, जिनका मक़सद पार्टी में नई ऊर्जा लाना और हाल की चुनावी हार से सबक़ लेना था। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बैठक वाक़ई कांग्रेस में नई जान फूँक पाएगी
कांग्रेस ने यह बैठक गुजरात के ऐतिहासिक सरदार पटेल भवन में आयोजित की, जो पार्टी के लिए प्रतीकात्मक महत्व रखता है। यह बैठक ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी यानी एआईसीसी के सत्र से पहले हुई, जिसका उद्देश्य संगठनात्मक ढांचे में नई जान फूंकना और 2025 को संगठन के लिए केंद्रित वर्ष के रूप में स्थापित करना है। हाल ही में हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में चुनावी हार के बाद पार्टी के भीतर आत्ममंथन की प्रक्रिया तेज हुई है। इसके अलावा, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस बीजेपी के ख़िलाफ़ मज़बूत विकल्प पेश करने की कोशिश में जुटी है।
LIVE: Shri @kcvenugopalmp and Shri @Jairam_Ramesh address press briefing after the conclusion of Extended CWC | Nyaypath Day 1 | Ahmedabad, Gujarat. https://t.co/6fAHTW2RzA
— Congress (@INCIndia) April 8, 2025
सीडब्ल्यूसी ने संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का रोडमैप तैयार किया। इसमें बूथ और जिला स्तर पर सक्रियता बढ़ाने, कार्यकर्ताओं को सशक्त करने और नेतृत्व को जवाबदेह बनाने पर जोर दिया गया। खड़गे ने कहा कि पार्टी को अपनी कमजोरियों को दूर करना होगा और 2025 को संगठन सृजन का साल बनाना होगा। इसके लिए ‘न्यायपथ’ प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें सामाजिक न्याय और आर्थिक सुधारों पर फोकस है। इसके साथ ही बीजेपी के ख़िलाफ़ देशव्यापी आंदोलन की योजना बनाई गई, जिसमें मणिपुर हिंसा, अडानी घोटाला और संवैधानिक संस्थाओं पर हमले जैसे मुद्दों को उठाया जाएगा।
इस बैठक का लक्ष्य मोटे तौर पर दो थे। पहला, संगठन में सुधार। हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हार के बाद कांग्रेस ने माना कि बिना मजबूत जमीनी संगठन के जीत मुश्किल है। इसके लिए जिला इकाइयों को शक्तिशाली बनाने और बूथ स्तर तक पहुंचने की योजना है। दूसरा, बीजेपी के खिलाफ आक्रामक रुख। राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी संविधान और लोकतंत्र पर हमला कर रही है, और कांग्रेस को इसका जवाब सड़क से संसद तक देना होगा। बैठक में यह भी तय हुआ कि पार्टी गांधी और पटेल की विरासत को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी के खिलाफ नैतिक और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी।
कांग्रेस ने बीजेपी पर तीखे हमले किए। खड़गे ने आरोप लगाया कि बीजेपी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है और धार्मिक उन्माद फैला रही है। राहुल गांधी ने बीजेपी को संविधान विरोधी करार देते हुए कहा कि वह गांधी की विरासत को ख़त्म करने की कोशिश कर रही है। मणिपुर में अशांति, अडानी समूह पर भ्रष्टाचार के आरोप और ‘प्लेसेज ऑफ़ वर्शिप एक्ट’ जैसे मुद्दों को उठाकर बीजेपी को घेरने की रणनीति बनाई गई। कांग्रेस का मानना है कि इन मुद्दों से वह जनता के बीच बीजेपी की छवि को नुक़सान पहुंचा सकती है।
क्या यह बैठक कांग्रेस में नई जान फूंक पाएगी यह सवाल सबसे बड़ा है। बैठक में संगठन को मजबूत करने की योजना और बीजेपी पर हमले की रणनीति को लेकर फ़ैसला लिया गया है।
गुजरात में बैठक का आयोजन और गांधी-पटेल की विरासत का ज़िक्र प्रतीकात्मक रूप से मज़बूत संदेश देता है। लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। पार्टी के भीतर एकजुटता की कमी, नेतृत्व पर सवाल और जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन की कमजोरी पहले भी देखी गई है। सोशल मीडिया पर कुछ कार्यकर्ताओं ने उत्साह दिखाया, लेकिन कई ने पूछा कि क्या ये फैसले कागजों से बाहर निकल पाएंगे
यह बैठक कांग्रेस के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है। संगठन को मज़बूत करने की दिशा में यह पहल पार्टी को बीजेपी के ख़िलाफ़ मज़बूत चुनौती पेश करने में मदद कर सकती है। हालाँकि, चुनौतियाँ कम नहीं हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के बाद पार्टी के भीतर नेतृत्व और रणनीति पर सवाल उठे हैं। कुछ नेताओं ने एक व्यक्ति पर पूरी जिम्मेदारी डालने के बजाय सामूहिक निर्णय लेने की वकालत की है।
सीडब्ल्यूसी की यह बैठक कांग्रेस के लिए एक नई शुरुआत की कोशिश है। संगठन को मज़बूत करने और बीजेपी के ख़िलाफ़ आक्रामकता दिखाने का फ़ैसला सही दिशा में है, लेकिन सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि ये योजनाएँ कितनी प्रभावी ढंग से लागू होती हैं। अगर कांग्रेस इसे जमीनी स्तर तक ले जा पाई तो यह नई जान फूँक सकता है। लेकिन अगर यह सिर्फ़ बातों तक सीमित रहा तो पार्टी की चुनौतियां और गहरा सकती हैं।