बुध धनु राशि में अस्त: वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है जो सूर्य के सबसे निकट स्थित हैं। ऐसे में, बुध देव की चाल, स्थिति और दशा में समय-समय पर बदलाव देखने को मिलता है। अब यह जल्द ही धनु राशि में अस्त होने जा रहे हैं जिसका प्रभाव देश-दुनिया और सभी राशियों पर दिखाई देगा। एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको बुध धनु राशि में अस्त से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय और सभी राशियों पर इसका प्रभाव आदि। साथ ही, इस लेख के माध्यम से हम यह भी बताएंगे कि कुंडली में बुध ग्रह के अशुभ या दुर्बल स्थिति में होने पर किन उपायों को अपनाकर आप बुध के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, बुध की अस्त अवस्था आपके जीवन में किस तरह के बदलाव लेकर आएगी, इससे भी आपको रूबरू करवाएंगे।
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आइए इस ब्लॉग की शुरुआत करते है और सबसे पहले नज़र डालते हैं बुध अस्त के समय और तिथि पर।
बुध धनु राशि में अस्त: तिथि एवं समय
बुध देव तेज़ गति से चलने वाले ग्रह हैं जो लगभग 23 से 27 दिनों में गोचर करते हैं। साथ ही, यह समय-समय पर अस्त, वक्री और मार्गी भी होते रहते हैं। अब बुध 18 जनवरी 2025 की सुबह 06 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि में अस्त हो जाएंगे। यह अपनी अस्त अवस्था से 26 फरवरी 2025 की रात 08 बजकर 41 मिनट पर कुंभ राशि में उदित हो जाएंगे। ऐसे में, एक लंबे समय तक बुध ग्रह के अस्त रहने से सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। चलिए अब जानते हैं बुध अस्त के बारे में।
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बुध की अस्त अवस्था और इसका महत्व
ज्योतिष में ग्रह की अस्त अवस्था वह प्रक्रिया है जब कोई ग्रह अपनी सारी शक्तियों को खो बैठता हैं। साथ ही, ग्रह कमजोर और शक्तिहीन हो जाता है। बता दें कि राहु/केतु के अलावा कोई भी ग्रह उस समय अस्त होता है जब वह 10 डिग्री के भीतर सूर्य के करीब चला जाता है। ऐसे में, सूर्य देव के प्रभाव की वजह से ग्रह कमजोर हो जाते हैं। इस प्रकार, धनु राशि में बुध के अस्त होने के कारण जातकों को एकाग्रता की कमी, सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होना और असुरक्षा की भावना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कब और किस डिग्री पर अस्त होते हैं ग्रह?
ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह एक विशेष डिग्री पर अस्त हो जाता है। मन के कारक ग्रह चंद्रमा 12 अंश पर, शुक्र ग्रह 9 अंश, बुध ग्रह 13 अंश, मंगल देव 07 अंश, शनि 15 अंश पर और गुरु ग्रह 11 अंश पर अस्त हो जाते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, जब कोई ग्रह सूर्य की परिधि में इतने अंश पर चले जाते हैं, तब वह अस्त हो जाते हैं। इसी प्रकार, जब कोई ग्रह सूर्य से 15 डिग्री की दूरी पर चले जाते है, तो ग्रह उदित माना जाता है।
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बुध ग्रह और इसका स्वभाव
बुध ग्रह के स्वभाव की बात करें तो, बुध को एक तटस्थ और परिवर्तनशील ग्रह माना जाता है जो कि स्त्री स्वभाव का अस्थिर ग्रह है। बुध वायु प्रकृति का ग्रह है और इनकी उत्तर दिशा है। बुध की उच्च राशि कन्या है और यह मीन राशि में नीच के होते हैं। कहते हैं कि बुध देव कभी भी स्वतंत्र रूप से काम नहीं करते हैं और सदैव उस राशि और भाव के अनुसार कार्य करते हैं या परिणाम देते हैं जिसमें वह विराजमान होते हैं। शुभ ग्रहों के साथ मौजूद होने पर यह जातकों को सकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं जबकि अशुभ ग्रहों के साथ होने पर कमज़ोर परिणाम देते हैं।
उदाहरण के रूप में, अगर कुंडली में बुध पापी ग्रहों जैसे राहु-केतु और मंगल आदि के साथ युति करते हैं, तो जातकों को अपने जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, इनके मंगल के साथ उपस्थित होने पर जातक में बुद्धि का अभाव रहता है।
मनुष्य पर बुध ग्रह का प्रभाव
एक तरफ, कुंडली में बुध देव के शुभ स्थान पर बैठ होने से जातकों को अच्छा स्वास्थ्य, वाणी में मधुरता और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। इनकी कृपा से जातक का संचार कौशल बेहतर होता है और ऐसे में, वह अपनी वाणी से दूसरों को आसानी से प्रभावित करने में सक्षम होता है। वह एक साथ कई कार्यों को कर सकते हैं।
जब बुध ग्रह अनुकूल या उच्च राशि में विराजमान होते हैं. तो व्यक्ति अपने विचारों को अच्छे से दूसरों के सामने रख पाता है और उसकी वाणी भी प्रभावशाली बनती है। बुध ग्रह की मज़बूत स्थिति जातक को सरल, विश्लेष्णात्मक और बुद्धिमान बनाती है। साथ ही, यह इंसान को ज्ञानी के साथ-साथ तर्कशास्त्र का ज्ञाता बनाते हैं। ऐसे जातक राजनीति के क्षेत्र में महारत हासिल करते हैं और वाद-विवाद में हराना बेहद मुश्किल होता है। साथ ही, इनमें सब कुछ सीखने की क्षमता होती है।
लेकिन, कुंडली में बुध ग्रह के दुर्बल होने पर जातक का संचार कौशल प्रभावित होता है। ऐसा इंसान चतुर और चालाक बनता है। साथ ही, अशुभ बुध इंसान को जुआरी, धोखेबाज़, झूठे और दिखावा करने वाला बना सकता है। ये दूसरों से किए गए वादे को बड़ी आसानी से भूल जाते हैं। इनका मूड भी बार-बार बदलता होता रहता है।
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बुध ग्रह को प्रिय रंग और शुभ अंक
ज्योतिष में नवग्रहों में से प्रत्येक ग्रह का एक प्रिय रंग, प्रिय अंक और दिन होता है जिनकी सहायता से उस ग्रह को प्रसन्न करना आसान हो जाता है जिस ग्रह की कृपा आप पाना चाहते हैं। बात करें ग्रहों के युवराज की, तो वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह के अंक, रंग और दिन का वर्णन किया गया है जिनके माध्यम से आप कुंडली में बुध की स्थिति मज़बूत कर सकते हैं। ऐसे जानते हैं कौन सा है वह शुभ अंक, रंग और दिन।
हरा रंग: बुद्धि के कारक ग्रह बुध को हरा रंग अति प्रिय है। यदि आप बुध ग्रह की कृपा पाना चाहते हैं, तो हरे रंग के कपड़े पहनना, हरे रंग की वस्तुओं या हरी सब्ज़ियों का दान करना श्रेष्ठ रहता है।
बुधवार: सप्ताह के सात दिनों में से बुध देव को बुधवार का दिन समर्पित है इसलिए हरे रंग के कपड़े धारण करना या फिर हरे रंग की वस्तुओं या सब्ज़ियों का दान बुधवार के दिन करना फलदायी साबित होता है।
अंक 05: अंक ज्योतिष में अंक 05 का स्वामी बुध ग्रह को माना जाता है। अगर आप बुध देव से शुभ फल प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको अपने जीवन में अंक 5 का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए।
चलिए अब जानते हैं उन उपायों के बारे में जिनकी मदद से कुंडली में बुध को मज़बूत किया जा सकता है।
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इन ज्योतिषीय उपायों से करें बुध ग्रह को मज़बूत
- कुंडली में बुध ग्रह के कमज़ोर होने पर जातक को प्रतिदिन स्नान करने के बाद बुध ग्रह के मंत्रो “ॐ बुं बुधाय नमः”, “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का जाप करना चाहिए।
- प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- संभव हो, तो बुधवार के दिन बुध ग्रह के लिए व्रत करें।
- घर में बुध यंत्र को स्थापित करें और नियमित रूप से उसकी पूजा-अर्चना करें।
- जातक को ज्यादा से ज्यादा हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए।
- नियमित रूप से भगवान विष्णु और बुध की आराधना करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जब बुध अस्त होते हैं, तब यह आपको त्वचा से संबंधित रोग दे सकते हैं।
ज्योतिष में बुध देव को बुद्धि, वाणी और तर्क का कारक ग्रह माना जाता है।
राशि चक्र की नौवीं राशि धनु के अधिपति देव गुरु ग्रह हैं।
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