
Shilpi Gautam Case (Photo: Social Media)
Shilpi Gautam Case
Shilpi Gautam Case: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ठीक पहले शिल्पी-गौतम केस का भूत एक बार फिर सामने आया है। लेकिन इस बार यह मामला भाजपा के लिए कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि इस कुख्यात केस में बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी का नाम सामने आ रहा है। 29 सितंबर को जनसुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मुद्दे को उठाया था और बिहार सरकार के मंत्री तथा जेडीयू नेता अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इसके बाद उन्होंने सम्राट चौधरी की डिग्री और उम्र को लेकर सवाल खड़े किए और मांग की कि उन्हें उनके पद से हटाया जाए और गिरफ्तार किया जाए। सबसे बड़ा झटका तब लगा जब प्रशांत किशोर ने सीधे तौर पर सम्राट चौधरी से कहा कि वे स्पष्ट करें कि क्या वे शिल्पी-गौतम केस में संदिग्ध हैं या नहीं।
शिल्पी-गौतम केस बिहार के राजनीतिक इतिहास का एक काला अध्याय माना जाता है। 1999 में हुई इस घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया था। उस समय बिहार लालू यादव और राबड़ी देवी के शासन में था, जिसे राजनीतिक जानकार अक्सर “जंगल राज” के नाम से याद करते हैं। घटना की शुरुआत 2 जुलाई 1999 की रात हुई जब पटना की रहने वाली शिल्पी जैन और उनके प्रेमी गौतम सिंह की हत्या कर दी गई। हत्या से पहले शिल्पी के साथ सामूहिक बलात्कार का भी आरोप लगा। अगले दिन दोनों के शव एक गैरेज में पाए गए, जो उस समय के मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई साधु यादव के आवास के पास था। साधु यादव का नाम इस मामले में कई बार सामने आया, लेकिन कभी इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं मिला कि उनका इस घटना में कोई हाथ था। सीबीआई ने इस केस की जांच की, साधु यादव से डीएनए सैंपल मांगने के बावजूद उन्हें वह नहीं मिल पाया और अंततः इस केस को सरकारी तौर पर एक “आत्महत्या केस” के रूप में बंद कर दिया गया।
प्रशांत किशोर ने अपने ताजा आरोपों में सम्राट चौधरी का नाम इस पुराने केस से जोड़ते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में संदिग्ध अभियुक्त के रूप में नामजद किया गया था या नहीं। उन्होंने इस सवाल का जवाब मांगते हुए कहा कि सम्राट चौधरी पहले इस पर खुलकर जवाब दें, तभी वे इस मामले से जुड़ी संबंधित दस्तावेज जनता के सामने लाएंगे। पीके ने यह भी आरोप लगाया कि लालू प्रसाद यादव ने साधु यादव को बचाने के लिए इस केस को दबवा दिया था, जिससे न्याय के रास्ते में बाधा आई।
वहीं, सम्राट चौधरी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी भी नहीं है। उन्होंने बताया कि राकेश नामक व्यक्ति जो इस केस से जोड़ा जा रहा है, वह हाजीपुर का एक आइसक्रीम बेचने वाला है और उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने प्रशांत किशोर को कानूनी नोटिस वापस लेने को कहा और चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर वे 500 करोड़ रुपये का मुकदमा करेंगे।
यह मामला न केवल बिहार की राजनीति में तहलका मचा सकता है, बल्कि चुनावी रणनीति को भी प्रभावित कर सकता है। शिल्पी-गौतम केस का इस्तेमाल अक्सर आरजेडी के “जंगल राज” के काले अध्याय के रूप में भाजपा की तरफ से किया जाता रहा है। अगर इस केस में भाजपा के किसी बड़े नेता का नाम जुड़ता है, तो यह भाजपा के लिए चुनावी मोर्चे पर बड़ी चुनौती बन सकता है। यह आरोप तेजस्वी यादव के खिलाफ भाजपा के “जंगल राज” के नैरेटिव को कमजोर कर सकता है, जिससे आरजेडी को नया राजनीतिक उत्साह मिल सकता है।
फिलहाल प्रशांत किशोर ने इस मामले में कोई ठोस दस्तावेज पेश नहीं किए हैं और सम्राट चौधरी की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। आने वाले दिनों में यह मामला बिहार की राजनीति में कितना बड़ा मोड़ लाता है, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन इतना तय है कि चुनावी मौसम में इस तरह के गंभीर आरोप राजनीतिक माहौल को गरमाएंगे और सभी दल इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देंगे।