दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा कभी भी हो सकती है। इसलिए आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल रोजाना हर वर्ग और समुदाय से जुड़े चुनावी वादों का ढेर लगाते जा रहे हैं। महिलाओं को 2100 रुपये महीना भत्ता देने की घोषणा विवादों में है, इसी बीच सोमवार को उन्होंने फिर बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि आप सत्ता में लौटी तो मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये मासिक वेतन देगी। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केजरीवाल ने 30 दिसंबर 2024 को कहा, “पुजारी और ग्रंथी हमारे धार्मिक रीति-रिवाजों के संरक्षक रहे हैं, निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करते हैं। दुर्भाग्य से, किसी ने कभी भी उनकी वित्तीय भलाई का ध्यान नहीं रखा। केजरीवाल जब यह घोषणा कर रहे थे तो उसी समय मस्जिदों के इमाम वेतन न मिलने की वजह से प्रदर्शन कर रहे थे।
पुजारियों और ग्रंथियों को मिलेगी ₹18,000 की सम्मान राशि, केजरीवाल जी ने किया एलान..
देश में पहली बार ‘पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना’ के तहत मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारा के ग्रंथियों को हर महीने दी जाएगी ₹18,000 की सम्मान राशि ✌🏼
–@ArvindKejriwal pic.twitter.com/C19dU4vkKQ
— Meena Joshi AAP Delhi (@MeenaJoshi_) December 30, 2024
केजरीवाल ने कहा कि पुजारियों और ग्रंथियों को वेतन देने की योजना का रजिस्ट्रेशन मंगलवार से शुरू होगा। वो व्यक्तिगत रूप से हनुमान मंदिर में इस प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे। केजरीवाल ने कहा- “मैं भाजपा से अनुरोध करता हूं कि वह रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में बाधाएं न डाले। इसे रोकना पाप होगा क्योंकि वे (पुजारी-ग्रंथी) भगवान और हम लोगों के बीच एक पुल की तरह हैं।”
केजरीवाल ने इससे पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए संजीवनी योजना, फिर महिला सम्मान योजना और अब पुजारियों के लिए मासिक वेतन योजना की घोषणा की।
संजीवनी योजना के तहत, आप ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने का दावा किया, जबकि महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये मिलेंगे।
केजरीवाल की राजनीतिः पुजारी खुश, इमाम नाखुश
ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के नेतृत्व में सोमवार 30 दिसंबर को मस्जिदों के इमामों ने केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन किया। एसोसिएशन के प्रमुख साजिद रशीदी ने कहा कि वो लोग अपने वेतन के लिए केजरीवाल से मिलने आये हैं, क्योंकि इमामों को पिछले 17 महीने से वेतन नहीं मिला है।
Arvind Kejriwal announced honorarium for Hindu priests and Sikh Granthis.
Meanwhile Muslims are protesting outside his residence for not paying Imams since past 17 months.
These days Kejriwal is facing setback within few hours of announcement.
— News Arena India (@NewsArenaIndia) December 30, 2024
इमाम एसोसिएशन प्रमुख रशीदी ने दिल्ली सरकार से चुनाव से पहले वक्फ बोर्ड को पैसा जारी करने का आग्रह किया।
रशीदी ने कहा- “इमामों को पिछले 17 महीनों से उनका वेतन नहीं मिला है, इसलिए हम दिल्ली सरकार को चुनाव से पहले वक्फ बोर्ड को यह पैसा जारी करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि एमसीसी लागू होने के बाद पूरी प्रक्रिया रुक जाती है।”
साजिश रशीदी ने बताया कि इमाम लोग दिल्ली की सीएम आतिशी, उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ-साथ वरिष्ठ और अन्य अधिकारियों से भी मिल चुके हैं। अगर अब हमें जवाब नहीं मिला तो हम यहीं धरने पर बैठ जाएंगे और तब तक नहीं उठेंगे जब तक हमें हमारा वेतन नहीं मिल जाता। पिछले कई दिनों से केजरीवाल से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।
दिल्ली वक्फ बोर्ड में सीईओ नहीं
इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड में फिलहाल कोई सीईओ नहीं है, जिससे वेतन मिलने में और देरी हो जाती है।
इसलिए दिल्ली सरकार एक पूर्णकालिक सीईओ नियुक्त करे। ताकि भविष्य में इमामों का वेतन न रुक सके। इससे पहले, रशीदी ने दावा किया था कि लगभग 250 इमाम परेशान हैं और उनका वेतन केवल ₹18,000 प्रति माह है।
क्या है राजनीति
केजरीवाल की पुजारियों और ग्रंथियों की सैलरी की घोषणा पूरी तरह से राजनीतिक घोषणा है। दूसरी तरफ उन्हीं की पार्टी इमामों के लिए भी उतने ही वेतन की घोषणा कई साल पहले कर चुकी है। लेकिन उन्हें डेढ़ साल से वेतन नहीं मिल रहा है। दिल्ली में मुस्लिम मतदाता आमतौर पर आप और कांग्रेस को वोट देते रहे हैं। लेकिन इस बार भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने के मकसद से उन्होंने पुजारियों और ग्रंथियों को भी वेतन देने की घोषणा की है। सवाल यह है कि पिछले पांच वर्षों में पुजारियों और ग्रंथियों के लिए क्यों नहीं सोचा गया। चुनाव के समय ही पुजारी और ग्रंथी क्यों याद आये। दूसरी तरफ केजरीवाल ने इमामों के बकाया वेतन पर चुप्पी साध रखी है। आरोप है कि अगर केजरीवाल इमामों को लेकर कोई घोषणा करेंगे तो भाजपा फौरन मुस्लिमों को खुश करने का आरोप लगाएगी। केजरीवाल यह जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं।