कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने ऑपरेशन सिंदूर और सरकार द्वारा विदेश भेजी गई सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने एक बयान में कहा कि पहलगाम हमले के पीछे के आतंकवादी अभी तक पकड़े नहीं गए हैं और विश्व की राजधानियों में बैठकें करने वाली सर्वदलीय टीमें घूम रही हैं। रमेश के इस बयान ने सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष के बीच एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
रमेश ने एएनआई से बातचीत में कहा, ‘पहलगाम में अप्रैल में हुए हमले को एक महीना बीत चुका है। आतंकवादी अभी भी इधर-उधर घूम रहे हैं… हमारे सांसद घूम रहे हैं और आतंकवादी भी घूम रहे हैं। हम ये सवाल गंभीरता से पूछ रहे हैं। सरकार इन सवालों का जवाब नहीं देती। भाजपा केवल कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाती है। उनका हमला आतंकवादियों पर होना चाहिए… पाकिस्तान पर होना चाहिए। आतंकवादियों को गिरफ्तार करना चाहिए।’
रमेश के इस बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे ‘सांसदों की तुलना आतंकवादियों से करने’ वाला और बेहद घटिया बयान करार दिया। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “यह वही कांग्रेस है जो ऑपरेशन सिंदूर को ‘छुटपुट’ कहकर हमारे सैन्य हमले का अपमान करती है और अब हमारे कूटनीतिक प्रयासों को भी कमजोर कर रही है।” उन्होंने सवाल उठाया कि संसद को रमेश के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए।
भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि राहुल गांधी के दाहिने हाथ जयराम रमेश ने सांसदों की तुलना आतंकवादियों से की! वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, ‘यह बयान अत्यंत निंदनीय और चिंताजनक है। यह पूरे देश के लिए शर्मनाक है कि एक भारतीय नेता अपने सांसदों की तुलना आतंकवादियों से करे। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद से कांग्रेस और राहुल गांधी, पीएम मोदी द्वारा उठाए गए मजबूत कदमों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बयान उसी दिशा में एक और प्रयास है।’
इस पर कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने कहा कि यूपीए सरकार ने भी ऐसी स्ट्राइक की थीं, लेकिन उन्हें राजनीतिक लाभ के लिए प्रचारित नहीं किया गया। उदित राज ने तंज कसते हुए कहा, ‘मैं पीएम मोदी से अनुरोध कर सकता हूं कि वे थरूर को भारत लौटने से पहले भाजपा का सुपर प्रवक्ता या विदेश मंत्री भी घोषित कर दें।’
पवन खेड़ा ने थरूर की किताब द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर का एक अंश साझा किया, जिसमें 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के ‘बेशर्मी भरे राजनीतिक उपयोग’ की आलोचना की गई थी। खेड़ा ने कहा, ‘मैं डॉ. शशि थरूर द्वारा 2018 में सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में लिखी गई बातों से सहमत हूं।’
इन आरोपों पर थरूर ने गुरुवार को अपने बयान पर सफाई दी और कहा, ‘जो लोग मेरे बयान को लेकर उत्तेजित हो रहे हैं, मैं साफ़ तौर पर केवल आतंकवादी हमलों के जवाब में की गई कार्रवाइयों की बात कर रहा था, न कि पिछली जंगों की। मेरे बयान से पहले मैंने हाल के वर्षों में हुए कई हमलों का जिक्र किया था, जिनके जवाब में भारत की प्रतिक्रिया संयमित और नियंत्रित थी, क्योंकि हम नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा का सम्मान करते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन हमेशा की तरह, आलोचक और ट्रोल मेरे विचारों और शब्दों को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ सकते हैं। मेरे पास वास्तव में इससे बेहतर काम हैं।’
रमेश ने अपने बयान में सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने से बच रही है। उन्होंने कहा, ‘सुना जा रहा है कि 25 और 26 जून को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के लिए विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। 2014 से हमारे देश में एक अघोषित आपातकाल लागू है। वह 50 साल पहले की घटनाओं पर विशेष सत्र बुलाना चाहते हैं? आज के सवालों से ध्यान भटकाने के लिए वे इसका जिक्र कर रहे हैं। आप राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयानों पर चुप हैं। आपने चीन को क्लीन चिट दे दी और आप चुप हैं। जब विपक्ष एकता की बात कर रहा है, तो आप ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण क्यों कर रहे हैं?’
जयराम रमेश के इस ताजा बयान ने न केवल सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी मतभेदों को उजागर किया है। थरूर के बयान और रमेश की टिप्पणी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विपक्ष एकजुट होकर सरकार की नीतियों का विरोध कर पाएगा, या आंतरिक मतभेद इसे कमजोर करेंगे। दूसरी ओर, भाजपा ने रमेश के बयान को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताकर इसे एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश की है।