अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के ग़ज़ा पर कब्जे के प्लान को इज़राइल को छोड़कर किसी भी देश से समर्थन नहीं मिल रहा है। ट्रम्प की खतरनाक योजना को लेकर न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने आपत्ति जताई है, बल्कि यहूदी समुदाय के भीतर से भी अब इसका जोरदार विरोध हो रहा है। इस संबंध में न्यूयॉर्क टाइम्स में पूरे पेज के विज्ञापन पर दुनिया की नज़र गई है। यह विज्ञापन मशहूर यहूदी हस्तियों की ओर से आया है। जिसमें कलाकार टोनी कुशनर, एक्ट्रेस इलाना ग्लेजर, बेन एंड जेरीज़, पत्रकार पीटर बेनार्ट सहित 350 प्रगतिशील यहूदियों हस्ताक्षर किये हैं। इन सभी ने ट्रम्प के ग़ज़ा प्लान के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई है। विज्ञापन का शीर्षक है- “यहूदी लोग कहते हैं: नस्लीय सफ़ाया नामंजूर!”
ट्रम्प के पहले बयान से इसकी शुरुआत हुई थी- अमेरिका ग़ज़ा पर कब्जा करेगा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में स्थिरता कायम करने के लिए यही उपाय है। फिलिस्तीनियों को यहां से हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने गाजा के 2.3 मिलियन निवासियों को मिस्र और जॉर्डन में भेजने का प्रस्ताव दिया है। लड़ाई खत्म होने के बाद ग़ज़ा को इज़राइल द्वारा अमेरिका को सौंप दिया जाएगा।” प्लान की और जानकारी आगे पढ़िये।
ट्रम्प ने आगे कहा: “अमेरिका के किसी भी सैनिक की वहां जरूरत नहीं होगी! हमें लोगों को स्थायी रूप से, अच्छे घरों में बसाने के लिए वहां एक सुंदर क्षेत्र मिलेगा, जहाँ वे खुश रह सकते हैं। इसके बाद ग़ज़ा में न गोली चलेगी, न चाकू चलेगा और न लोग मरेंगे। (बहरहाल, ग़ज़ा में फिलिस्तीनियों की हत्याएं कौन कर रहा है, ट्रम्प ने अपने बयान में कभी इसका जिक्र नहीं किया।) ट्रम्प ने फरमाया ग़ज़ा को “मध्य पूर्व के रिवेरा” (तट) के रूप में पुनर्विकसित किया जाना चाहिए। हमारे पास कुछ ऐसा करने का अवसर है जो अभूतपूर्व हो सकता है। वहां कोई फिलिस्तीनी नेतृत्व वाली सरकार नहीं होगी।”
भारत-पाकिस्तान में आम लोग इसे ट्रम्प का तुगलकी फरमान बता रहे हैं। मोदी सरकार का इज़राइल के प्रति झुकाव होने के बावजूद भारत ने हमेशा दो राष्ट्र यानी इज़राइल और फिलिस्तीन को माना है। भारत इसे इसी रूप में देखता है। ट्रम्प की योजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से खारिज किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अरब देशों ने इस योजना को एकतरफा और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की अनदेखी करने वाला बताया है। यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि किसी भी शांति योजना को दोनों पक्षों की सहमति से ही लागू किया जाना चाहिए। फिलिस्तीनी नेताओं ने इस योजना को “नस्लीय भेदभाव” और “फिलिस्तीनी लोगों के अस्तित्व को खत्म करने की साजिश” करार दिया है।
ट्रम्प की योजना का सबसे जोरदार विरोध यहूदी समुदाय के भीतर से ही आया है। न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित विज्ञापन में 350 से अधिक प्रगतिशील यहूदी हस्तियों और रब्बियों ने इस योजना की निंदा की है। इस विज्ञापन में कहा गया है, “हम यहूदी लोग नस्ली सफ़ाये के खिलाफ हैं। हम ट्रम्प की ग़ज़ा योजना को खारिज करते हैं, जो फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को कुचलने का प्रयास करती है।”
न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित विज्ञापन
विज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में 350 लोगों में प्रसिद्ध नाटककार टोनी कुशनर, एक्ट्रेस इलाना ग्लेजर, आइसक्रीम कंपनी बेन एंड जेरीज़ के संस्थापक बेन कोहेन और जेरी ग्रीनफील्ड, पत्रकार पीटर बेनार्ट भी शामिल हैं। इन लोगों ने कहा कि ट्रम्प की योजना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह यहूदी मूल्यों और नैतिकता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यहूदी इतिहास में नस्लीय उत्पीड़न और सफ़ाया का दर्द झेल चुका है, और इसलिए वे किसी भी तरह के नस्लीय भेदभाव का विरोध करते हैं।
Full-page ad in the NYTimes signed by Tony Kushner, Ilana Glazer, Ben & Jerry’s, Peter Beinart and 350 liberal and progressive rabbis against Trump’s Gaza plan.,
“Jewish people say NO to ethnic cleansing!” pic.twitter.com/j6FFgywNSy
— Jacob N. Kornbluh (@jacobkornbluh) February 13, 2025
विज्ञापन में ट्रम्प की योजना को “नस्ली सफ़ाये” की कोशिश करार दिया गया है। यह आरोप इसलिए लगाया गया है क्योंकि इस योजना में फिलिस्तीनी लोगों को उनकी जमीन से विस्थापित करने और उनके अधिकारों को सीमित करने की बात कही गई है। यहूदी नेताओं ने कहा कि यह योजना फिलिस्तीनी लोगों के अस्तित्व को खतरे में डालती है और यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। यहां बताना जरूरी है कि आइसक्रीम कंपनी बेन एंड जेरीज के संस्थापकों ने यूनीलीवर कंपनी के खिलाफ नवंबर 2024 में अमेरिका में एक मुकदमा किया है। दरअसल, यूनीलीवर इस आइसक्रीम की मार्केटिंग करती है। बेन एंड जेरीज ने जब ग़ज़ा में फिलिस्तीनी लोगों को सहायता भेजकर मदद करना चाही तो यूनीलीवर ने उनके इस प्रयास को रोक दिया।
यहूदी समुदाय के भीतर प्रगतिशील और उदारवादी समूहों ने हमेशा से फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन किया है। इन समूहों का मानना है कि इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच शांति केवल तभी संभव है जब दोनों पक्षों के अधिकारों और आकांक्षाओं का सम्मान किया जाए। ट्रम्प की योजना को लेकर इन समूहों ने कहा कि यह योजना एकतरफा है और इसमें फिलिस्तीनी लोगों की आवाज़ को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।
ट्रम्प प्रशासन ने इस विरोध को खारिज करते हुए कहा है कि यह योजना इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच शांति स्थापित करने का सबसे अच्छा मौका है। ट्रम्प के वरिष्ठ सलाहकार जेरेड कुशनर ने कहा कि यह योजना “वास्तविकता पर आधारित” है और इसमें दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखा गया है। लेकिन जेरेड कुशनर के बयान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कोई तवज्जो नहीं दी।
ट्रम्प के तुगलकी फरमान को खारिज किये जाने की वजह कुछ और तथ्य भी हैं- संयुक्त राष्ट्र चार्टर और जिनेवा संधि के अनुसार, जबरन जनसंख्या विस्थापन गैरकानूनी है। ट्रम्प की योजना फिलिस्तीन-इज़राइल के मौजूदा संघर्ष को और अधिक जटिल बना सकती है। एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं ने इसे फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों का हनन बताया है। इन तीन तथ्यों की अनदेखी ट्रम्प कैसे कर पायेंगे। ट्रम्प और इज़राइल मिलकर इसका एक रास्ता यह निकाल सकते हैं और जिसकी तैयारी भी चल रही है कि ग़ज़ा में फिर से युद्ध शुरू हुआ। ग़ज़ा को और बर्बाद कर दिया जाये। वेस्ट बैंक के उन हिस्सों पर भी कब्जा कर लिया जाये, जो अभी बचे हुए हैं।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)