
ADR Report on Nepotism: राजनीति में वंशवाद पर एक-दूसरे को घेरने वाले राजनीतिक दल भी इस बीमारी से अछूते नहीं हैं। लोकसभा हो या विधानसभा, वंशवाद की जड़ें हर जगह फैल चुकी हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 5204 सांसद, विधायक और विधान पार्षद हैं, जिनमें से 21 प्रतिशत राजनीतिक परिवारों से आते हैं। लोकसभा में इनकी हिस्सेदारी सबसे अधिक 31 प्रतिशत है। राष्ट्रीय दलों में 20 प्रतिशत प्रतिनिधियों की पृष्ठभूमि वंशवादी है, जिसमें कांग्रेस का हिस्सा 32 प्रतिशत और बीजेपी का 18 प्रतिशत है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में यह आंकड़ा सबसे कम, केवल 8 प्रतिशत है। बिहार में यह आंकड़ा 27 प्रतिशत है।
बिहार में RJD और JD(U) में 30-40 प्रतिशत वंशवाद
रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 360 मौजूदा सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों में से 96 (27 प्रतिशत) वंशवादी पृष्ठभूमि से आते हैं। वामपंथी दलों, माकपा और आम आदमी पार्टी (AAP) में वंशवाद की दर सबसे कम है। वहीं, ‘सामाजिक न्याय’ या जाति-आधारित क्षेत्रीय दलों जैसे समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और जदयू में 30-40 प्रतिशत वंशवाद पाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में कुल 604 सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों में से 141 (23 प्रतिशत) वंशवादी पृष्ठभूमि वाले हैं। महाराष्ट्र में 403 मौजूदा सदस्यों में से 129 (32 प्रतिशत) वंशवादी पृष्ठभूमि वाले हैं, जबकि बिहार में 96 (27 प्रतिशत) और कर्नाटक में 94 (24 प्रतिशत) वंशवादी पृष्ठभूमि से आते हैं।
महिला नेताओं में भी वंशवाद का प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, महिला प्रतिनिधित्व वाले राज्यों में महिलाओं का वंशवादी आंकड़ा पुरुषों से अधिक है। महाराष्ट्र में 69 प्रतिशत महिला और 28 प्रतिशत पुरुष प्रतिनिधि वंशवादी हैं। आंध्र प्रदेश में 69 प्रतिशत महिलाएं और 29 प्रतिशत पुरुष राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। बिहार में 57 प्रतिशत महिला और 22 प्रतिशत पुरुष प्रतिनिधि वंशवादी पृष्ठभूमि से हैं, जबकि तेलंगाना में यह आंकड़ा 64 प्रतिशत (महिला) और 21 प्रतिशत (पुरुष) है।