
Congress internal conflict
Congress internal conflict
Congress internal conflict: कांग्रेस पार्टी के अंदर अंदर ही काफी उठा पटक चल रही है। एक तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद डॉ. शशि थरूर को लेकर जहां पार्टी में आर या पार की स्थिति बनी है, वहीं अब एक और सांसद का नाम सामने आया है, जो पार्टी लाइन के विपरीत चल रहे हैं। वह सांसद कोई और नहीं, बल्कि आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी हैं।
कांग्रेस पार्टी से अलग थलग हुए मनीष तिवारी
संसद का मानसून सत्र इस बार कई मुद्दों पर गरमाया हुआ है। खासतौर पर विपक्ष सरकार को ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर घेरने की कोशिश में लगा हुआ है। इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है, लेकिन इन गंभीर चर्चाओं से कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सांसद को बहार रखा जाना चर्चा का विषय बना हुआ है।
कांग्रेस के दो प्रमुख सांसद- शशि थरूर और मनीष तिवारी को संसद में चल रही बहस में शामिल नहीं किया गया। यह दोनों नेता पहले भी कई बार विदेश मामलों पर पार्टी की ओर से मुखर रहे हैं। लेकिन इस बार इन्हें संसद की बहस से दूर रखा गया है, जिससे पार्टी के अंदर असहमति की खबरें सामने आ रही हैं।
मनीष तिवारी का अप्रत्यक्ष विरोध
मनीष तिवारी ने इस स्थिति को लेकर एक फिल्मी गीत के जरिए इशारों में अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक खबर का स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें लिखा था कि सरकार के पक्ष में बोले: ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान कांग्रेस ने शशि थरूर और मनीष तिवारी को क्यों बाहर बैठाया? इसके साथ तिवारी ने कैप्शन में फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ का फेमस गीत लिखा, “है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं… भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं। जय हिंद।” अब इस संदेश को उनके राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
विदेश यात्रा में शामिल नेताओं को किया गया दरकिनार
सिर्फ थरूर और तिवारी ही नहीं, बल्कि फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस सांसद अमर सिंह को भी इस बहस से बाहर रखा गया है। ये सभी हाल ही में विदेश प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे थे। केंद्र सरकार ने कुल 59 सांसदों को 33 देशों के दौरे पर भेजा था, जहां उन्होंने भारत का पक्ष और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देश की नीति को विश्व के सामने रखा था। इस प्रतिनिधिमंडल में आनंद शर्मा और सलमान खुर्शीद भी शामिल थे, हालांकि वे वर्तमान में सांसद नहीं हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा से अनुभवी और विदेशी मामलों के जानकार सांसदों को बाहर रखना कांग्रेस पार्टी के भीतर गहराते मतभेदों की ओर इशारा करता है।