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    Home » दिल्ली का भूतिया महल! रूह काँप जाएगी यहाँ जाने में, जाने 700 साल पुराने मालचा पैलेस का रहस्य
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    दिल्ली का भूतिया महल! रूह काँप जाएगी यहाँ जाने में, जाने 700 साल पुराने मालचा पैलेस का रहस्य

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 6, 2025No Comments7 Mins Read
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    Delhi’s 700 Year Old Malcha Palace (Image Credit-Social Media)

    Delhi’s 700 Year Old Malcha Palace (Image Credit-Social Media)

    Delhi Malcha Palace Haunted Story: दिल्ली, भारत की चमचमाती राजधानी, जहां दिन में इंडिया गेट की रौनक, लाल किले की शान और कनॉट प्लेस की भीड़ हर किसी को अपनी ओर खींचती है। लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, इस शहर के कुछ कोने रहस्यमयी और डरावने हो जाते हैं। ऐसा ही एक कोना है चाणक्यपुरी के घने जंगल में छिपा मालचा महल। यह महल कोई शाही हवेली नहीं, बल्कि एक खंडहर है, जो अपनी भूतिया कहानियों और सुनसान माहौल की वजह से दिल्ली की सबसे डरावनी जगहों में गिना जाता है। मालचा महल की रातें ऐसी हैं, जो न सिर्फ आपके रोंगटे खड़े कर सकती हैं, बल्कि आपको इतिहास, त्रासदी और अनसुलझे रहस्यों की गहराइयों में ले जा सकती हैं। आइए, इस महल की डरावनी रातों की कहानी को करीब से देखें।

    मालचा महल का इतिहास

    मालचा महल, जिसे कभी मालचा विसदरी भी कहा जाता था, 14वीं शताब्दी में सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। यह महल दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में सरदार पटेल मार्ग पर, घने जंगल के बीच बसा है। उस समय इसे शिकारगाह के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। सुल्तान और उनके दरबारी यहां शिकार के लिए आया करते थे। लेकिन 20वीं शताब्दी तक यह महल लगभग भुला दिया गया था। फिर 1985 में इसकी कहानी में एक नया मोड़ आया, जब बेगम विलायत महल और उनके परिवार ने इसे अपना ठिकाना बनाया।

    बेगम विलायत महल का दावा था कि वो अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह की परपोती हैं। 1947 में आजादी के बाद वाजिद अली शाह का खानदान बिखर चुका था। बेगम ने भारत सरकार से अपने खानदान की जब्त जायदाद के बदले मुआवजे की मांग की। जब उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो उन्होंने 1970 के दशक में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के वीआईपी लाउंज को अपना घर बना लिया। करीब 10 साल तक वो अपने बच्चों, नौकरों और कुत्तों के साथ वहां रहीं। आखिरकार, इंदिरा गांधी की सरकार ने उन्हें 1985 में मालचा महल दे दिया। लेकिन यह महल तब तक खंडहर बन चुका था। न बिजली, न पानी, न दरवाजे, बस एक जर्जर ढांचा। फिर भी, बेगम अपने बेटे प्रिंस अली रजा, बेटी राजकुमारी सकीना, कुछ नौकरों और 11 कुत्तों के साथ यहां रहने चली आईं।

    बेगम विलायत की त्रासदी

    मालचा महल में बेगम का जीवन आसान नहीं था। जंगल के बीच बिना बिजली-पानी के रहना, वो भी शाही खानदान की आदतों के साथ, उनके लिए मुश्किल था। बेगम का स्वभाव गुस्सैल था और वो बाहरी लोगों से मिलना पसंद नहीं करती थीं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वो अपने कुत्तों को बेहद प्यार करती थीं। उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानती थीं। लेकिन समय के साथ उनकी निराशा और अवसाद बढ़ता गया। 1993 में, 62 साल की उम्र में, बेगम ने कुचले हुए हीरों को निगलकर आत्महत्या कर ली। उनकी मौत की खबर कई हफ्तों तक बाहर नहीं आई।

    कहा जाता है कि बेगम की मौत के बाद उनके बच्चों ने उनके शव को दफनाया नहीं, बल्कि उस पर लेप लगाकर रखने की कोशिश की। यह बात मालचा महल की डरावनी कहानियों का एक बड़ा हिस्सा बन गई। बेगम की मौत के बाद उनके बच्चे, अली रजा और सकीना और भी अलग-थलग हो गए। समय बीतने के साथ नौकर और कुत्ते भी कम होते गए। 2017 में अली रजा की मौत हो गई, जिसे कुछ लोग भूख से हुई मौत मानते हैं। उनकी मृत्यु की खबर भी कई हफ्तों बाद सामने आई। इसके बाद मालचा महल पूरी तरह सुनसान हो गया।

    महल का डरावना माहौल

    मालचा महल की डरावनी कहानियां सिर्फ बेगम और उनके परिवार की त्रासदी तक सीमित नहीं हैं। यह महल अपने आप में एक रहस्यमयी दुनिया है। चाणक्यपुरी के घने जंगल में डेढ़ किलोमीटर अंदर जाने के लिए आपको कांटेदार झाड़ियों, नागफनी के पौधों और जंगली जानवरों से होकर गुजरना पड़ता है। रास्ता इतना सुनसान है कि दिन में भी सिहरन होने लगती है। महल तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जिनका डिज़ाइन ऐसा है कि थोड़ा आगे बढ़ते ही पीछे का रास्ता दिखना बंद हो जाता है।

    महल के अंदर का नजारा और डरावना है। टूटी-फूटी दीवारें, बिखरी मिट्टी, राख और कुछ पुराने सामान जैसे एक छोटी अलमारी और टूटा हुआ पलंग का पाया। कुछ लोग कहते हैं कि महल में तांत्रिक अनुष्ठानों के निशान मिले हैं, जैसे बिखरा हुआ सिंदूर और अजीब से चिह्न। रात में महल के आसपास अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं-कभी किसी के रोने की, कभी फुसफुसाहट की, तो कभी कदमों की आहट। स्थानीय लोग मानते हैं कि बेगम विलायत और उनके परिवार की आत्माएं यहां भटकती हैं।

    भूतिया कहानियां और स्थानीय मान्यताएं

    मालचा महल की सबसे मशहूर कहानी है बेगम विलायत की आत्मा की। लोग कहते हैं कि उनकी आत्मा रात में महल की सीढ़ियों पर टहलती है। कुछ का दावा है कि वो अपने कुत्तों की आत्माओं के साथ दिखती हैं। एक अन्य कहानी में कहा जाता है कि महल में कोई अनजानी शक्ति है, जो रात में आने वालों को डराती है। कुछ लोगों ने महल के पास ठंडी हवा के झोंके और किसी के पीछे चलने का आभास होने की बात कही है।

    एक और रहस्यमयी कहानी है एक सफेद साड़ी वाली औरत की, जो महल के आसपास दिखती है। कुछ ड्राइवर्स का कहना है कि रात में मालचा मार्ग पर उनकी गाड़ियां अचानक बंद हो जाती हैं, और जब वो बाहर देखते हैं, तो एक औरत सड़क किनारे खड़ी दिखती है, जो पलक झपकते गायब हो जाती है। यह कहानी दिल्ली के खूनी दरवाजे और संजय वन की सफेद साड़ी वाली औरत की कहानियों से मिलती-जुलती है।

    2015 में एक ट्रैवलर, सिद्धार्थ, ने मालचा महल की सैर की और अपनी कहानी शेयर की। उसने बताया, “महल तक पहुंचना आसान नहीं था। जंगल इतना घना था कि दिन में भी डर लग रहा था। अंदर मिट्टी और राख बिखरी थी। लेकिन जब मैं छत पर पहुंचा, तो वहां से दिल्ली का नजारा इतना खूबसूरत था कि डर कुछ कम हो गया। फिर भी, मुझे वहां अजीब सा आभास हुआ, जैसे कोई मुझे देख रहा हो।” सिद्धार्थ का मानना है कि महल डरावना कम, उसकी कहानी रोंगटे खड़े करने वाली ज्यादा है।

    दिल्ली टूरिज्म और हॉन्टेड वॉक

    मालचा महल की डरावनी कहानियों ने दिल्ली सरकार का ध्यान भी खींचा है। 2023 में दिल्ली टूरिज्म ने “हॉन्टेड वॉक” योजना शुरू की, जिसमें मालचा महल, भूली भटियारी, फिरोज शाह कोटला और तुगलकाबाद किले जैसे डरावने स्थानों की सैर कराई जाती है। इस वॉक में 6 से 20 लोगों का समूह शाम 5:30 से 7:00 बजे तक महल की सैर करता है। हर व्यक्ति के लिए 800 रुपये की फीस है, जिसमें एक गाइड, पानी, जूस, फल और टोपी दी जाती है। यह वॉक मालचा महल की कहानियों और इतिहास को रोचक ढंग से बताती है, लेकिन रात में वहां का माहौल अब भी डरावना रहता है।

    मालचा महल का खूबसूरत चेहरा

    हालांकि मालचा महल को भूतिया माना जाता है, लेकिन इसकी छत से दिल्ली का नजारा बेहद खूबसूरत है। वहां से राष्ट्रपति भवन, लोटस टेंपल, इंडिया गेट और सचिवालय दिखाई देते हैं। दिन में यह जगह इतिहास और प्रकृति के प्रेमियों के लिए एक अनोखा अनुभव देती है। लेकिन रात में, जब जंगल में सियार और बंदरों की आवाजें गूंजती हैं, और महल की टूटी सीढ़ियों से ठंडी हवा गुजरती है, तो ये जगह वाकई रोंगटे खड़े कर देती है।

    दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग ने मालचा महल को संरक्षित करने की योजना बनाई है। 2022 में खबर आई थी कि अगले कुछ महीनों में इसकी मरम्मत शुरू हो सकती है। अगर यह महल अपनी पुरानी शान में लौटता है, तो यह पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण बन सकता है। लेकिन क्या मरम्मत के बाद भी इसकी डरावनी कहानियां खत्म होंगी? यह सवाल अभी अनसुलझा है।

    मालचा महल की रातें आज भी रहस्यों से भरी हैं। बेगम विलायत की त्रासदी, उनके परिवार का दुखद अंत और महल का सुनसान माहौल इसे दिल्ली की सबसे डरावनी जगह बनाता है। अगर आप रोमांच के शौकीन हैं, तो एक बार मालचा महल की सैर जरूर करें। लेकिन हिम्मत बांधकर जाएं, क्योंकि वहां की रातें सिर्फ खामोश नहीं, बल्कि अनसुनी चीखों और भटकती परछाइयों से भरी हैं। अगली बार जब आप चाणक्यपुरी के जंगल से गुजरें, तो महल की ओर देखें। शायद आपको भी कोई साये दिख जाएं।

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