
AI Command Center India (Image Credit-Social Media)
AI Command Center India
AI Command Center India: आंध्र प्रदेश, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम – विविधता में एकता का संदेश देने वाले हमारे देश में वर्ष भर त्योहारों और विशेष अवसरों का सिलसिला अनवरत चलता रहता है। यहां धार्मिक महत्व से जुड़े आयोजन सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं होते, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा भी हैं। जब लाखों लोग एक साथ किसी मौके पर मंदिर, मेला या यात्रा में जुटते हैं तो वहां केवल श्रद्धा ही नहीं, बल्कि व्यवस्था और सुरक्षा भी उतनी ही बड़ी चुनौती बन जाती है। यही वजह है कि, समय- समय पर भगदड़ की घटनाएं, लंबी-लंबी कतारों का दबाव और अचानक आई आपात स्थितियां प्रशासन की परीक्षा लेती रही हैं। लेकिन अब तकनीक ने इस चुनौती का समाधान ढूंढ़ लिया है। आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने देश का पहला AI संचालित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) स्थापित करके आस्था और आधुनिकता का ऐसा मेल रचा है, जो आने वाले समय में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा की तस्वीर ही बदल देगा।
क्यों जरूरी था ऐसा कदम

भारत में हर साल करोड़ों लोग मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर दर्शन के लिए जाते हैं। तिरुपति बालाजी जैसे मंदिर में तो प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और त्योहारों पर यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। इतने बड़े जनसमूह को संभालना किसी भी प्रशासन के लिए आसान काम नहीं है। भीड़ बढ़ने पर भगदड़ का खतरा हमेशा बना रहता है, वहीं मेडिकल इमरजेंसी या लापता बच्चों और बुजुर्गों जैसी समस्याएं स्थिति को और जटिल बना देती हैं। यही वजह है कि तिरुमाला में एक ऐसे आधुनिक केंद्र की जरूरत थी। जो रियल टाइम में हर गतिविधि पर नजर रख सके और किसी भी चुनौती का तुरंत समाधान पेश कर सके।
इस नई तकनीक का उद्घाटन और उद्देश्य
25 सितंबर को मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस अनोखे केंद्र का उद्घाटन किया। खास बात यह है कि इसे प्रवासी भारतीय दानदाताओं के सहयोग से तैयार किया गया है। भीड़ को व्यवस्थित करना, श्रद्धालुओं की कतारों को सरल बनाना और सुरक्षा को और मजबूत करना इस तकनीक को शामिल करने के पीछे का स्पष्ट उद्देश्य है।
तकनीकी ताकत और इसकी खूबियां
यह कमांड सेंटर हर लिहाज से अत्याधुनिक है। यहां छह हजार से अधिक AI कैमरे लगाए गए हैं, जो हर पल मंदिर परिसर की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। यह सिस्टम हर मिनट लाखों डेटा प्वॉइंट्स प्रोसेस करता है और अधिकारियों को लाइव डैशबोर्ड और 3D मैपिंग के जरिए वास्तविक स्थिति की जानकारी देता है। चेहरे की पहचान, ऑटोमैटिक अलर्ट और संकट संकेतों की पहचान जैसी सुविधाएं इसे और भी खास बनाती हैं। अगर कहीं भी भीड़ बढ़ने लगे या कोई आपात स्थिति उत्पन्न हो तो सिस्टम तुरंत अलर्ट भेज देता है, जिससे प्रशासन तेजी से कार्रवाई कर पाता है।
सिलिकॉन वैली से मिली प्रेरणा
इस परियोजना के पीछे आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश की प्रेरणा शामिल है। सिलिकॉन वैली की उनकी यात्रा के दौरान उन्होंने स्मार्ट सिटी और डिजिटल ट्विन जैसी तकनीकों को करीब से देखा। वहीं से उन्हें यह विचार आया कि अगर इतनी उन्नत तकनीकें वहां सार्वजनिक जीवन को आसान बना सकती हैं, तो क्यों न भारत में धार्मिक यात्राओं के दौरान लोगों की सुरक्षा और सुविधा बढ़ाने में इनका इस्तेमाल किया जाए।
त्योहारों और भीड़भाड़ वाले आयोजनों में मददगार

AI आधारित यह प्रणाली केवल तिरुमाला तक सीमित नहीं रहेगी। इसका मॉडल भविष्य में कुंभ मेले, जगन्नाथ यात्रा और अन्य बड़े धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी रास्ता दिखाएगा। वास्तविक समय में भीड़ की स्थिति जानकर प्रशासन तय कर पाएगा कि किस दिशा में लोगों को डायवर्ट करना है। लंबी कतारों को संभालने में भी यह सिस्टम कारगर होगा। किसी मेडिकल इमरजेंसी या भगदड़ जैसी स्थिति में तुरंत निकटतम टीम को अलर्ट भेजकर समय रहते मदद पहुंचाना संभव होगा।
श्रद्धालुओं को मिलने वाले लाभ
तिरुपति बालाजी मंदिर में रोज़ाना हजारों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में हर व्यक्ति की ख्वाहिश होती है कि उसे बिना परेशानी और डर के शांतिपूर्ण ढंग से भगवान के दर्शन मिलें। ICCC के शुरू होने से यह अनुभव और भी सुगम हो जाएगा। कतारों का दबाव कम होगा, सुरक्षा को लेकर भरोसा बढ़ेगा और आपात स्थिति में तुरंत सहायता मिलेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि श्रद्धालुओं को उनके इंतजार के समय की सटीक जानकारी मिलेगी, जिससे उन्हें मानसिक रूप से भी आराम महसूस होगा।
तिरुमाला का यह कदम केवल एक धार्मिक स्थल की व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्मार्ट गवर्नेंस और आधुनिक तकनीक के सही इस्तेमाल की मिसाल है। यह दिखाता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल उद्योग या टेक्नोलॉजी की दुनिया का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह सीधे आम लोगों की जिंदगी को सुरक्षित और आसान बनाने में भी योगदान दे सकता है। यह पहल आने वाले समय में अन्य राज्यों और धार्मिक संस्थानों को भी इसी तरह की व्यवस्थाएं अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।
तिरुमाला का यह AI आधारित कमांड सेंटर भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह केवल तकनीक का प्रयोग नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण का परिणाम है। आने वाले वर्षों में यदि इस तरह की तकनीकें अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी लागू की जाती हैं, तो न केवल अव्यवस्था और दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगी बल्कि हर व्यक्ति का अनुभव और भी सुखद और सुरक्षित बनेगा।