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    Home » द वायर का दावा- भारत में वेबसाइट पर सरकारी प्रतिबंध; ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला’?
    भारत

    द वायर का दावा- भारत में वेबसाइट पर सरकारी प्रतिबंध; ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला’?

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 9, 2025No Comments4 Mins Read
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    भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए एक और झटके की ख़बर सामने आई है। द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा है कि द वायर पर सरकारी प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने कहा है कि कम से कम दो प्रमुख इंटरनेट सेवा प्रदाता यानी आईएसपी अपने ग्राहकों को जानकारी दे रहे हैं कि केंद्र सरकार के आदेश के चलते न्यूज़ पोर्टल द वायर तक पहुँच को रोक दिया गया है।

    वरदराजन ने एक्स पर पोस्ट कर कहा है, ‘भारत में कुछ पाठक अभी भी http://thewire.in को सीधे एक्सेस कर सकते हैं, जब तक कि ब्लॉकिंग आदेश पूरी तरह से लागू नहीं हो जाता। चूंकि, द वायर भारत में वीपीएन के माध्यम से पूरी तरह सुलभ है, इसलिए ‘मोदी की बड़ी दीवार’ के पार भी बहुत कुछ है और विदेश में रहने वाले पाठक भी हमें एक्सेस कर सकते हैं, लेकिन हम जल्द ही एक मिरर साइट लॉन्च करेंगे।’

    हालाँकि, यह आदेश अभी पूरी तरह लागू नहीं हुआ है, इसके चलते भारत में भी कई जगहों पर यह वेबसाइट अभी खुल रही है। द वायर ने अपने बयान में इस ब्लॉकिंग को ‘मोदी की बड़ी दीवार’ क़रार देते हुए इसे सरकार की सेंसरशिप नीतियों का हिस्सा बताया है। पोर्टल ने यह भी घोषणा की है कि वह जल्द ही एक मिरर साइट लॉन्च करेगा। मिरर साइट एक वैकल्पिक वेबसाइट होती है जो मूल साइट की सामग्री को होस्ट करती है और ब्लॉकिंग को बायपास करने में मदद करती है।

    द वायर ने वीपीएन और मिरर साइट्स के उपयोग को बढ़ावा देकर तकनीकी समाधान की ओर इशारा किया है। यह दिखाता है कि डिजिटल युग में सेंसरशिप को पूरी तरह लागू करना मुश्किल है। वीपीएन उपयोगकर्ताओं को अपनी लोकेशन छिपाने और ब्लॉक की गई वेबसाइट्स तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। हालांकि, वीपीएन का इस्तेमाल तकनीकी रूप से मुश्किल हो सकता है और सभी यूज़रों के लिए सुलभ नहीं होता। मिरर साइट्स इस समस्या का एक समाधान हो सकती हैं।

    डिजिटल न्यूज़ पोर्टलों की संस्था डिजिपब न्यूज़ इंडिया फाउंडेशन ने द वायर वेबसाइट को ब्लॉक करने के फ़ैसले की कड़ी निंदा की है। इसने एक बयान में कहा है, ‘यदि भारत सरकार ने सच में द वायर तक पहुँच को रोक दिया है तो यह प्रेस की आज़ादी पर सीधा हमला है। स्वतंत्र मीडिया को चुप कराने से लोकतंत्र की रक्षा नहीं होती है, बल्कि यह इससे कमजोर होता है।’

    यह घटना भारत में डिजिटल मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरा असर डाल सकती है। ‘द वायर’ एक ऐसा मंच है जो अपनी आलोचनात्मक पत्रकारिता के लिए जाना जाता है। यह पोर्टल अक्सर सरकार की नीतियों, सामाजिक मुद्दों और अल्पसंख्यक अधिकारों पर तीखे सवाल उठाता रहा है। ऐसे में इस वेबसाइट को ब्लॉक करने का निर्णय कई सवाल खड़े करता है। द वायर पर प्रतिबंध को सरकार द्वारा डिजिटल मीडिया पर बढ़ते नियंत्रण के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। हाल के वर्षों में भारत में कई स्वतंत्र मीडिया मंचों और पत्रकारों ने सरकारी दबाव का सामना करने की बात कही है। यह कदम उन नीतियों का हिस्सा हो सकता है, जिनका उद्देश्य आलोचनात्मक आवाजों को दबाना है। 

    वेबसाइट ब्लॉकिंग के लिए भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A का उपयोग किया जाता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के आधार पर कंटेंट को ब्लॉक करने की अनुमति देता है। हालांकि, इस प्रावधान का दुरुपयोग होने की आलोचना समय-समय पर होती रही है। द वायर जैसे मंचों पर प्रतिबंध से पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और सामान्य नागरिकों में असंतोष बढ़ सकता है।

    द वायर ने अपने पाठकों से वीपीएन का उपयोग करने और मिरर साइट के लॉन्च के बारे में अपडेट रहने का आग्रह किया है। यह कदम दिखाता है कि पोर्टल सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद अपनी पत्रकारिता को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। 

    द वायर पर सरकारी प्रतिबंध भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल अधिकारों के लिए एक चेतावनी है। यदि अन्य न्यूज़ पोर्टल्स या सोशल मीडिया मंचों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए गए, तो यह भारत की डिजिटल लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती होगी। यह घटना न केवल पत्रकारिता के लिए, बल्कि आम नागरिकों के सूचना तक पहुंच के अधिकार के लिए भी अहम है।

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