
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस खास अवसर पर पूरे देश में बीजेपी द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी पहली बार साल 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन वे प्रधानमंत्री आवास, दिल्ली में पहले भी 18 अगस्त 2001 को आ चुके थे। उस समय वे बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव थे और अपने गुरु, आरएसएस के लक्ष्मणराव इनामदार पर लिखी किताब के विमोचन के लिए आए थे। उस दौर में अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे, और पीएम आवास को लोक कल्याण मार्ग नहीं बल्कि 7 रेसकोर्स रोड के नाम से जाना जाता था। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, लक्ष्मणराव इनामदार ने उनके जीवन में अहम भूमिका निभाई है और वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए संघ के दरवाजे खोले। आइए, जानते हैं प्रधानमंत्री के गुरु लक्ष्मणराव इनामदार के बारे में।
गुरु के सामने नतमस्तक रहते थे पीएम
गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर लंबा राजनीतिक जीवन बिताने के बाद नरेंद्र मोदी साल 2014 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद 2024 से वे तीसरी बार सत्ता की बागडोर संभाल रहे हैं। आरएसएस के एक आम कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री बनने तक के सफर में नरेंद्र मोदी के गुरु लक्ष्मणराव इनामदार का बहुत बड़ा योगदान है। संघ प्रचारक के तौर पर अहमदाबाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय, हेडगेवार भवन की निचली मंजिल पर कमरा नंबर-3 में नरेंद्र मोदी रहते थे। वहीं उनके कमरे के सामने कमरा नंबर-1 में लक्ष्मणराव इनामदार रहते थे। उनके सामने नरेंद्र मोदी हमेशा नतमस्तक रहते थे।
इनामदार का जन्म 1917 में पुणे से 130 किलोमीटर दक्षिण में खाटव गांव में हुआ था। वे एक सरकारी राजस्व अधिकारी की दस संतानों में से एक थे। इनामदार ने 1943 में पुणे यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री लेने के बाद संघ का दामन थाम लिया था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया और गुजरात में आरएसएस के प्रचारक के नाते आजीवन अविवाहित और सादा जीवन का पालन करते रहे। मोदी से इनामदार की पहली मुलाकात 1960 के शुरूआती दिनों में हुई थी। 1943 से गुजरात में नियुक्त इनामदार संघ के प्रांत प्रचारक थे, जो नगर-नगर घूमकर युवाओं को शाखाओं में आने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उन्होंने धाराप्रवाह गुजराती में जब वडनगर में सभाओं को संबोधित किया, तो मोदी अपने भावी गुरु की वाकपटुता के कायल हो गए थे।
इनामदार ने ही मोदी को संघ प्रचारक बनाया
1972 में उन्होंने औपचारिक रूप से नरेंद्र मोदी को संघ का प्रचारक बना दिया था। नरेंद्र मोदी के लिए पिता जैसे बन चुके इनामदार ने ही उन्हें बीए की डिग्री लेने के लिए राजी किया। बाद में नरेंद्र मोदी ने राजनीति शास्त्र से बीए किया।इमरजेंसी के दौरान भी संघ को जिंदा रखने की मोदी की कोशिशों ने उन्हें संघ की सीढ़ियां चढ़ने में मदद की। पहले उन्हें वडोदरा जिले का विभाग प्रचारक बनाकर वडोदरा भेजा गया और 1979 तक वे नादियाड़, डांग और पंचमहल जिलों के संभाग प्रचारक बन गए। 1980 के दशक की शुरुआत में ही संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी इनामदार को कैंसर होने का पता चला। 1984 में उनका निधन हो गया, लेकिन वे जीवन के अंत तक संघ का काम करते रहे। अपने गुरु की मृत्यु के बाद भी पीएम मोदी ने उनकी डायरी संभाल कर रखी थी, जिससे उनके जीवन से जुड़े साक्ष्य मिलते रहते हैं।


