
Nepal Violent Movements: नेपाल जिसे दुनिया भर में हिमालय की गोद में बसे शांत और खूबसूरत देश के रूप में जाना जाता है। इन दिनों हिंसक प्रदर्शनों की वजह से चर्चा में है। यह देश रोमांचक यात्राओं, आध्यात्मिक खोज और अपनी अनोखी संस्कृति के लिए मशहूर है। लेकिन हाल के प्रदर्शनों ने यहाँ की शांति को तोड़ दिया है। सोशल मीडिया पर लगी पाबंदियों से शुरू हुए ये प्रदर्शन धीरे-धीरे हिंसा, आगजनी और सरकारी दफ्तरों पर हमलों में बदल गए। इस अस्थिर माहौल का सीधा असर नेपाल के पर्यटन उद्योग पर पड़ा है जिससे यात्रियों की संख्या घटने लगी है तथा आने वाले समय में इसके असर और भी गंभीर हो सकते हैं।
नेपाल में प्रदर्शन की स्थिति और हिंसा का स्वरूप

नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित अन्य इलाकों में युवा प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुए शांतिपूर्ण विरोध को हिंसक तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद, सुप्रीम कोर्ट और कई सरकारी भवनों को आग लगाई, सरकारी दफ्तर और थानों पर हमला किया, और कई जगहों पर लूटपाट मचाई। इस कारण से काठमांडू में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू हो गया और सेना को स्थिति नियंत्रण में लेने का जिम्मा सौंपा गया। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस हालात को नियंत्रित न कर पाने के कारण इस्तीफा देना पड़ा। सितंबर 2025 के इन दंगों में 19 लोग मारे गए और कई घायल हुए। ओली के इस्तीफे के बाद भी विरोध जारी रहा, जो भ्रष्टाचार, राजनीतिक असमानता और सामाजिक अन्याय के खिलाफ था। इस आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से ‘Gen Z’ यानी युवा पीढ़ी कर रही है ।
नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की भूमिका

नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बहुत बड़ा महत्व है और यह देश के विदेशी मुद्रा अर्जन का मुख्य स्रोत भी है। नेपाल में पर्यटन विदेशी मुद्रा का बड़ा स्रोत है और इसकी भूमिका अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण है। हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक नेपाल घूमने आते हैं जिनमें माउंट एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक, अन्नपूर्णा सर्किट, चितवन नेशनल पार्क और काठमांडू घाटी के ऐतिहासिक मंदिर सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। पर्यटन से जुड़े होटल, रेस्टोरेंट, गाइड, टैक्सी और ट्रेकिंग एजेंसियों जैसे व्यवसाय लाखों लोगों को रोजगार देते हैं। इसलिए जब देश में अस्थिरता या हिंसा होती है तो सबसे पहले पर्यटन क्षेत्र प्रभावित होता है। नेपाल सरकार ने 2025 को विशेष पर्यटन वर्ष घोषित किया है ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिले और रोजगार सृजन हो। कोविड-19 के बाद भी नेपाल के पर्यटन में तेजी से सुधार हुआ है और देश में आने वाले लाखों पर्यटकों ने स्थानीय व्यवसाय और रोजगार को मजबूत किया है। यही वजह है कि पर्यटन नेपाल की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है और किसी भी तरह की अशांति का सबसे ज्यादा असर इस क्षेत्र पर पड़ता है।
प्रदर्शनों का पर्यटन पर तत्काल प्रभाव

प्रदर्शनों का पर्यटन पर तत्काल प्रभाव – नेपाल में चल रहे हिंसक प्रदर्शनों ने पर्यटन को गहरे स्तर पर प्रभावित किया है। कई देशों ने अपने नागरिकों को नेपाल की यात्रा टालने की सलाह दी है। भारत सहित अनेक जगहों के विदेश मंत्रालय ने यात्रा से बचने के निर्देश जारी किए हैं। इस विवाद और हिंसा के कारण कई एयरलाइनों ने काठमांडू के लिए उड़ानों को रद्द या घटा दिया है। टूर ऑपरेटरों ने यात्राएं स्थगित कर दी हैं, जिससे होटल बुकिंग और पर्यटन से जुड़ी अन्य सेवाएं बंद या रद्द हो रही हैं। कई भारतीय पर्यटक नेपाल में फंसे हुए हैं जिनको निकालने के प्रयास चल रहे हैं।
हवाई अड्डों पर प्रभाव – त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा सुरक्षा कारणों से बंद है, जिससे अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बाधित हुई हैं और पर्यटकों की आगमन संख्या में गिरावट आई है।
स्थानीय परिवहन और लॉजिस्टिक्स पर असर – सड़क जाम, हड़ताल और कर्फ्यू के कारण स्थानीय यातायात ठप हुआ है। ट्रेकिंग मार्गों और हवाई अड्डों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। इसके परिणामस्वरूप खाने-पीने की वस्तुओं और ईंधन की आपूर्ति बाधित हुई है।
पर्यटन अवसंरचना को नुकसान – विरोध प्रदर्शनकारियों द्वारा कई ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों को निशाना बनाया गया है। आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव की घटनाओं से पर्यटन स्थल प्रभावित होते रहे हैं।
अर्थव्यवस्था और स्थानीय समुदाय पर प्रभाव – पर्यटन नेपाल की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है। होटल, गाइड, ट्रांसपोर्ट वालों और स्थानीय बाजारों को भारी नुकसान हुआ है। प्रदर्शन से रोजगार के अवसर कम हुए हैं जिससे स्थानीय आर्थिक असंतोष बढ़ रहा है। यह सामाजिक तनाव को और अधिक बढ़ा सकता है।
दीर्घकालिक प्रभाव
नेपाल में जारी हिंसक प्रदर्शन का असर सीधे तौर पर रोजगार और निवेश पर पड़ रहा है। पर्यटन नेपाल की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा स्तंभ है और इसमें लाखों लोग काम करते हैं। यदि यह अस्थिरता लंबे समय तक जारी रहती है तो पर्यटन गतिविधियाँ रुक जाएंगी और लोगों की आजीविका संकट में पड़ सकती है जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी। साथ ही, राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा विदेशी निवेशकों को डराएगी, जिससे होटल, रिसॉर्ट और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश कम होगा और पर्यटन तथा विकास योजनाओं पर असर पड़ेगा। नेपाल की सुरक्षा और स्थिरता घटने के कारण पर्यटक और निवेशक पड़ोसी देशों जैसे भारत, भूटान और श्रीलंका की ओर रुख कर सकते हैं, जो पर्यटन के लिए सुरक्षित विकल्प हैं।
भारत और अंतरराष्ट्रीय चिंता
नेपाल में जारी अशांति का असर सीमावर्ती भारत पर भी साफ दिखाई दे रहा है। भारत ने 1751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा की सुरक्षा बढ़ा दी है और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पुलिस, सशस्त्र सीमा बल (SSB) और अन्य सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं। खुफिया एजेंसियां जैसे RAW और IB, नेपाल में भारत विरोधी माहौल बनने से रोकने के लिए सोशल मीडिया और राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रख रही हैं। क्योंकि उन्हें डर है कि असामाजिक तत्व इस स्थिति का फायदा उठाकर भारतीय सीमावर्ती राज्यों में हिंसा फैला सकते हैं। भारत सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं ने शांति बनाए रखने और बातचीत के जरिए समाधान की अपील की है। विदेश मंत्रालय ने नागरिकों को नेपाल यात्रा से बचने की सलाह दी है और फंसे हुए पर्यटकों को निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत-नेपाल सीमा पर ड्रोन, फेस-रिकग्निशन और नंबर प्लेट रीडर जैसी आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। नेपाल की स्थिरता और शांति भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है ताकि क्षेत्र में कोई संकट न आए और दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बने रहें।
भविष्य की संभावनाएं
नेपाल में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता लंबे समय तक बनी रहने पर पर्यटन क्षेत्र प्रभावित होगा। इसलिए शांति और स्थिरता बहाल करना जरूरी है, ताकि निवेशक और पर्यटक भरोसा रखें। होटल, रिसॉर्ट और अन्य परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने के लिए सुरक्षा और निगरानी मजबूत करनी होगी। ऐसे में अगर विश्वसनीयता कम होती है तो पर्यटक नेपाल के बजाय भारत, भूटान या श्रीलंका जैसे सुरक्षित देशों को प्राथमिकता दे सकते हैं। इसलिए सुधार, स्थिरता और सुरक्षा पर ध्यान देना नेपाल के भविष्य के पर्यटन विकास के लिए अनिवार्य है।