
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के माहेशतला में एक दुकान के निर्माण को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए और कई सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। रबिंद्रनगर-अकरा क्षेत्र में हुए इस उपद्रव के बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया, साथ ही 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुर्शिदाबाद के बाद अब माहेशतला भी अराजक तत्वों के निशाने पर है।
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि विवाद तब शुरू हुआ जब एक मुस्लिम व्यापारी, जो ईद मनाने के लिए बाहर गया था, की दुकान की जगह पर रातों-रात एक ‘तुलसी मंच’ का निर्माण कर दिया गया। इसके जवाब में, कुछ लोगों ने पास के एक शिव मंदिर के पास दुकानें बनाने की कोशिश की, जिसे स्थानीय हिंदू समुदाय ने अवैध अतिक्रमण करार दिया।
इसने दोनों समुदायों के बीच तनाव को जन्म दिया, जो जल्द ही हिंसक प्रदर्शनों, पथराव और आगजनी में बदल गया। भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें एक महिला कांस्टेबल को सिर में चोट लगी, और डीसी (पोर्ट) हरिकृष्ण पाई का आधिकारिक वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गया। एक मोटरसाइकिल को रबिंद्रनगर पुलिस स्टेशन के सामने आग के हवाले कर दिया गया।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और भारी पुलिस बल को तैनात किया गया। कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा और एडीजी (दक्षिण बंगाल) सुप्रतिम सरकार ने मौके पर कैंप किया। पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया और छापेमारी जारी रखी, जिसके बाद कुल 12 लोग हिरासत में लिए गए। क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया और रबिंद्रनगर क्षेत्र में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई। पुलिस के अनुसार, घायल पुलिसकर्मियों की हालत स्थिर है।
राजनीतिक रंग
विपक्षी नेता और भाजपा के सुवेंदु अधिकारी ने इस घटना को सांप्रदायिक बताते हुए ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि माहेशतला में हिंदुओं और हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ रहे हैं और केंद्र सरकार से केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की। दूसरी ओर, टीएमसी नेता कुणाल घोष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह स्थानीय विवाद था और इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया।
पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक झड़पों के कारण
पश्चिम बंगाल में हाल के वर्षों में सांप्रदायिक झड़पों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनके कई कारण हैं:
जमीन और अतिक्रमण विवाद: माहेशतला और मुरशिदाबाद जैसी घटनाएं अक्सर जमीन के स्वामित्व या धार्मिक स्थलों के पास अतिक्रमण से शुरू होती हैं, जो स्थानीय समुदायों के बीच तनाव को बढ़ाती हैं।
सामाजिक ध्रुवीकरण: राजनीतिक दलों द्वारा स्थानीय मुद्दों को सांप्रदायिक रंग देना तनाव को और भड़काता है। सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट, जैसे कि बारासात में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ से संबंधित विवाद, ने भी हिंसा को बढ़ावा दिया है। हालांकि बाद में ये घटना फर्जी साबित हुई।
प्रशासनिक विफलता: मुरशिदाबाद हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट की एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी ने बताया कि स्थानीय पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिससे हिंसा बढ़ी। माहेशतला में भी पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगा है।
सामाजिक-आर्थिक कारण: बंगाल के कुछ क्षेत्रों में आर्थिक असमानता और बेरोजगारी के कारण समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा है, जो छोटे-मोटे विवादों को हिंसक रूप दे देता है।
सोशल मीडिया और अफवाहें: सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री और अफवाहें, जैसे कि मंदिरों या धार्मिक स्थलों पर हमले की खबरें, तेजी से तनाव को बढ़ाती हैं। इसमें एक राजनीतिक दल के आईटी सेल की मुख्य भूमिका है।
माहेशतला में हुई हिंसा ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक तनाव की गंभीर समस्या को उजागर किया है। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सामाजिक एकता को मजबूत करने और भड़काऊ तत्वों पर लगाम लगाने की तत्काल आवश्यकता है। ममता की सरकार को और समाज को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।