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    Home » पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पर जंग, चुनाव आयोग फिर सवालों के घेरे में क्यों
    भारत

    पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पर जंग, चुनाव आयोग फिर सवालों के घेरे में क्यों

    By March 1, 2025No Comments5 Mins Read
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    पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची को लेकर भारत का चुनाव आयोग यानी ईसीआई विवादों में आ गया है। इससे पहले महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली की मतदाता सूचियों में हेराफेरी का आरोप विपक्षी दल लगा चुके हैं। बंगाल चुनाव 2026 में है लेकिन अभी से विवाद शुरू हो गया है।

    मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने 27 फरवरी को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में पार्टी की संगठनात्मक बैठक में बीजेपी पर 2026 के विधानसभा चुनावों की मतदाता सूची में हेरफेर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी अन्य राज्यों, विशेष रूप से राजस्थान और हरियाणा, से “नकली मतदाताओं” को जोड़कर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। 

    ममता बनर्जी के आरोप

    ममता ने आरोप लगाया कि बीजेपी हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, बिहार और पंजाब जैसे राज्यों के मतदाताओं को सूची में शामिल करवा रही है। जिनमें से सबसे अधिक संख्या हरियाणा और गुजरात के मतदाताओं की है। उन्होंने यह भी कहा कि इन मतदाताओं के नाम मौजूदा पश्चिम बंगाल के मतदाताओं के इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबरों से जोड़े जा रहे हैं, जिससे वैध मतदाताओं को डुप्लिकेट किया जा रहा है।

    कंपनियों का नाम लियाः ममता बनर्जी ने दो एजेंसियों का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि भाजपा ने इन्हें इस काम के लिए नियुक्त किया है। इन एजेंसियों के नाम हैं – एसोसिएशन ऑफ ब्रिलियंट माइंड्स और इंडिया 360। उन्होंने कहा कि ये एजेंसियां “भ्रष्ट ब्लॉक स्तरीय रिटर्निंग अधिकारियों” और डेटा एंट्री ऑपरेटरों के साथ मिलकर दिल्ली से निर्देशित होकर यह काम कर रही हैं।

    मुख्यमंत्री ने एक सूची प्रदर्शित की और दावा किया कि इसमें अन्य राज्यों के नकली मतदाताओं के सबूत हैं, जो पश्चिम बंगाल के निवासियों के साथ एक ही EPIC नंबर के तहत दर्ज हैं। उन्होंने कहा, “मेरे पास सभी जिलों के सबूत हैं।” हालांकि इन सबूतों के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा नहीं की गई। उन्होंने दक्षिण दिनाजपुर के गंगारामपुर और मुर्शिदाबाद के रानीनगर जैसे जिलों के उदाहरण दिए, जहां पुराने मतदाताओं को नए मतदाताओं से बदला जा रहा है।

    ममता बनर्जी ने ईसीआई के नये मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) पर भी सवाल उठाये। ममता का कहना है कि मतदाता सूची में धांधली ECI की मिलीभगत से हो रही है। उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह जताया और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति का उल्लेख किया। कहा कि ज्ञानेश पहले केंद्रीय गृह मंत्री के सचिव थे। यह नियुक्ति क्या बताती है। जाहिर है कि ज्ञानेश कुमार को बीजेपी का पक्ष लेने के लिए ही सीईसी बनाया गया है।

    दिल्ली में धरने की धमकी

    मुख्यमंत्री चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन करने की भी धमकी दी। उन्होंने कहा कि अगर आयोग ने इस संबंध में कार्रवाई नहीं की तो वह दिल्ली में चुनाव आयोग के कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना देंगी। उन्होंने 2006 में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान 26 दिनों के अपने भूख हड़ताल का उल्लेख किया, जो उनके संकल्प को दर्शाता है।

    कैसे करेगी टीएमसी मुकाबलाः ममता बनर्जी ने मतदाता सूची की जांच करने और नकली मतदाताओं की पहचान करने के लिए टीएमसी के अंदर जिला-स्तरीय कोर कमेटियां बनाने की घोषणा की। उन्होंने इस काम के लिए 10 दिन की समय सीमा तय की और चेतावनी दी कि अगर समितियां अपना काम पूरा नहीं करती हैं, तो वह खुद इसकी निगरानी करेंगी। उन्होंने टीएमसी के लिए 2026 के चुनावों में 294 सीटों में से 215 से अधिक सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। वो बीजेपी की सीटों को 2021 में आई 77 सीटों से कम पर लाना चाहती हैं।

    बीजेपी की रणनीति क्या है

    ममता के आरोप लगाने के बाद पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेता फौरन ही सक्रिय हो गये। सुवेंदु अधिकारी और पार्टी के अन्य नेताओं ने चुनाव आयोग को पांच पेज का पत्र लिखा। सुवेंदु अधिकारी ने लिखा कि ममता बनर्जी ने सीईसी ज्ञानेश कुमार पर सवाल उठाये हैं। इसलिए उन पर कार्रवाई की जाए। इतना ही नहीं बीजेपी ने उल्टा ममता पर मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगा दिया। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी का बयान हिंदुओं, विशेष रूप से गैर-बंगाली मतदाताओं, के नाम हटाने की योजना बना रही हैं। तृणमूल कांग्रेस ऐसा इसलिए करना चाहती है क्योंकि गैर बंगाली मतदाता आमतौर पर बीजेपी का समर्थन करते हैं।

    बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम ममता की इस योजना को नहीं चलने देंगे। हम चुनाव आयोग के साथ इस मुद्दे को उठाएंगे।” उन्होंने पिछली शिकायतों के साथ-साथ मरे हुए और डुप्लीकेट वोटर्स के बारे में डेटा भी पेश किया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने जिलों में कुछ रिटर्निंग ऑफिसर्स को डराया-धमकाया है ताकि बाहरी लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल किए जा सकें। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने बीजेपी के आरोपों को बकवास बताया और कहा कि ममता बनर्जी ने बीजेपी की मतदाता सूची हेरफेर की साजिश को उजागर किया है।

    • बीजेपी ने चुनावों में बायोमेट्रिक सत्यापन की मांग की है। समझा जाता है कि चुनाव आयोग बीजेपी की इस मांग को स्वीकार कर लेगा। टीएमसी का कहना है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने अभी तक जिस तरह के फैसले बीजेपी के पक्ष में लिये हैं, उससे यही लगता है कि वो बीजेपी की इस मांग को स्वीकार कर लेगा।

    चुनाव आयोग ने अभी तक इस सारे विवाद पर कोई बयान नहीं दिया है।

    2021 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने 213 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा 77 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी थी। स्थानीय निकाय चुनाव से लेकर विधानसभा, लोकसभा चुनाव में टीएमसी का प्रदर्शन बेहतर रहा है। वो बंगाल की सत्ता से टीएमसी को बाहर नहीं कर पा रही है। इसीलिए ममता आशंका जता रही हैं कि जिस तरह बीजेपी ने महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में धांधली कराई है, वही प्रयोग अब वो बंगाल में करना चाहती है। लेकिन बंगाल में मतदाता सूची का प्रकरण जिस तरह सामने आया है, उसमें केंद्रीय चुनाव आयोग पर ज्यादा सवाल उठने वाले हैं। वो पहले से ही अन्य राज्यों में हुए चुनाव को लेकर विवादों में है।

    (रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)

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