सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई और कहा कि ऐसी याचिकाएँ सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ सकती हैं, जो इस समय आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में एकजुट हैं।
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं, मोहम्मद जुनैद, फतेह कुमार साहू और विक्की कुमार से कहा, ‘ऐसी पीआईएल दाखिल करने से पहले ज़िम्मेदारी निभाएँ। आपके देश के प्रति भी कुछ कर्तव्य हैं। यह वह महत्वपूर्ण समय है जब प्रत्येक भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट है। सेना का मनोबल न तोड़ें। मामले की संवेदनशीलता को समझें।’
याचिका में पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित करने की मांग की गई थी। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। कोर्ट ने साफ़ किया कि जजों का काम विवादों का फ़ैसला करना है, न कि जाँच करना। जस्टिस सूर्य कांत ने कहा, ‘कब से सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जाँच के विशेषज्ञ बन गए? हम केवल विवादों का निर्णय करते हैं।’
याचिकाकर्ताओं ने कश्मीर के बाहर पढ़ने वाले जम्मू-कश्मीर के छात्रों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की भी मांग की थी। उनका दावा था कि पहलगाम हमले के बाद इन छात्रों पर हमले हो रहे हैं। कोर्ट ने इस मांग पर भी नाराजगी जताई और कहा, ‘क्या आप अपनी मांगों के बारे में निश्चित हैं? पहले आप सेवानिवृत्त जज से जांच की मांग करते हैं, जो जांच नहीं कर सकते। फिर दिशा-निर्देश, मुआवजा, और प्रेस काउंसिल को निर्देश देने की बात करते हैं। आप हमें रात में ये सब पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं और अब छात्रों की बात करते हैं।’
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए इस आतंकी हमले को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ़ ने अंजाम दिया था। हमलावरों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें पुरुषों को महिलाओं और बच्चों से अलग कर गोली मार दी गई। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए इस मामले की जाँच कर रही है और हमलावरों की तलाश में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा बलों के मनोबल को प्राथमिकता दी। कोर्ट ने साफ़ किया कि आतंकवाद से निपटने का यह समय न्यायिक हस्तक्षेप के बजाय सामूहिक एकजुटता का है। इस फ़ैसले ने सोशल मीडिया पर भी चर्चा छेड़ दी है, जहां कुछ लोग कोर्ट के रुख की सराहना कर रहे हैं, तो कुछ इसे जाँच की मांग को खारिज करने के रूप में देख रहे हैं।
पहलगाम हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों से इस हमले की निंदा और सीमा पार आतंकवाद पर कार्रवाई की मांग की है। इस बीच, पाकिस्तान ने अपने आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आसिम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है, जिसे भारत के साथ बढ़ते तनाव के संदर्भ में देखा जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में सुरक्षा बलों के प्रति एकजुटता का संदेश देता है, लेकिन यह भी सवाल उठाता है कि क्या जाँच की मांग को पूरी तरह खारिज करना उचित सही है।