
राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने अपने संबोधन में ऑपरेशन महादेव का उल्लेख किया, जिसमें सेना ने पहलगाम हमले के आतंकवादियों को खत्म किया था। इस दौरान विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में बुलाने की मांग करता रहा, जिससे सदन में गहमागहमी बढ़ गई।
विपक्ष के शोर-शराबे के बीच अमित शाह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री को सुनने का बहुत शौक है क्या? पहले मुझसे निपट लो, पीएम को कहां बुलाओगे।” यह जवाब विपक्ष के लिए झटका साबित हुआ और वे भड़क उठे। तब मल्लिकार्जुन खरगे ने खड़े होकर कहा कि प्रधानमंत्री का सदन में न आना संसद का अपमान है। इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
प्रधानमंत्री के जवाब की मांग को लेकर अमित शाह ने सदन को बताया कि प्रधानमंत्री अपने कार्यालय में मौजूद हैं। इस पर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री संसद परिसर में होते हुए भी सदन में नहीं आते हैं, तो यह सदन की गरिमा का उल्लंघन है।
अमित शाह ने पहलगाम हमले में मारे गए नागरिकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि आतंकवादियों ने निर्दोष नागरिकों को धर्म पूछकर मार डाला। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की गोलीबारी में हताहत हुए नागरिकों के परिवारों के प्रति भी गहरी संवेदना जताई।
अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जो लोग ऑपरेशन महादेव के नाम को लेकर सवाल उठा रहे हैं, वे ‘हर-हर महादेव’ के महत्व को नहीं समझते। यह केवल एक धार्मिक नारा नहीं है, बल्कि शिवाजी महाराज की सेना का युद्धघोष था और भारत की संप्रभुता पर हमले का जवाब देने का प्रतीक है। यह भाजपा का नामकरण नहीं, बल्कि कई सेना रेजीमेंट्स के उद्घोष का हिस्सा है। इसे हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति के नजरिए से नहीं देखना चाहिए।
वॉकआउट करने वाले विपक्ष पर अमित शाह ने कड़ा तंज कसा कि वे इसलिए बहस से भाग रहे हैं क्योंकि दशकों तक वोटबैंक की राजनीति में आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए। इसलिए वे इस बहस को सुनने या सहने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने ऑपरेशन महादेव की टाइमिंग पर सवाल उठाने वालों को भी जमकर फटकार लगाई।