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    Home » पावर अहिजे से शुरू होला! Pawan Singh की कहानी, सुपरस्टार से सत्ता तक का धमाकेदार सफर
    राजनीति

    पावर अहिजे से शुरू होला! Pawan Singh की कहानी, सुपरस्टार से सत्ता तक का धमाकेदार सफर

    Janta YojanaBy Janta YojanaOctober 2, 2025No Comments5 Mins Read
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    Pawan Singh (Photo: Social Media)

    Pawan Singh

    Pawan Singh: भोजपुरी इंडस्ट्री के ‘पावर स्टार’ पवन सिंह की कहानी सिर्फ गायकी या फिल्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्टारडम, विवादों और राजनीति के पावर गेम का एक विस्फोटक मिश्रण है। जब पवन सिंह मंच पर कहते हैं, “पावर इसी से शुरू होता है और इसी पर खत्म होता है,” तो वह महज एक डायलॉग नहीं होता वह एक चेतावनी होती है। चाहे कोई ब्लॉक हो या जिला, बबुआ की ताकत हर जगह दिखती है, और अब यही बबुआ बिहार की सत्ता के केंद्र तक को हिला रहा है।

    पवन सिंह की शुरुआत एक साधारण परिवार से हुई। उनका जन्म 5 जनवरी 1986 को कोलकाता में हुआ, लेकिन असली परवरिश बिहार के आरा जिले में उनके चाचा अजीत सिंह के साथ हुई, जो खुद संगीत से जुड़े थे। महज छह साल की उम्र में उन्होंने मंच पर गाना शुरू कर दिया था, और चाचा के साथ लोक संगीत मंडलियों में कार्यक्रम करते-करते ही पवन को असली मंच मिला। बचपन में जब देर रात उनकी बारी आती, तो चाचा उनके चेहरे पर पानी छिड़क कर उन्हें उठाते और स्टेज पर ले जाते।

    11 साल की उम्र में उनका पहला गाना “खुलि गइली हमसे अब नाना लजाली ओढ़निया” आया। हालांकि यह गाना स्थानीय स्तर पर पसंद किया गया, लेकिन उन्हें बड़ी पहचान नहीं मिली। उस समय भोजपुरी इंडस्ट्री में मनोज तिवारी और रवि किशन जैसे दिग्गजों का दबदबा था। लेकिन पवन ने हार नहीं मानी।

    साल 2008 में उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। ‘लॉलीपॉप लागेलु’ गाना रिलीज हुआ, जो शुरुआत में किसी को खास नहीं लगा। संगीतकारों ने इसमें अंग्रेजी शब्दों के इस्तेमाल पर सवाल उठाए, लेकिन पवन अड़े रहे। छह महीने बाद यह गाना धमाका कर गया। बिहार, पूर्वांचल से लेकर दिल्ली, मुंबई, और यहां तक कि जर्मनी तक इस गाने की धुन बजने लगी। ‘लॉलीपॉप लागेलु’ ने पवन सिंह को रातों-रात सुपरस्टार बना दिया। वह अब सिर्फ गायक नहीं, भोजपुरी का नया चेहरा बन चुके थे।

    इस सुपरहिट गाने के बाद पवन सिंह का फिल्मी करियर भी रफ्तार पकड़ने लगा। हालांकि उन्होंने 2004 में ही ‘रंगीली चुनरिया तोहरा नाम के’ से फिल्मों में कदम रखा था, लेकिन ‘लॉलीपॉप’ के बाद वह हर फिल्म के हीरो बन गए। उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि फिल्म की कहानी से ज्यादा दर्शक पवन सिंह के नाम पर टिकट खरीदते थे।

    लेकिन जहां स्टारडम होता है, वहां विवाद भी होते हैं। पवन सिंह का निजी जीवन हमेशा सुर्खियों में रहा। 2014 में उन्होंने अपनी प्रेमिका नीलम सिंह से शादी की, लेकिन शादी के कुछ ही महीनों बाद नीलम ने आत्महत्या कर ली। मामला आज तक रहस्य बना हुआ है। इसके बाद 2018 में उन्होंने ज्योति सिंह से दूसरी शादी की, लेकिन यह रिश्ता भी कानूनी विवादों में फंस गया। ज्योति ने पवन पर मानसिक उत्पीड़न, जबरन गर्भपात और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर आरोप लगाए। दोनों के बीच तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा है।

    इन सबके बीच पवन सिंह का नाम एक और चर्चित अभिनेत्री अक्षरा सिंह से भी जुड़ा। दोनों ने कई सुपरहिट गाने और फिल्में कीं, लेकिन निजी संबंधों के कारण यह रिश्ता भी टूट गया। अक्षरा ने आरोप लगाया कि पवन ने उनके साथ मारपीट की, शादी के लिए दबाव डाला, और ब्रेकअप के बाद उनके करियर को नुकसान पहुंचाया।

    इंडस्ट्री में उनका एक और बड़ा विवाद खेसारी लाल यादव के साथ है। पवन सिंह और खेसारी की प्रतिद्वंद्विता किसी से छुपी नहीं है। दोनों आखिरी बार 2014 की फिल्म ‘प्रतिज्ञा 2’ में साथ नजर आए थे। इसके बाद से दोनों के बीच बयानबाज़ी, आरोप-प्रत्यारोप और यहां तक कि जान से मारने की धमकियों तक बात पहुंच गई। इस टकराव में जाति की राजनीति भी सामने आई पवन सिंह राजपूत हैं और अपने गानों में अक्सर ‘बबुआन’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं, जबकि खेसारी यादव समुदाय से आते हैं और ‘अहीर’ पहचान पर ज़ोर देते हैं।

    इस बीच खेसारी ने दावा किया कि प्रभुनाथ सिंह के भतीजे सुधीर सिंह ने उन्हें पवन सिंह की वजह से जान से मारने की धमकी दी। यहां तक कि एक कार्यक्रम में खेसारी के काफिले पर पत्थरबाजी भी हुई, जिसके पीछे भी सुधीर सिंह का नाम सामने आया।

    जब स्टारडम चरम पर हो, तो राजनीति दूर नहीं रहती। पवन सिंह ने भी मनोज तिवारी और रवि किशन की राह पकड़ते हुए राजनीति में कदम रखने की कोशिश की। 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल की हावड़ा सीट से बीजेपी का टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन टिकट नहीं मिला। 2024 में आसनसोल से टिकट मिला, लेकिन पुराने आपत्तिजनक गानों को लेकर उठे विवादों के कारण उन्हें टिकट वापस करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने बिहार की काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा। भले ही वे जीत नहीं पाए, लेकिन उन्होंने एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा को हरवा दिया और यह साबित कर दिया कि पवन सिंह सिर्फ फिल्मी स्टार नहीं, राजनीतिक समीकरणों को भी बदलने की ताकत रखते हैं।

    पवन सिंह की कहानी उन सितारों की तरह नहीं है जो एक सीधी रेखा में ऊपर चढ़ते हैं। यह एक ऐसी गाथा है जिसमें संघर्ष है, विवाद हैं, रिश्तों की उलझनें हैं, और साथ में एक ऐसी पॉपुलैरिटी है जो भोजपुरी से निकलकर देश-विदेश में गूंजती है। चाहे ‘लॉलीपॉप लागेलु’ हो, या फिर काराकाट का चुनावी मैदान पवन सिंह हर जगह एक ‘पावर स्टार’ की तरह अपनी छाप छोड़ते हैं। और जब वो कहते हैं कि “पावर यहीं से शुरू होता है और यहीं पर खत्म होता है,” तो अब इसे हल्के में लेना शायद किसी के लिए आसान नहीं।

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