कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहलगाम आतंकी हमले की जानकारी को लेकर पीएम मोदी पर बड़ा आरोप लगाया है। खड़गे ने मंगलवार को एक सनसनीखेज दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस हमले की तीन दिन पहले जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसे सुरक्षा बलों के साथ साझा नहीं किया। खड़गे के इस बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कांग्रेस अध्यक्ष को ‘आधुनिक मीर जाफर’ क़रार देते हुए माफ़ी मांगने की मांग की।
मल्लिकार्जुन खड़गे राँची में ‘संविधान बचाओ’ रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले से तीन दिन पहले यानी 19 अप्रैल को खुफिया एजेंसियों ने प्रधानमंत्री मोदी को संभावित आतंकी हमले की चेतावनी दी थी। खड़गे ने दावा किया कि इस जानकारी के आधार पर पीएम ने अपनी श्रीनगर यात्रा रद्द कर दी, लेकिन इस खुफिया जानकारी को पुलिस, सुरक्षा बलों या सीमा सुरक्षा बल के साथ साझा नहीं किया गया।
खड़गे ने कहा, ‘मैंने अख़बारों में पढ़ा कि हमले से तीन दिन पहले पीएम मोदी को खुफिया रिपोर्ट मिली थी। इसलिए उन्होंने अपनी कश्मीर यात्रा रद्द कर दी। अगर खुफिया एजेंसियों ने आपको बताया कि जाना उचित नहीं है तो आपने यह जानकारी पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ क्यों नहीं साझा की? 26 लोगों की जान चली गई, क्या सरकार को इसकी ज़िम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?’
उन्होंने सरकार पर खुफिया विफलता का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल को एक सर्वदलीय बैठक में इस विफलता को स्वीकार किया था। खड़गे ने यह भी सवाल उठाया कि अगर सरकार को हमले की आशंका थी तो पहलगाम में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतज़ाम क्यों नहीं किए गए।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने पर्यटकों के एक समूह पर अंधाधुंध गोलीबारी की। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी।
बीजेपी का पलटवार: ‘खड़गे मीर जाफर जैसे’
खड़गे के दावों पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। बीजेपी प्रवक्ता सीआर केसवान ने खड़गे के बयान को ‘देशद्रोही’ और ‘आधुनिक मीर जाफर’ जैसा क़रार दिया। उन्होंने कहा, ‘खड़गे का पीएम के ख़िलाफ़ यह विषाक्त, आधारहीन और अपमानजनक बयान निंदनीय है। अगर उनके पास कोई सबूत है तो उसे पेश करें, नहीं तो बिना शर्त माफी मांगें।’
केसवान ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस का यह बयान पाकिस्तान के नैरेटिव को मज़बूत करता है। उन्होंने कहा, ‘जब पूरा देश पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एकजुट है, तब कांग्रेस क्यों उसी नैरेटिव को बढ़ावा दे रही है जो पाकिस्तान चाहता है?’
पहले भी हुआ विवाद
यह पहली बार नहीं है जब पहलगाम हमले को लेकर कांग्रेस के बयानों पर विवाद हुआ है। हमले के बाद कांग्रेस ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम मोदी की अनुपस्थिति पर कटाक्ष करते हुए एक तस्वीर साझा की थी, जिसमें कुर्ता-पायजामा और काले जूते के साथ ‘गायब’ शब्द लिखा था। इस पोस्ट को ‘जिम्मेदारी के समय गायब’ कैप्शन के साथ शेयर किया गया था। इसे बीजेपी ने ‘सिर तन से जुदा’ जैसी मानसिकता का प्रतीक बताया था। भारी आलोचना के बाद कांग्रेस ने यह पोस्ट हटा लिया और अपने नेताओं को पार्टी की आधिकारिक लाइन का पालन करने का निर्देश दिया।
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कई सख़्त क़दम उठाए। इनमें 1960 के सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी सीमा पार को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं रद्द करना और पाकिस्तानी दूतावास के सैन्य सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित करना शामिल है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, ‘पहलगाम हमले के दोषियों और उनके संरक्षकों को सबसे कड़ा जवाब दिया जाएगा। आतंकवाद का यह कायरतापूर्ण कृत्य भारत के संकल्प को नहीं तोड़ सकता।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत की 140 करोड़ जनता आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है।
खड़गे ने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस देश की एकता के लिए सरकार के साथ खड़ी है, लेकिन बीजेपी ने उनके दावों को ‘विभाजनकारी’ क़रार दिया। इस बीच, विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि पहलगाम हमले पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘यह समय एकजुटता का है। हम चाहते हैं कि सरकार पाकिस्तान को सबक़ सिखाए, लेकिन पीएम को संसद में आकर जवाब देना चाहिए कि यह हमला कैसे हुआ।’
पहलगाम आतंकी हमला न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच तीखी बयानबाज़ी को भी जन्म दे रहा है। खड़गे के दावों और बीजेपी के पलटवार ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। ऐसे समय में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, राष्ट्रीय एकता और सामूहिक संकल्प की ज़रूरत सबसे ज़्यादा है।