
Nabanna Abhiyan rally: पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुई बर्बर बलात्कार-हत्याकांड की बरसी पर भाजपा द्वारा आयोजित ‘नबन्ना अभियान’ रैली में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसके बाद भाजपा नेता ममता बनर्जी सरकार पर जमकर बरसे हैं। इस घटना से भड़के भाजपा नेता अशोक डिंडा ने एक बेहद कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अब वो दिन दूर नहीं है जब पुलिस को भी जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। “हम पुलिसवालों को इतना मारेंगे कि उन्हें ममता बनर्जी के आँचल में जाकर छिपना पड़ेगा” डिंडा ने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें बस एक बार पार्टी से आदेश मिलने का इंतज़ार है। यह बयान दिखाता है कि भाजपा नेता इस लाठीचार्ज से कितने गुस्से में हैं और आने वाले समय में टकराव और बढ़ सकता है।
ममता बनर्जी डर गई हैं!
भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने पुलिस की इस कार्रवाई को ममता बनर्जी की ‘डर’ का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी डर गई हैं इसीलिए उन्होंने पुलिस से जनता पर लाठीचार्ज करवाया। पॉल ने दावा किया कि यह रैली कोर्ट के आदेश से आयोजित की गई थी फिर भी उन पर हमला किया गया। उन्होंने ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा कि जनता 2026 के विधानसभा चुनाव में इसका जवाब देगी। अग्निमित्रा पॉल ने यह भी बताया कि आज अभया को एक साल हो गया है लेकिन उसे अब तक न्याय नहीं मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार ने इस मामले के सारे सबूत मिटा दिए हैं और इसलिए वे उनका इस्तीफ़ा मांग रहे हैं।
बंगाल से जाने वाली हैं ममता!
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी ममता सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि ममता बनर्जी बंगाल से जाने वाली हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल और आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष जैसे अधिकारियों को बचा रही हैं जिनका इस मामले से संबंध था। अधिकारी ने ममता से इस्तीफ़े की मांग की और कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करती हैं तो 8 महीने बाद बंगाल की जनता उन्हें यहाँ से ‘साफ़’ कर देगी। रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने हावड़ा में पुलिस के बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। भाजपा के बड़े नेता शुभेंदु अधिकारी और अग्निमित्रा पॉल पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद धरने पर बैठ गए। यह घटनाक्रम पश्चिम बंगाल की राजनीति में आने वाले तूफ़ान का संकेत दे रहा है।