
Bihar SIR Effect
Bihar SIR Effect
Bihar SIR Effect: इस वक़्त बिहार में सियासी तूफ़ान ज़ोरों-शोरों से उफान मार रहा है। तो…. क्या बिहार में 153 सीटों पर खेल बदल जाएगा? वोटर लिस्ट में हो रहे लगातार परिवर्तन ने हलचल पैदा कर दी है कि नेताओं के सिर से पसीना आ गया है। ऐसी परिस्थिति को देखते हुए उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या होने वाला है?
दरअसल, बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से स्पष्ट हो गया है कि लगभग 52 लाख से अधिक लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा। इसे बिहार विधानसभा सीटों के अनुसार से देखा और समझा जाए तो लगभग हर सीट पर तकरीबन 21 हज़ार से अधिक वोट कट जाएंगे।
खेल यहीं से शुरू होता है। साल 2020 विधानसभा चुनाव में लगभग 153 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत हार 20 हज़ार से कम वोटों से तय हुई थी। ऐसे में यदि ये 21 हज़ार वोट और कट गए तो पूरा का पूरा गुणा-गणित का बदल जाना बदलना तय है। इससे जाति, धर्म का गुणाभाग कर विधायक बनने की उम्मीद में बैठे कई नेताओं की किस्मत पर एक झटके में पानी फिर सकता है। आइए आपको बताते हैं कैसे?
साल 2020 के आंकड़ों से आप क्या समझते ?
साल 2020 विधानसभा चुनाव में 243 में से 153 सीटें यानी 63 प्रतिशत सीटें ऐसी थीं, जिनमें जीत-हार के बीच अंतर लगभग 20,000 वोट से कम था। 80 सीटें ऐसी थीं जिनमें यह अंतर 10,000 से 20,000 के बीच ही था और 41 सीटें ऐसी थीं, जिनमें अंतर 5000 से 10000 वोट के बीच बना हुआ था। इसके साथ ही, करीब 32 सीटें ऐसी भी थीं, जिनमें यह अंतर 5000 से भी कम था। 11 सीटें तो ऐसी भी थीं, जहां परिणाम 500 से 1,000 वोटों तक के अंतर से तय हुआ। इनमें से NDA ने 6 सीटें अपने नाम की थीं, तो बाकी महागठबंधन को मिली थीं। यानी बहुत मामूली अंतर से ये जीत-हार तय हुई थी।
मायने समझने की ज़रूरत है: अब अगर एक-एक विधानसभा में 21,000 वोटरों के नाम लिस्ट से कट जाते हैं, तो स्पष्ट रूप से इन 153 सीटों का समीकरण बदल जाएगा और यही तय करेगा कि 2025 में बिहार की बागडोर किसके हाथ में जाएगी।
एक तर्क पर और ध्यान दीजिये….
जिन 153 सीटों पर 20,000 से कम वोटों से जीत हार तय हुई थी, उनमें से तकरीबन 78 सीटों पर NDA ने जीत दर्ज की थी और बाकी 69 सीटें महागठबंधन के पास गई थीं। वैसे तो हर विधानसभा क्षेत्र में वोटर संरचना, जातीय समीकरण, स्थानीय प्रत्याशी कई तरह के फैक्टर होते हैं। लेकिन एक बार विचार करिये इनमें से अधिकतर वोटर यदि किसी विशेष पार्टी से जुड़े हों तो उसका हारना तो तय ही हो जाएगा। इसीलिए चुनाव आयोग की तरफ से शुरू की गई इस क्रिया को लेकर महागठबंधन के नेता सवाल उठा रहे हैं।
तेजस्वी या नितीश… किसे होगा फायदा?
चुनाव आयोग के मुताबिक, इनमें से अधिकतर वोटर प्रवासी हैं। कई की तो मौत हो चुकी है। यदि ये वोटर प्रवासी, युवा, गरीब, झुग्गी या ग्रामीण इलाकों से आते हैं तो वो दल अधिक प्रभावित होंगे जो इन वर्गों में मजबूत पकड़ बनाये होंगे। उन दलों को सीधा फ़ायदा होगा, जिनका कैडर मजबूत है और जो स्थायी रूप से बिहार में मौजूद रहते हैं।