Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • मोदी का जवाब सुनकर राहुल गांधी का बन गया ‘मुंह’, लोकसभा में नेता विपक्ष रह गये हक्के-बक्के
    • Noida: LIVE Debates में मचा बवाल! सपा कार्यकर्ताओं ने मौलाना साजिद रशीदी को जड़ दिया थप्पड़, वीडियो वायरल
    • Kaziranga National Park: काज़ीरंगा में बाघों की गूंजती जीत: 100 वर्ग किलोमीटर में 18 बाघ
    • देश जानना चाहता है! 100 दिन हो गए… मोदी जवाब दें, चुप क्यों हैं? खड़गे की दहाड़, नड्डा को भी मांगनी पड़ गई माफी
    • Agra Tourism Wikipedia: आगरा जाने का बना रहे हैं प्लान? जानिए घूमने लायक जगहों, स्वादिष्ट व्यंजनों और सांस्कृतिक रंगों की पूरी जानकारी
    • Agra Ka Itihas: ताजमहल के शहर आगरा की हर जानकारी, जानिए इतिहास से लेकर राजनीति और प्रशासन तक का विस्तृत विवरण
    • सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए ऑपरेशन महादेव? अखिलेश यादव का लोकसभा में विस्फोटक आरोप, सरकार से पूछे तीखे सवाल
    • सरकार के सुर में सुर! चिराग पासवान निकले ‘सियासत के खिलाड़ी’, फिर मारी पलटी
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » बुंदेलखंड के गांवों में जल संचय की गुहार लगाती जल सहेलियों की टोली
    ग्राउंड रिपोर्ट

    बुंदेलखंड के गांवों में जल संचय की गुहार लगाती जल सहेलियों की टोली

    By February 13, 2025No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    बुंदेलखंड में जल सहेलियों की 300 किमी की जल यात्रा जारी है। यह यात्रा ओरछा से 2 फरवरी को शुरू हुई थी। इसका आखिरी पड़ाव 19 फरवरी को जटाशंकर धाम छतरपुर में हैं। यात्रा के दौरान जल सहेलियां जगह- जगह पर चौपाल लगाकर लोगों को जल संरक्षण, जलसंवर्धन और जल के पुन: उपयोग के लिए जागरूक व संवेदित कर रही हैं। साथ ही इसका उद्देश्य बुंदेलखंड में सूख रही छोटी नदियों के पुनर्जीवन के लिए लोगों से सहयोग का आह्ववान करना भी है। 

    पुष्पा कुशवाहा इसी जल यात्रा में शामिल होने के लिए 2 फरवरी को ओरछा पहुंचीं थीं। वे इस यात्रा में 7 दिन से रोज लगभग 50 किलोमीटर पैदल चल रही हैं। वे अपनी सहेलियों के साथ  जगह- जगह पर चौपालें लगाकर स्थानीय लोगों को पानी को बचाने के तरीके समझा रही हैं।

    Jal Yatra in Bundelkhand
    जल यात्रा में शामिल हुई जल सहेलियां, बाएं लक्ष्मी कुशवाहा, बीच में सोनम देवी व दाएं पुष्पा कुशवाहा Photograph: (ग्राउंड रिपोर्ट)

     इस यात्रा के दौरान ही देवी और लक्ष्मी पुष्पा की नई दोस्त बन गई हैं, जो निवाड़ी जिले से हैं। तीनों अपने पंचायत क्षेत्रों में करवाए गए जल संरक्षण के प्रयासों के अनुभव लोगों के साथ साझा करते हुए आगे बढ़ती जा रही हैं।

    पुष्पा साल 2018 से ही परमार्थ समाज सेवी संस्थान के साथ जुड़कर अपनी पंचायत में पानी से जुड़े कामों में हिस्सा ले रही हैं। जबकि उनकी दोनों दोस्त देवी और लक्ष्मी वर्ष 2022 में ही जल सहेली बनी हैं। 

    पुष्पा बताती हैं कि उनका मायका टीकमगढ़ जिले की मवई ग्राम पंचायत में हैं। वहां उन्हें पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ता था लेकिन शादी के बाद वे खाकरौन ग्राम पंचायत में ससुराल आयीं तो पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा।

    साल 2018 में जल सहेली के समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने पानी बचाने की बारीकियों को समझा। अब तक वे पानी बचाने के लिए 2 खेत तालाबों और एक दर्जन सोक पिटों का निर्माण स्वयं की देखरेख में करवा चुकी हैं।

    जल सहेलियों की जल यात्रा 2025
    जल यात्रा में लोगों को जागरुक करने के लिए शामिल हुए हैं बच्चे भी Photograph: (ग्राउंड रिपोर्ट)

    उन्हें किचिन गार्डनिंग सीखने के लिए संस्था की तरफ से सागर और ललितपुर भी भेजा गया था। अब वे लोगों को किचिन गार्डन बनाने में भी मदद करती हैं। पुष्पा बताती हैं 

    “पहले पंचायत में मुझे कम ही लोग पहचानते थे। लेकिन अब मेरे काम की वजह से नई पहचान मिली है, लोग सलाह भी लेने आते हैं तो अच्छा लगता है।”

    अब तक जल सहेलियों के कार्यों की वजह से बुंदेलखंड के 300 गांवों में पानी की समस्या को दूर किया गया है। जल सहेलियों को पानी के संरक्षण के साथ उससे जुड़े यंत्रों की तकनीकी जानकारी दी जाती है। उन्हें पाना लेकर हेण्डपम्प को खोलना, कसना और सुधारना भी सिखाया जाता है।

    जल सहेली समूह की शुरूआत परमार्थ समाज सेवी संस्थान के द्वारा साल 2005 में की गई थी। जालौन जिले की माधोगढ़ ग्राम पंचायत में महिलाओं के द्वारा पहली पानी पंचायत का आयोजन किया गया था। 

    जल सहेलियां जल सुरक्षा के एजेंडे को आगे बढ़ाने और जागरूक करने जैसी प्रक्रियाओं सहित जल अधिकारों और उनके सामूहिक दावे की दिशा में काम करने की ज़िम्मेदारी निभाती हैं। इस प्रकार वे समुदाय के साथ संपर्क रख, पानी को लेकर मास्टर प्लान भी तैयार करती हैं। पंचायत, सरकार और नेताओं के सम्पर्क में रहकर गांव स्तर पर जल से जुड़ी समस्याओं को उठाना उनका प्रमुख काम है। 

    परमार्थ के सचिव और इस माॅडल को रूप देने वाले डाॅ संजय सिंह बताते हैं

    “जल सहेली कैडर की शुरुआत जालौन, हमीरपुर और ललितपुर के 96 गांवों से की गई थी। फिलहाल बुंदेलखंड के 6 जिलों में 3000 से अधिक जल सहेलियां काम कर रही हैं। इस माॅडल को अब केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ठ एनजीओ माॅडल के रूप में मान्यता दी गई है। आज इनके द्वारा बुंदेलखंड के कम से कम 100 गांवों को पानी से भरपूर बना दिया गया है।”

    संजय आगे कहते हैं 

    “जलवायु परिवर्तन और पानी के लगातार हो रहे दोहन की वजह से लोगों को बुंदेलखंड से पलायन करना पड़ा है। लेकिन ग्रामीण लोग अंग्रेजी के भारी भरकम शब्द क्लाईमेट चेंज का मतलब नहीं समझ पाते। हम शरीर के बुखार को धरती के बुखार के साथ जोड़कर उन्हें जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से अवगत करवा रहे हैं।”

    Jal Yatra Bundelkhand
    यात्रा में शामिल तेजभान सिंह बुंदेला अपने कुर्ते पर नदी, कुंआ और तालाब बनाकर लोगों को कर रहे हैं जागरुक, फोटो ग्राउंड रिपोर्ट

    परमार्थ से हाल में जुड़े स्थानीय कवि तेजभान सिंह बुंदेला अपने कुर्ते पर नदी, कुंआ और तालाब बनाकर यात्रा में चल रहे हैं। वे सिर पर कुंए के नाम का मुकुट पहनकर नारा लगाते हैं “बचाओ मुझे बचाओ।” बुंदेला का यह तरीका लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। जिसकी वजह से लोग उनसे बात करने को उत्सुक हो उठते हैं। उनके इस अंदाज़ से वे लोगों तक पानी बचाने का संदेश आसानी से पहुंचा पा रहे हैं।   

    यात्रा का फिलहाल में लक्ष्य है कि लगभग 10 लाख लोगों को जल बचाने के लिए प्रेरित किया जाए, साथ ही इस दौरान 1000 से अधिक नई जल सहेलियों को जोड़ा जाए। संस्थान इस यात्रा के समापन के बाद सागर, दमोह, महोबा और चित्रकूट जैसे इलाकों में भी जल संरक्षण का काम शुरू करेगा।  

    भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट का आर्थिक सहयोग करें। 

    यह भी पढ़ें

    वायु प्रदूषण से घुटते गांव मगर सरकारी एजेंडे से गायब

    कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्र ‘हरित समाधान’ या गाढ़ी कमाई का ज़रिया?

    पातालकोट: भारिया जनजाति के पारंपरिक घरों की जगह ले रहे हैं जनमन आवास

    खेती छोड़कर वृक्षारोपण के लिए सब कुछ लगा देने वाले 91 वर्षीय बद्धु लाल

    पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

    पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleआरएसएस, बीजेपी के लिए बिहार से ज़्यादा अहम बंगाल चुनाव क्यों?
    Next Article दिल्ली में संघ दफ्तर नई आलीशान बिल्डिंग में, 150 करोड़ खर्च, किसके चंदे से बना?

    Related Posts

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.