लंदन
हाल के समय में बड़ी संख्या में भारतीय डॉक्टर ब्रिटेन छोड़कर अपने वतन भारत वापस लौट रहे हैं। इन डॉक्टरों ने ब्रिटेन में अपने अनुभव को “ओवरवर्क (अत्यधिक काम का बोझ) और अंडरपेड (कम वेतन)” बताया है। काम के अत्यधिक दबाव और अपेक्षाकृत कम वेतन ने डॉक्टरों को यह कठोर फैसला लेने पर मजबूर कर दिया है। पहले भारतीय डॉक्टर ब्रिटेन को बेहतर वेतन और अवसरों के लिए एक आदर्श जगह मानते थे। लेकिन अब इस ट्रेंड में बदलाव देखा जा रहा है। भारत में चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ते निवेश और निजी स्वास्थ्य सेवाओं के उभरने के कारण डॉक्टर अपने देश में बेहतर भविष्य देख रहे हैं।
हाल ही में एक भारतीय डॉक्टर ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने यूके की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली (NHS) में काम करने के दौरान कठिनाइयों का सामना किया और क्यों उन्होंने वहां से लौटने का फैसला किया। इस डॉक्टर ने ‘रेडिट’ पर अपनी कहानी साझा करते हुए कहा, “मैंने PLAB परीक्षा पास की और यूके में एक बेहतर जीवन और करियर बनाने की उम्मीद के साथ गया था। लेकिन वहां कुछ समय बिताने और स्वास्थ्य सेवा व आर्थिक स्थिति का अनुभव करने के बाद, मुझे सच्चाई का सामना करना पड़ा।” डॉक्टर ने NHS में काम करने की चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि काम के घंटे बहुत ज्यादा होते हैं और वेतन जीवन-यापन के लिए पर्याप्त नहीं होता। उन्होंने लिखा, “NHS में जूनियर डॉक्टर थकाने वाले घंटों तक काम करते हैं, लेकिन उनकी सैलरी मुश्किल से खर्चों को पूरा कर पाती है। जरूरी संसाधनों की कमी और भारी काम के दबाव के कारण डॉक्टर अक्सर तनावग्रस्त रहते हैं।”
डॉक्टर ने बताया कि यूके में उनकी मासिक सैलरी 2,300 पाउंड थी। हालांकि, ये सैलरी कागज पर अच्छी लगती थी, लेकिन ऊंची महंगाई के कारण इसमें से किराया, बिजली और खाने-पीने का खर्च निकालने के बाद कुछ खास बचत नहीं हो पाती थी। इन परिस्थितियों के कारण डॉक्टर ने भारत लौटने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि भारत में रहने की लागत कम है, जैसे कि घर का किराया और निजी स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती हैं। इसके अलावा, यहां उन्हें प्रोफेशनल ग्रोथ और व्यक्तिगत संतुष्टि के ज्यादा अवसर मिल रहे हैं। डॉक्टर ने लिखा, “भारत लौटना सिर्फ पैसे की बात नहीं थी, बल्कि जीवन की गुणवत्ता की बात थी। भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में भी चुनौतियां हैं, लेकिन मुझे यहां ज्यादा संतुलन और अवसर मिलते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “यूके में आर्थिक ठहराव, स्वास्थ्य प्रणाली पर अत्यधिक दबाव और बढ़ती महंगाई के बीच, भारत में काम करना ज्यादा संतोषजनक है। मेरे जैसे कई भारतीय डॉक्टरों के लिए यूके में बेहतर जीवन का सपना इन कठिन हकीकतों से टकरा जाता है।”
डॉक्टर ने कहा कि भारत लौटने के बाद उन्होंने काम और जीवन के बीच एक बेहतर संतुलन पाया है। उन्होंने लिखा, “भारत लौटकर मैं प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों स्तरों पर ग्रोथ कर रहा हूं। अगर आप अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, तो सिर्फ अवसरों को नहीं, उनकी सीमाओं को भी ध्यान में रखें। मेरे लिए सही जगह भारत ही निकली।” इस डॉक्टर का अनुभव उन भारतीयों के लिए एक सीख हो सकता है जो विदेश जाने की योजना बना रहे हैं। यह बताता है कि विदेश में बेहतर जीवन का सपना हमेशा हकीकत से मेल नहीं खाता और कभी-कभी अपने देश में ही बेहतर अवसर मिल सकते हैं।
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