Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • प्रो. रविकांत पर मुक़दमा चलाने की मंजूरी देने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी पर सवाल क्यों?
    • भारतीयों को बांग्लादेश क्यों धकेला ? ममता सरकार ने कराई घर वापसी
    • ट्रंप की ईरान को धमकी, बिना शर्त आत्मसमर्पण करो
    • शांति के लिए ख़तरा बनी इसराइल की जासूसी एजेंसी मोसाद की जन्म-कथा!
    • भारत का यह मंदिर, दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर, जिसमें एक पूरा शहर बसा है, यूरोप की वेटिकन सिटी से भी विशाल है!
    • इसराइल-ईरान युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका? जानें क्या असर होगा
    • यूएस और ईरान के बीच अहम बैठक के संकेत, किसको तेहरान भेज रहे हैं ट्रम्प
    • हैदराबाद का फलकनुमा पैलेस, मानो हिंदुस्तान की धरती पर आसमान का एक टुकड़ा उतर आया हो, लेकिन इसे बनवाने वाले नवाब को इसकी भव्यता ने कंगाल कर दिया
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » भारंगम 2025: महाभारत की भूमि!
    भारत

    भारंगम 2025: महाभारत की भूमि!

    By February 6, 2025No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    भारतीय वांगमय में महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जो युगों-युगों से और इतिहास के हर दौर में रचनाकारों के लिए अपने समय के मुताबिक़ नया रचने हेतु बनता रहा है। भास और कालिदास जैसे संस्कृत नाटककार ही नहीं, धर्मवीर भारती जैसे आधुनिक दौर के नाटककार भी अपनी युगीन चिंताओं को इसकी कहानियों या प्रसंगों के माध्यम से अपनी बात कहते रहे हैं। ऐसा संस्कृत और हिंदी में ही नहीं, बल्कि अन्य भाषाओं में भी होता रहा है। ताज़ा प्रकरण है नाटक `भूमि’ जो इस बार के भारंगम  (भारत रंग महोत्सव) में खेला गया। इसे लिखा है आशीष पाठक ने और निर्देशित किया स्वाति दूबे ने। ये नाटक महाभारत के वन पर्व के चित्रांगदा वाले प्रसंग से प्रेरित है। 

    अर्जुन ने मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा से विवाह किया था और उससे उसे एक पुत्र ब्रभुवाहन भी हुआ था। पर ये नाटक सिर्फ इस प्रसंग की कथा भर नहीं है। नाटककार ने इसे भूमि यानी जमीन को पाने की ललक से जोड़ दिया है। यही इसकी मौलिकता है। हर राजा चाहता है कि उसकी भूमि का विस्तार हो। पर किस क़ीमत पर ये एक युद्ध विरोधी नाटक है हालाँकि इसमें युद्ध भी है।

    ये शुरू होता है मणिपुर से जिसका राजा पुत्र की कामना करता है लेकिन होती है पुत्री। इसका नाम का चित्रांगदा। चित्रांगदा वीर है और युद्धों में हिस्सा लेती है। एक दिन उसका सामना होता है अर्जुन से जिससे वो आगे चलकर शादी भी कर लेती है। चित्रांगदा मां बनती है। बेटे का नाम है ब्रभुवाहन। पर अर्जुन को जाना पड़ता है। फिर जब वो कई बरस बाद अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा लेकर मणिपुर पहुंचा तो ब्रभुवाहन ने  रोक किया और फिर पिता-पुत्र में युद्ध हुआ जिसमें अर्जुन की पराजय हुई। ब्रभुवाहन अनजाने में अपने पिता को मारने वाला ही था कि चित्रांगदा ने उसे बचा लिया।

    पर नाटक की खूबी ये कहानी नहीं है। नाटककार ने इसे राजाओं की जमीन की लालसा से भी जोड़ा है। साथ ही पुत्रियों पर पुत्र को वरीयता देने की। इस तरह इसमें नारीवादी स्वर भी है। राजाओं में भी और सामान्य लोगों में संतान के रूप में पुत्र पाने की कामना रही है। इसके पीछे राज्य के सीमा विस्तार की आकांक्षा भी रही है क्योंकि उनको लगता है पुत्र राज्य को बचाए रखेगा और उसकी सीमा का विस्तार भी करेगा। सीमा का विस्तार यानी भूमि या जमीन पाने की चाहत। चित्रांगदा के पिता को भी ऐसी लालसा थी। इसके लिए ही पुत्र पाने की तपस्या भी की। पर राजा को पुत्री हुई, पुत्र नहीं। आख़िरकार पुत्री ही राजा बनीं। पांडवों द्वारा अश्वमेध यज्ञ करने के पीछे भी भूमि पाने यानी राज्य के विस्तार की भावना रही। नाटक ये प्रश्न पूछता है भूमि पाने की इतनी इच्छा क्यों

    निर्देशक स्वाति दूबे ने इस नाटक में खुद चित्रांगदा का अभिनय भी किया। फिर इसमें मणिपुरी युद्ध कला यानी मणिपुरी मार्शल आर्ट का भी इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से इसमें मणिपुर को महसूस कराने का भी उपक्रम है। वेशभूषा में भी मणिपुरी पोशाक का प्रयोग किया गया है। स्वाति दूबे की रंगमंडली के अभिनेतागण कुछ दिनों तक मणिपुर जाकर रहे थे ताकि वहां की संस्कृति भी समझ सकें और वहां के मार्शल आर्ट को प्रत्यक्ष देख भी सकें। इस तरह ये नाटक एक अंतरसांस्कृतिक अनुभव से भी बना है। ये इसकी एक बड़ी खासियत है। वैसे, महाभारत की भी ये विशिष्टता है कि वो भारत के प्रसंग में कई तरह के अंतरसांस्कृतिक तत्वों को समटे हुए है। इसलिए भी वो रंगकर्मियों और नाटककारों को आज भी अपनी तरफ़ खींचता है।

     - Satya Hindi

    `भूमि’ में उलूपी का प्रसंग भी है। उलूपी एक नागकन्या थी। अर्जुन ने जब खांडववन जलाया था तो उसमें बड़े पैमाने पर नाग मारे गए। नाग से आजकल लोग सांप का अर्थ लेते हैं लेकिन नृतत्वशास्त्रियों का मत है नाग एक जनजाति थी और अर्जुन ने उस जाति का विनाश किया था। इसकी भी आजकल कई तरह से व्याख्याएँ हो रही हैं। जयशंकर प्रसाद नाटक `जनमेजय का नागयज्ञ’ भी इसी कथा का विस्तार है। पर वो अलग मसला है। इस नाटक तक बात को सीमित रखें तो जानना प्रासंगिक होगा कि एक रात जब अर्जुन चित्रांगदा के साथ सोया हुआ है तो बाहर कुछ आवाजें आती हैं। पता चलता है उलूपी है। संकेत ये है अर्जुन से उसका पहले युद्ध होता है और फिर प्रेम।

    पर ये प्रसंग बहुत छोटा है। कह सकते हैं कि अल्पविकसित। 

    नाटककार पाठक और निर्देशक को चाहिए कि इस प्रसंग को थोड़ा विस्तृत करें। नाग कन्या उलूपी अर्जुन को मारने आई थी क्योंकि अर्जुन ने खांडववन जलाया था। आज की शब्दावली में कहें तो ये भी भूमि अधिग्रहण का ही मामला है। हालाँकि बाद में उलूपी अर्जुन से प्रेम कर बैठी और शादी भी। अर्जुन और उलूपी का पुत्र इरावन था जो किन्नरों का देवता माना जाता है। कथा ये भी है कि ब्रभुवाहन के साथ  युद्ध करते हुए अर्जुन की मृत्यु हो गई थी जिससे चित्रांगदा काफी दुखी हुई और ब्रभुवाहन भी। बाद में उलूपी ने अर्जुन को जीवित कर दिया। 

    नाटक में यदि उलूपी का प्रसंग जुड़ जाए तो इसमें ज़्यादा गहराई भी आएगी। भले ये दस मिनटों का हो। चूंकि मूल महाभारत में चित्रांगदा, अर्जुन और उलूपी की कथाएँ कुछ बिंदुओं पर एक-दूसरे को स्पर्श करती हैं इसलिए उनको जोड़ना नाट्योटित भी होगा। वैसे भी नाटक एक विकसनशील विधा है। हर प्रस्तुति के बाद कुछ जोड़ा जा सकता है। इसलिए उलूपी प्रसंग जोड़ने से इसमें समृद्धि ही आएगी।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleअवैध प्रवासीः विदेश मंत्री जयशंकर ने सब कहा, पर हथकड़ी-बेड़ी लगाने की निन्दा नहीं
    Next Article बांग्लादेश के संस्थापक जिसने बनाया बांग्लादेश उनके घर चला बुलडोजर, वहीं लहरा रहा फिलिस्तीन का झंडा

    Related Posts

    प्रो. रविकांत पर मुक़दमा चलाने की मंजूरी देने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी पर सवाल क्यों?

    June 18, 2025

    भारतीयों को बांग्लादेश क्यों धकेला ? ममता सरकार ने कराई घर वापसी

    June 17, 2025

    ट्रंप की ईरान को धमकी, बिना शर्त आत्मसमर्पण करो

    June 17, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.