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    Home » भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार समझौता 8 जुलाई तक संभव, जानें क्या है खास
    भारत

    भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार समझौता 8 जुलाई तक संभव, जानें क्या है खास

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 22, 2025No Comments4 Mins Read
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    भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में एक अहम क़दम उठाया जा रहा है। दोनों देश 8 जुलाई 2025 से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने की तैयारी में हैं। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है। भारत सरकार ने इस समझौते में घरेलू सामानों पर लगाए गए 26 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ़ से पूरी छूट की मांग की है। 

    भारत और अमेरिका के बीच यह अंतरिम व्यापार समझौता व्यापार की राह में आने वाली बाधाओं को कम करने और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए बनाया जा रहा है। यह समझौता एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते यानी एफ़टीए का पहला चरण माना जा रहा है। इसका दूसरा चरण अक्टूबर 2025 तक शुरू होने की संभावना है। इस अंतरिम समझौते का मुख्य मक़सद टैरिफ़ और ग़ैर-टैरिफ़ बाधाओं को कम करना, डिजिटल व्यापार और सेवा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना, और दोनों देशों के बीच व्यापार को और अधिक आसान बनाना है।

    इस अंतरिम व्यापार समझौते में कई महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं।

    टैरिफ़ में छूट

    भारत ने अमेरिका से अपने घरेलू सामानों पर लगाए गए 26 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ को पूरी तरह हटाने की मांग की है। यह टैरिफ़ अमेरिका ने 2019 में भारत के कुछ सामानों पर लगाया था। इसके जवाब में भारत ने भी जवाबी टैरिफ़ लगाए थे।

    ग़ैर-टैरिफ़ बाधाएँ

    समझौते में ग़ैर-टैरिफ़ बाधाओं को कम करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। इनमें तकनीकी मानक, आयात लाइसेंसिंग, और अन्य नियामक बाधाएँ शामिल हैं, जो व्यापार को प्रभावित करती हैं।

    ई-कॉमर्स और डिजिटल सेवाओं जैसे डिजिटल व्यापार इस समझौते का एक अहम हिस्सा होंगी। भारत और अमेरिका डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाने और डेटा स्थानीयकरण जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा सेवा क्षेत्र, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवाएँ, और वित्तीय सेवाएँ भी इस समझौते में शामिल होंगी।

    व्यापार वार्ता में कृषि और डेयरी उत्पादों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। भारत अमेरिकी बाज़ार में फल, सब्जियां, और डेयरी उत्पादों जैसे अपने कृषि उत्पादों की बेहतर पहुंच चाहता है। यह अंतरिम समझौता कुछ चुनिंदा क्षेत्रों पर केंद्रित होगा, ताकि जल्द से जल्द सहमति बन सके। बाद में अक्टूबर 2025 में होने वाले दूसरे चरण में 19 अतिरिक्त क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा।

    भारत और अमेरिका के बीच इस अंतरिम समझौते को 8 जुलाई 2025 से पहले अंतिम रूप लेने की संभावना है। यह समयसीमा इसलिए अहम है क्योंकि अमेरिका द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ की 90 दिनों की अवधि 9 जुलाई 2025 को समाप्त हो रही है। इस समझौते को लेकर भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी संकेत दिए हैं। उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि दोनों देशों के बीच सार्थक बातचीत चल रही है और इस समझौते से दोनों पक्षों को लाभ होगा।

    टैरिफ़ में पूरी छूट

    भारत ने साफ़ तौर पर कहा है कि वह अमेरिका द्वारा लगाए गए 26 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ़ को पूरी तरह हटाने की मांग करेगा। यह छोटे और मध्यम उद्यमों वाले भारतीय निर्यातकों के लिए अहम है। भारत अपने कृषि, वस्त्र, और डिजिटल उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच चाहता है।

    यह समझौता भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम है, क्योंकि यह चीन के साथ अमेरिका के हालिया व्यापार समझौते के बाद भारत की स्थिति को मज़बूत करेगा।

    समझौते का संभावित प्रभाव

    टैरिफ़ में कमी से भारतीय सामानों की क़ीमतें अमेरिकी बाजार में कम होंगी, जिससे निर्यात बढ़ेगा। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। भारत और अमेरिका के बीच 2023 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 120 बिलियन डॉलर था। इस समझौते से इस आंकड़े में और वृद्धि होने की उम्मीद है। यह समझौता दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में।

    अमेरिका भारतीय डेयरी और कृषि उत्पादों पर सख्त मानकों की मांग कर सकता है, जो बातचीत को जटिल बना सकता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट जैसी नीतियाँ इस समझौते को प्रभावित कर सकती हैं। पहला चरण अपेक्षाकृत आसान हो सकता है, लेकिन अक्टूबर 2025 में शुरू होने वाला दूसरा चरण अधिक जटिल होगा, क्योंकि इसमें 19 अतिरिक्त क्षेत्र शामिल होंगे।

    भारत और अमेरिका के बीच 8 जुलाई 2025 तक होने वाला यह अंतरिम व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए एक अहम क़दम है। यह न केवल व्यापारिक तनाव को कम करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को भी बढ़ाएगा। भारत की 26 प्रतिशत टैरिफ़ छूट की मांग और डिजिटल व सेवा क्षेत्रों में सहयोग इस समझौते के केंद्र में हैं। यदि यह समझौता सफल होता है तो यह भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया अध्याय शुरू कर सकता है।

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