प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उन बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों की तारीफ़ की, जिन्होंने हाल के हफ्तों में भारत की आतंकवाद विरोधी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए 30 से अधिक देशों का दौरा किया। पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद इनको दौरे पर भेजा गया था। इन प्रतिनिधिमंडलों में 50 से अधिक सदस्य शामिल थे, जिनमें मौजूदा सांसद, पूर्व सांसद और राजनयिक शामिल थे। इनका मक़सद आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत के पक्ष को मज़बूत करना, राष्ट्रीय एकता का संदेश देना और वैश्विक शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराना था।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘मैंने विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात की, जिन्होंने विभिन्न देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता तथा आतंकवाद के ख़तरे को ख़त्म करने की ज़रूरत पर विस्तार से बताया। हमें इस बात पर गर्व है कि उन्होंने भारत की आवाज को प्रभावी ढंग से सामने रखा।’
इन प्रतिनिधिमंडलों ने 33 विदेशी राजधानियों और यूरोपीय संघ का दौरा किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले इन सदस्यों से मुलाकात की थी और उनकी कोशिशों की सराहना करते हुए कहा था कि उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत के मज़बूत रुख को प्रभावी ढंग से पेश किया।
चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने किया, जिसमें बीजेपी के दो, जेडीयू के एक, और शिवसेना के एक सांसद शामिल थे। वहीं, तीन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व विपक्षी सांसदों ने किया, जिनमें कांग्रेस, डीएमके, और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के एक-एक सांसद शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेताओं में बीजेपी के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस के शशि थरूर, जेडीयू के संजय झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, डीएमके की कनिमोझी और एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले शामिल थे।
सरकार ने इन बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों को आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में राष्ट्रीय एकता का संदेश देने के लिए भेजा था।प्रतिनिधिमंडलों में प्रमुख पूर्व सांसदों में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और सलमान खुर्शीद भी शामिल थे।
एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले श्रीकांत शिंदे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री को उन मित्र देशों द्वारा भारत के आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संघर्ष और वैश्विक शांति के प्रति हमारी अटल प्रतिबद्धता के लिए दिए गए जबरदस्त समर्थन के बारे में जानकारी दी।’
उन्होंने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री ने हमारी कोशिशों की सराहना की और विश्व मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करने के लिए अपना प्रेरणादायक नज़रिया साझा किया। उनके शब्दों ने हमें राष्ट्र के लिए और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित किया है।’
इन प्रतिनिधिमंडलों का मिशन पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की स्थिति को स्पष्ट करना था। भारत ने लगातार पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है और वैश्विक समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया है। इन यात्राओं के माध्यम से भारत ने न केवल अपनी नीति को साफ़ किया, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया।
प्रतिनिधिमंडलों ने विभिन्न देशों में अपने समकक्षों, राजनयिकों और नीति निर्माताओं से मुलाकात की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के नज़रिये को विस्तार से समझाया। इन चर्चाओं में भारत ने आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की और इसे वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया।
कई देशों ने भारत के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को मजबूत करने की ज़रूरत पर जोर दिया। इन यात्राओं ने भारत की कूटनीतिक स्थिति को और मजबूत किया और वैश्विक मंच पर भारत की छवि को एक जिम्मेदार और शांति-प्रिय राष्ट्र के रूप में मज़बूत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात के दौरान उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का लक्ष्य न केवल आतंकवाद को खत्म करना है, बल्कि वैश्विक शांति और सहयोग को बढ़ावा देना भी है। उन्होंने प्रतिनिधिमंडलों को प्रोत्साहित किया कि वे भारत की आवाज को और मजबूती से विश्व मंच पर ले जाएं।
कहा जा रहा है कि इन प्रतिनिधिमंडलों की सफलता ने भारत की कूटनीतिक रणनीति को और मजबूत किया है। बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने न केवल भारत की एकता को दिखाया, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता को भी दिखाया।