अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) की नवीनतम ‘विश्व खतरा मूल्यांकन’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत चीन को अपना पहला और प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मानता है, जबकि पाकिस्तान को एक मामूली सुरक्षा मुद्दे के रूप में देखा जाता है। जिसे आसानी से मैनेज कर लिया जाता है। यह रिपोर्ट हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में आई है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान भारत को ऐसे “खतरे” के रूप में देखता है, जिसे वो आसानी से मैनेज कर सकता है। यही वजह है कि भारत अपनी पारंपरिक सैन्य कमजोरी को संतुलित करने के लिए युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले सामरिक परमाणु हथियारों और सैन्य आधुनिकीकरण पर ध्यान दे रहा है। पाकिस्तान अपनी नस्र (हटफ-IX) जैसी कम दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल भारत की सैन्य श्रेष्ठता का जवाब देने के लिए करता है। ग्लोबल अनुमानों के अनुसार, भारत और पाकिस्तान दोनों के पास लगभग 170-170 परमाणु हथियार हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल शस्त्रागार बढ़ाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की रक्षा प्राथमिकताएं, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देखा गया है, वैश्विक नेतृत्व प्रदर्शित करने, चीन का मुकाबला करने और भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाने पर केंद्रित हैं। भारत ने 2024 में अपनी सैन्य आधुनिकीकरण प्रक्रिया को तेज किया, जिसमें परमाणु-सक्षम अग्नि-I प्राइम और अग्नि-V मिसाइलों का परीक्षण और दूसरी परमाणु-संचालित पनडुब्बी को कमीशन करना शामिल है, जिससे उसकी परमाणु त्रिकोणीय क्षमता मजबूत हुई है।
भारत-पाकिस्तान तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था, जिसमें दोनों देशों की सेनाओं ने मई के मध्य में सीमा पार से हमले किए। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसे डीआईए ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीति का प्रतीक बताया। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने भारतीय शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले करने की कोशिश की, जिन्हें भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने नाकाम कर दिया।
अमेरिका की मध्यस्थता और क्षेत्रीय शांति
अमेरिका ने पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता की। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बात की, जिसमें उन्होंने दोनों देशों से शांति बनाए रखने और आतंकी हमले की जांच में सहयोग करने का आग्रह किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच तत्काल युद्धविराम की घोषणा को “विवेकपूर्ण और बुद्धिमानी भरा कदम” बताया।
भारत-रूस संबंध और क्षेत्रीय गतिशीलता
रिपोर्ट में भारत-रूस संबंधों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें कहा गया है कि भारत 2025 तक रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखेगा, क्योंकि यह अपनी आर्थिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण मानता है। हालांकि, भारत ने रूसी मूल के सैन्य उपकरणों की खरीद को कम किया है, लेकिन वह अभी भी रूसी टैंकों और लड़ाकू विमानों के लिए स्पेयर पार्ट्स पर निर्भर है। यह संबंध भारत को चीन और रूस के बीच गहराते संबंधों को संतुलित करने में मदद करता है।
भारत अपनी “मेक इन इंडिया” पहल को बढ़ावा दे रहा है, जिसका उद्देश्य घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत करना और सप्लाई चेन की चिंताओं को कम करना है। इसके अलावा, भारत हिंद महासागर क्षेत्र में रक्षा साझेदारी को प्राथमिकता दे रहा है ताकि चीन के प्रभाव का मुकाबला किया जा सके। हालांकि, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अभी भी अनसुलझा है, भले ही हाल के समझौतों ने तनाव को कुछ हद तक कम किया है।
यह अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट भारत की सामरिक प्राथमिकताओं और क्षेत्रीय चुनौतियों पर एक महत्वपूर्ण नजरिया पेश करती है। जहां एक ओर भारत चीन को अपनी प्राथमिक चुनौती के रूप में देखता है, वहीं पाकिस्तान को मामूली सुरक्षा मुद्दे के रूप में लिया जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर और हाल के घटनाक्रम भारत की आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता नीति और सैन्य आधुनिकीकरण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।