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    Home » भारत को डिजिटल बाजार क्यों बनाना चाहते हैं मोदी?
    भारत

    भारत को डिजिटल बाजार क्यों बनाना चाहते हैं मोदी?

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 11, 2025No Comments6 Mins Read
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    भारत इस समय दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। हर क्षेत्र में, चाहे मोबाइल उपयोगकर्ता हों या उस पर दिनभर समय बिताने वाले, भारत दुनिया में अव्वल है। क़रीब 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में लगभग 80 करोड़ मोबाइल उपयोगकर्ता हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में हाल में विश्व स्तर के मनोरंजन उद्योग और डिजिटल तकनीक के सबसे बड़े सम्मेलन ‘वेव्स 2025’ का आयोजन किया। इस आयोजन में क्या हासिल हुआ?

    मुंबई के व्यापारिक केंद्र जियो सेंटर बीकेसी में 1 से 4 मई तक अगर आप नजर दौड़ाएँ, तो ऐसा प्रतीत होता जैसे मनोरंजन और डिजिटल की दुनिया का मिलन हो रहा हो। चार दिनों में यहां एक लाख से अधिक लोग जुटे। शाहरुख खान से लेकर आलिया भट्ट, रणबीर सिंह से सैफ अली खान जैसे सितारों ने डिजिटल क्रांति के कारण बदल रही मनोरंजन की दुनिया पर चर्चा की और यह तय किया कि भारत को दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कंटेंट क्रिएटर बनाना है। इसके लिए एक अलग यूनिवर्सिटी स्थापित करने की घोषणा भी की गई। लेकिन सवाल यह उठता रहा कि ऐसे समय में, जब पाकिस्तान से आतंकवाद को लेकर भारत में जवाबी तैयारियां चल रही हैं और तनाव बढ़ रहा है, तब मुंबई में इस डिजिटल आयोजन की आवश्यकता क्यों पड़ी? और हर कदम सोच-समझकर उठाने वाले पीएम मोदी यह सब क्यों कर रहे हैं?

    विशेषज्ञों की बातचीत से कुछ प्रमुख बिंदु सामने आए, जो इस प्रकार हैं:

    मोबाइल और मनोरंजन की पैठ: मोदी समझते हैं कि भारत में मोबाइल और मनोरंजन ने कितनी गहरी पैठ बना ली है। भारत में कंटेंट क्रिएटर्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अधिकांश युवा दिन में कम से कम एक बार रील्स या शॉर्ट वीडियो जरूर देखते हैं। पीएम मोदी का मानना है कि इस शक्ति का दो तरह से उपयोग किया जा सकता है। पहला, कंटेंट क्रिएशन के जरिए युवाओं को रोजगार के बड़े अवसर दिए जा सकते हैं। दूसरा, इन युवाओं को प्लेटफॉर्म देकर उनके साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि वे सरकार के समर्थक भी बनें।

    ओटीटी और भारतीय कंटेंट: भारत में ओटीटी ने सिनेमाघरों के समानांतर अपनी जगह बना ली है। कई लोग वीकेंड पर घर पर ही ओटीटी देखना पसंद करते हैं। इस माध्यम पर फिल्में भी सीधे रिलीज होने लगी हैं। हालांकि, यह भी सच है कि ओटीटी पर अभी भी दो विदेशी प्लेटफॉर्म्स, नेटफ्लिक्स और अमेजन, का दबदबा है। 70 प्रतिशत लोग इन्हीं को देखते हैं, और इनमें ज्यादातर कंटेंट विदेशी होता है। पीएम मोदी और संघ परिवार चाहते हैं कि मनोरंजन की इस दुनिया में भारतीय कहानियां और कंटेंट को बढ़ावा मिले। इसके जरिए भारतीय परंपराओं और कहानियों को सीधे घरों तक पहुंचाया जा सकता है, जो भारतीय गौरव को पुनर्स्थापित करने के लक्ष्य में सहायक होगा। अंबानी परिवार जियो के जरिए जल्द ही 5जी रोलआउट करने की योजना बना रहा है, जिसके माध्यम से एक विशुद्ध भारतीय ओटीटी को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके लिए कंटेंट की जरूरत होगी। ‘वेव्स’ में इस पर विशेष जोर दिया गया। ब्रम्हा जैसी तकनीकी कंपनियां भी रियल-टाइम वर्चुअल क्रिएशन को बढ़ावा दे रही थीं। यहां तक कि जियो की ओर से एक बॉक्स में अमिताभ बच्चन रामायण का वाचन करते हुए वर्चुअल रूप में मौजूद रहे।

    गेमिंग बाजार का विस्तार: इस आयोजन का एक अन्य उद्देश्य गेमिंग बाजार को मजबूत करना था। भारत में फन गेम्स और वर्चुअल गेम्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अकेले ड्रीम स्पोर्ट्स का बाजार एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इसके अलावा, रमी और लूडो जैसे गेम्स भी अच्छी कमाई कर रहे हैं। इन्हें स्पोर्ट्स का दर्जा देकर इन पर लगने वाली बोली को सट्टे से अलग कर दिया गया है। इससे भारत सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये की जीएसटी प्राप्त होती है। हालांकि, इस पर विवाद भी है। गेमिंग स्पोर्ट्स कंपनियां चाहती हैं कि उन पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगे, जबकि सरकारी विभाग 28 प्रतिशत की मांग करता है। यह एक विशाल बाजार है, और अगर लोग गेम्स और अन्य चीजों में व्यस्त रहें, तो अन्य मुद्दों पर कम उबाल आएगा।

    वैश्विक डिजिटल मनोरंजन बाजार: डिजिटल होने के कारण मनोरंजन का बाजार अब वैश्विक हो चुका है। यह यूट्यूब और रील्स से भी आगे बढ़ चुका है। इसमें रोजगार और कमाई की अपार संभावनाएं हैं। सरकार इसे एक बड़ा उद्योग बनाकर युवाओं को अवसर देना चाहती है। ‘वेव्स’ में इस पर भी विस्तृत चर्चा हुई।

    कम्युनिटी रेडियो और पॉडकास्ट: ‘वेव्स’ में कम्युनिटी रेडियो और पॉडकास्ट जैसे नए क्षेत्रों पर भी अलग से चर्चा हुई। देशभर से कम्युनिटी रेडियो चलाने वाले 350 लोगों को बुलाया गया और आईआईएमसी के जरिए इस पर परिचर्चा हुई। लेकिन यह सवाल अनुत्तरित रहा कि इन कम्युनिटी रेडियो को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए। ज्यादातर रेडियो अभी सरकारी सहायता पर निर्भर हैं, और इनके लाइसेंस की फीस भी काफी अधिक है। विदेशों में ये बहुत लोकप्रिय हैं, लेकिन भारत में इनकी पहुंच अभी केवल पांच किलोमीटर तक है। कॉपीराइट से लेकर कंटेंट निर्माण तक के खर्चे भी बहुत हैं, जिसके कारण इनके सामने कई चुनौतियां हैं। पॉडकास्ट यूट्यूब पर लोकप्रिय हो रहा है, लेकिन मोबाइल पर ऑडियो पॉडकास्ट की लोकप्रियता अभी कम है, और इसका बाजार भी बड़ा नहीं है।

    मोदी की दूरदृष्टि

    कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मुंबई में 100 से अधिक देशों के कलाकार, निवेशक और नीति निर्माता एक ही छत के नीचे एकत्र हुए। एक तरह से यहां वैश्विक प्रतिभा और रचनात्मकता के एक ईको-सिस्टम की नींव रखी जा रही है। उन्होंने कहा, “वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट यानी ‘वेव्स’ सिर्फ एक संक्षिप्त नाम नहीं है। यह एक लहर है—संस्कृति की, रचनात्मकता की। ‘वेव्स’ एक ऐसा वैश्विक मंच है, जो हर कलाकार, हर निर्माता का है। जहां हर युवा नई योजनाओं के साथ रचनात्मक दुनिया से जुड़ेगा। आज 1 मई है। 112 साल पहले 3 मई, 1913 को भारत की पहली फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ रिलीज हुई थी, जिसके निर्माता दादासाहेब फाल्के जी थे। बीते एक सदी में भारतीय सिनेमा ने भारत को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाने में सफलता हासिल की है।”

    सबका प्रयास

    उन्होंने आगे कहा, “आज ‘वेव्स’ में हमने भारतीय सिनेमा के कई दिग्गजों को डाक टिकट के माध्यम से याद किया। बीते वर्षों में मैंने गेमिंग, संगीत, फिल्म निर्माताओं और स्क्रीन पर चमकने वाले चेहरों से मुलाकात की। इन चर्चाओं में भारत की रचनात्मकता, सृजनात्मक क्षमता और वैश्विक सहयोग की बातें सामने आईं। लाल किले से मैंने ‘सबका प्रयास’ की बात कही थी। आज मेरा यह विश्वास और पक्का हो गया है कि आप सभी का प्रयास आने वाले वर्षों में ‘वेव्स’ को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।”

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