विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद की विदेश मामलों की समिति को बताया है कि भारत ने 7-8 मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर हमले के क़रीब आधे घंटे में पाकिस्तान को इसकी जानकारी दी थी। जयशंकर ने यह भी साफ़ किया कि भारत ने पाकिस्तान को बताया था कि ये हमले केवल आतंकी ढांचों पर थे, न कि पाकिस्तानी सेना या नागरिकों पर, ताकि कोई ग़लतफहमी न हो।
जयशंकर की ये टिप्पणियां तब और अहम हो जाती हैं जब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने विदेश मंत्री पर ‘भारत के हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को जानकारी देने’ के लिए निशाना साधा और इसे अपराध करार दिया। 15 मई को पत्रकारों से बात करते हुए जयशंकर ने कहा था, ‘ऑपरेशन की शुरुआत में हमने पाकिस्तान को एक संदेश भेजा था जिसमें कहा गया था कि हम आतंकी ढांचों पर हमला कर रहे हैं। हम सैन्य बलों पर हमला नहीं कर रहे हैं। इसलिए सैन्य बलों के पास यह विकल्प था कि वे हस्तक्षेप न करें और इससे दूर रहें। उन्होंने इस अच्छी सलाह को न मानने का फ़ैसला किया।’
यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के जवाब में की गई। भारत ने इस हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी के बाद भारतीय वायुसेना ने 9 आतंकी शिविरों पर हवाई हमले किए। इन हमलों में आतंकी ढांचों को भारी नुकसान पहुंचा, लेकिन भारत ने नागरिक क्षेत्रों और आर्थिक ढांचों को निशाना बनाने से परहेज किया।
जयशंकर ने संसदीय समिति को बताया, ‘हमने ऑपरेशन की शुरुआत में ही पाकिस्तान को साफ़ कर दिया था कि हमारा लक्ष्य केवल आतंकी ठिकाने हैं। हमने उनकी सेना को इसमें हस्तक्षेप न करने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने इस सलाह को नजरअंदाज किया।’
परमाणु युद्ध की आशंकाओं पर जयशंकर का जवाब
भारत-पाकिस्तान तनाव के परमाणु युद्ध में बदलने की आशंकाओं पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इस पर जयशंकर ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मैं इस सवाल से हैरान हूँ। हमारी कार्रवाई पूरी तरह से नपी-तुली थी और यह उकसाने वाली नहीं थी। हमने केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, न कि पाकिस्तान की सेना या नागरिकों को। परमाणु युद्ध की बात करना पूरी तरह से आधारहीन है।’
उन्होंने इस धारणा को भी खारिज किया कि भारत और पाकिस्तान परमाणु संघर्ष के करीब पहुंच गए थे। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन जेतुंग को दिए एक साक्षात्कार में यह बात कही। उन्होंने दक्षिण एशिया को लेकर पश्चिमी धारणाओं को चुनौती दी और युद्धविराम में मध्यस्थता के अमेरिकी दावों को खारिज कर दिया।
जब उनसे पूछा गया कि क्या 10 मई के युद्धविराम के लिए दुनिया को अमेरिका का शुक्रिया अदा करना चाहिए, तो जयशंकर ने इसके बजाय भारतीय सशस्त्र बलों को श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘गोलीबारी बंद करने पर सहमति दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों के बीच सीधे संपर्क के माध्यम से हुई।’ उन्होंने आगे कहा, ‘उससे पिछले दिन सुबह, हमने प्रभावी ढंग से पाकिस्तान के प्रमुख हवाई अड्डों और हवाई रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया था। तो, मुझे शत्रुता बंद करने के लिए किसका धन्यवाद करना चाहिए? मैं भारतीय सेना का धन्यवाद करता हूं, क्योंकि यह भारतीय सैन्य कार्रवाई थी जिसने पाकिस्तान को यह कहने के लिए मजबूर किया: हम रुकने के लिए तैयार हैं।’
जयशंकर ने यह भी साफ़ किया कि भारत की कार्रवाई का मक़सद आतंकवाद के ख़िलाफ़ कड़ा संदेश देना था। उन्होंने कहा,
पाकिस्तान ने इन हमलों को गंभीर उकसावा वाला करार दिया था और दावा किया था कि उसने भारत के दो लड़ाकू विमानों को मार गिराया। हालांकि, भारत ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि उसके सभी विमान सुरक्षित लौट आए। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने दावा किया कि उन्होंने भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में ‘ऑपरेशन बुन्यान-अल-मरसूस’ शुरू किया, लेकिन इसकी सत्यता पर सवाल उठे, खासकर तब जब पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने मुनीर को 2019 के एक चीनी सैन्य अभ्यास की तस्वीर इस ऑपरेशन की तस्वीर बताकर उपहार में दी।
विपक्षी नेताओं ने कई बार पूछा है कि क्या अमेरिका ने भारत-पाक तनाव को कम करने में मध्यस्थता की थी। जयशंकर ने इन सवालों को खारिज करते हुए कहा, ‘यह पूरी तरह से भारत की कार्रवाई थी। अमेरिका की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। हमने अपनी रणनीति के तहत काम किया और पाकिस्तान को स्थिति साफ़ कर दी।’
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की दृढ़ नीति को दिखाया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारत अपनी रक्षा के लिए सटीक और नपी-तुली कार्रवाई करने में सक्षम है। जयशंकर ने संसदीय समिति से अपील की कि इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति न की जाए और देश की सुरक्षा को सर्वोपरि रखा जाए।